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अब कंसेंट के लिए नहीं लगाने होंगे दफ्तरों के चक्कर, मिलेगा ऑनलाइन नवीनीकरण

- आरपीसीबी शुरू करेगा ग्रीन व ऑरेंज श्रेणी की इकाइयों के लिए ऑटो रिन्यूवल प्रक्रिया - भीलवाड़ा जिले की 1700 से ज्यादा इकाइयों को मिलेगा लाभ - आवेदन से लेकर स्वीकृति तक की प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑनलाइन

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Now you will not have to visit offices for consent, renewal will be available online

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राज्य में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल (आरपीसीबी) ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए ग्रीन और ऑरेंज श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों के लिए "कंसेंट टू ऑपरेट" के ऑनलाइन स्वत: नवीनीकरण की सुविधा शुरू की है। इस बदलाव का सीधा लाभ भीलवाड़ा जिले सहित प्रदेश की हजारों इकाइयों को मिलेगा। भीलवाड़ा जिले में ग्रीन और ऑरेंज श्रेणी की 1700 से अधिक इकाइयां संचालित हैं।

ऑनलाइन मिलेगी सहमति, अगर शर्तें पूरी

अब वे इकाइयां जो किसी भी प्रकार की शिकायत, उल्लंघन, तकनीकी परिवर्तन या उत्पादन में बदलाव के बिना संचालित हो रही हैं, उन्हें हर बार सीटीओ के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। उन्हें केवल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पोर्टल पर आवेदन करना होगा। यदि किसी इकाई का आवेदन ऑनलाइन अस्वीकृत होता है, तो वह पूर्व की भांति सामान्य प्रक्रिया के तहत सीटीओ के लिए आवेदन कर सकती है।

आवेदन प्रक्रिया ऐसे करें पूरी

  • - सबसे पहले पोर्टल पर लॉगिन कर ऑटो रिन्यूवल विकल्प चुनें।
  • - पिछले सीटीओ की प्रति, सेल्फ डिक्लेरेशन रिपोर्ट, ऑनलाइन भुगतान रसीद अपलोड करें।
  • - उत्पादन क्षमता, प्रदूषण नियंत्रण उपाय, और प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं हुआ हो।
  • - यदि आवेदन सीटीओ समाप्ति से 3 माह पूर्व किया तो सिस्टम अपने आप दस्तावेजों की पुष्टि करके नई सीटीओ जारी कर देगा।

इन दस्तावेजों की होगी आवश्यकता

  • - पिछली कंसेंट टू ऑपरेट की प्रति
  • - स्वयं के हस्ताक्षर वाली अनुपालन रिपोर्ट
  • - ऑनलाइन शुल्क भुगतान की रसीद
  • - सेल्फ डिक्लेरेशन

इन इकाइयों को मिलेगा लाभ

ग्रीन श्रेणी इकाइयां: जिनसे न्यूनतम या नगण्य प्रदूषण होता है जैसे, अगरबत्ती निर्माण, आटा चक्की, पैकेजिंग यूनिट, सिलाई-बुनाई, बिना रसायन फर्नीचर निर्माण आदि।

ऑरेंज श्रेणी इकाइयां: मध्यम स्तर का प्रदूषण करने वाली इकाइयां जैसे फूड प्रोसेसिंग, गारमेंट डाइंग, केमिकल कोटिंग फर्नीचर, प्रोसेस हाउस आदि।

लंबे समय से की जा रही थी मांग

लंबे समय से की जा रही मांग के बाद अब यह ऑटोमैटिक रिन्यूवल प्रणाली लागू की गई है। इससे औद्योगिक इकाइयों को समय और संसाधन दोनों की बचत होगी।

- शंभू प्रसाद काबरा, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती

अगले माह होगी कार्यशाला

ऑटोमैटिक रिन्यूवल प्रणाली को लागू करने के लिए प्रदेश के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में उद्योगों की कार्यशाला होगी। इसके तहत भीलवाड़ा में 1 अगस्त को ग्रीन श्रेणी के उद्योगों की, 5 को मिनरल ग्राइंडिग व ईंट भट्टा संचालकों की तथा 6 अगस्त को माइनिंग लीज धारकों की कार्यशाला होगी। इसमें ऑटोमैटिक रिन्यूवल प्रणाली के बारे में जानकारी दी जाएगी। उसके बाद ही प्रदेश में एक साथ यह प्रणाली लागू की जाएगी।

- दीपक धनेटवाल, क्षेत्रीय अधिकारी आरपीसीबी भीलवाड़ा