रीको ने नव विकसित औद्योगिक क्षेत्र सलारपुर में सीईटीपी निर्माण के लिए जमीन चिन्हित कर रखी है। सीईटीपी निर्माण के बाद आसपास के सभी औद्योगिक क्षेत्रों का पानी यहां पहुंचे और शोधित होगा। जिस तरह का सीईटीपी भिवाड़ी में निर्मित हुआ है, उसी तरह नई तकनीक यहां पर लगाई जाएगी। इसके लिए उद्यमियों को एसपीवी का गठन करना जरूरी है। उक्त क्षेत्र में अभी तक एसपीवी गठन की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
यह है प्रक्रियाऔद्योगिक इकाइयों से किसी तरह का पानी बाहर नहीं निकल सकता। गंदे पानी के शोधन की जिम्मेदारी संबंधित इकाइयों की होती है। अभी तक क्षेत्र में गंदे पानी के निस्तारण के लिए केंद्रीयकृत सिस्टम नहीं है। सीईटीपी निर्माण से पूर्व भी गंदे पानी के शोधन के लिए संबंधित इकाई ही जिम्मेदार होती है। अगर सीईटीपी निर्माण होना है तो उसके लिए उद्यमियों को एसपीवी का गठन करना होता है। सीईटीपी निर्माण में करीब 150 करोड़ की लागत आती है, इसमें 75 करोड़ का अनुदान सरकार देती है और आधी राशि उद्यमियों को एकत्रित करनी होती है।
गंदा पानी से होने लगी समस्याभिवाड़ी में भले ही सीईटीपी निर्माण होने के बाद गंदे पानी की समस्या हल हुई हो लेकिन नव विकसित क्षेत्र में भी समस्या उभरने लगी है। भिवाड़ी का पानी अभी खुशखेड़ा पंप किया जा रहा है। खुशखेड़ा के आसपास भी नई इकाइयों से पानी बाहर निकल रहा है। गंदे पानी की समस्या से परेशान एक इकाई हाईकोर्ट तक पहुंची है। साथ ही क्षेत्र में जलभराव से नए निवेशक भी कई बार हतोत्साहित हुए हैं।
सर्वे शुरू दिए जाएंगे नोटिसरीको यूनिट हेड आदित्य शर्मा ने बताया कि खुशखेड़ा सलारपुर के उद्यमियों को सीईटीपी निर्माण के लिए समझायश कर रहे हैं। वहां के उद्यमियों को एसपीवी गठन करने के बाद रीको को सीईटीपी निर्माण का प्रस्ताव देना होगा। क्षेत्र में पानी का उपयोग कर गंदा पानी खुले में छोडऩे वाली और शोधित करने वाली इकाइयों का जल्द सर्वे कराया जाएगा। जो इकाई खुले में छोड़ते मिलेगी उन पर कार्रवाई की जाएगी।