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एक्सपायरी डेट के लगे थे अग्निशमन यंत्र, फोटो खींचे तो अस्पताल प्रशासन ने बदले

जिला अस्पताल में आग से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं

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भिंड

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Vikash Tripathi

Aug 02, 2022

एक्सपायरी डेट के लगे थे अग्निशमन यंत्र, फोटो खींचे तो अस्पताल प्रशासन ने बदले

एक्सपायरी डेट के लगे थे अग्निशमन यंत्र, फोटो खींचे तो अस्पताल प्रशासन ने बदले

भिण्ड. मध्य प्रदेश के जबलपुर में प्राइवेट हॉस्पीटल में हुए भीषण अग्निकांड में आठ लोगों की भीभत्स मौत तथा कई लोगों के झुलस जाने के बावजूद भिण्ड के जिला अस्पताल में एक्सपायरी अग्निशामक यंत्र लगे हुए थे। पत्रिका ने मंगलवार की दोपहर बाद जब जिला अस्पताल परिसर का भ्रमण किया तो अस्पताल प्रबंधन ने आनन फानन में अग्निशामक बदलवा दिए।
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल परिसर में करीब आधा सैकड़ा अग्निशामक यंत्र लगे हुए हैं। लेकिन उन्हें समय पर बदलवाने की फुर्सत प्रबंधन को नहीं। जबलपुर के निजी अस्पताल में हुए अग्निकांड में आठ लोगों की दर्दनाक मौत के बाद भी जिला चिकित्सालय का प्रबंधन नींद में था। ऐसे में जब पत्रिका टीम ने जिला अस्पताल पहुंचकर अग्निकांड जैसे हादसे से बचाने वाली व्यवस्थाओं का जायजा लिया तो अस्पताल परिसर में आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर एक्सपायरी डेट के अग्निशामक यंत्र लगे पाए गए। पत्रिका टीम द्वारा फोटो खींचे जाने की भनक जैसे ही प्रबंधन को लगी तो आनन फानन में स्टूमेंट बदलने की कार्रवाई शुरू कर दी गई। लिहाजा 30 मिनट के अंदर जिला अस्पताल परिसर के सभी अग्निशामक यंत्र अपडेट कर दिए गए। विदित हो कि जिला अस्पताल के इधर ट्रॉमा सेंटर, ओपीडी कक्ष, प्रसूतिगृह, एक्सरे कक्ष के बाहर, सर्जिकल वार्ड, बर्न यूनिट, महिला वार्ड, शिशु वार्ड, विशेष वार्ड, पीआईसीयू वार्ड, ट्रॉमा सेंटर का लैब कक्ष आदि में अग्निशामक यंत्र लगे हुए हैं।
7 माह पहले ही हो चुके थे एक्सपायर
उल्लेखनीय है कि 400 बिस्तरीय जिला अस्पताल में औसतन 200 से 250 मरीज प्रति दिन भर्ती रहते हैं। इसके अलावा लगभग 100 लोगों का स्टाफ सेवारत रहता है। ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिहाज से प्रबंधन को व्यवस्थाओं का जायजा प्रतिमाह नियमित रूप से लेने की जरूरत है। हैरत की बात ये है कि जिला अस्पताल में जो अग्निशामक यंत्र लगे हुए थे वह छह से सात माह पूर्व ही एक्सपायर हो चुके थे। ऐसे में यदि पत्रिका टीम व्यवस्था की पड़ताल करने नहीं पहुंचती तो शायद आगे भी पता नहीं कितने दिनों तक लगे रहते। ऐसे में अस्पताल के स्टाफ और लगभग 250 भर्ती मरीजों की जान जोखिम में बनी हुई थी।