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रेवाड़ी पलवल हाईवे साढ़े चार साल में नहीं मिली सुदृढ़ीकरण की अनुमति

गड्डे भरी सडक़, रेलिंग टूटी, यातायात को नहीं मिल रही गति

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भिवाड़ी. रीको ने हरियाणा बॉर्डर बैरियर से भिवाड़ी मोड तक एनएच 919 के करीब चार किमी हिस्से के चौड़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण के लिए साढ़े चार साल पहले अनुमति मांगी थी लेकिन एनएचएआई और हरियाणा पीडब्ल्यूडी ने अनुमति नहीं दी, इतनी अवधि में निर्माण भी नहीं कराया, जबकि हरियाणा क्षेत्र में कई बार सडक़ का निर्माण एवं रखरखाव हो चुका है। रीको इस सडक़ को चार लेन से छह लेन चौड़ा, सडक़ के दोनों तरफ 1.5 मीटर चौड़ा और गहरा नाला निर्मित कराती। प्रोजेक्ट पर रीको करीब 25 करोड़ रुपए खर्च करती। निर्माण कार्यों की स्वीकृति के लिए रीको ने फाइल एनएचएआई को भेजी। एनएचएआई ने एनओसी नहीं दी। अभी तक इस सडक़ की चौड़ाई एक तरफ से दूसरी तरफ तक करीब 35 मीटर है, जहां नई बसावट है वहां पर सडक़ की चौड़ाई पूरी है, जबकि पुरानी आबादी की तरफ अवैध निर्माण की वजह से 30 मीटर ही चौड़ाई है। अभी तक डिवाइडर के दोनों तरफ 7.5 मीटर चौड़ी सडक़ है। रीको की प्रस्तावित योजना में दोनों तरफ 11-11 मीटर चौड़ी सडक़ का प्रावधान था। वहीं सडक़ के बीच में एक मीटर चौड़ा डिवाइडर होगा। सन 1998 में रीको ने इस सडक़ का कायाकल्प किया था। तब रीको ने सडक़ को कुछ जगह पर तीन और कुछ जगह पर चार लेन किया था। 2010 के बाद में एनएच ने सडक़ को विकसित किया और सभी जगह चार लेन में परिवर्तित कर दिया। रीको ने दोबारा विकास के लिए एनएच से अनुमति मांगी लेकिन नहीं दी गई। तत्कालीन मुख्य सचिव सुधांशु पंत 15 अप्रेल को भिवाड़ी आए, उनकी बैठक में रेवाड़ी पलवल हाईवे (एनएच919) की खस्ता हालत का मुद्दा उठा। मुख्य सचिव की बैठक के बाद एक महीने बाद संभागीय आयुक्त पूनम ने आकर भी समीक्षा की, उसमें भी उन्होंने उक्त सडक़ की दशा सुधारने के लिए पीडब्ल्यूडी को एनएचएआई और हरियाणा पीडब्ल्यूडी के माध्यम से रखरखाव कराने के निर्देश दिए। भिवाड़ी बॉर्डर पर है जिसकी वजह से इस उक्त सडक़ के हिस्से का महत्व बढ़ जाता है। इसी महत्व को देखते हुए पूर्व में रीको ने भी सडक़ के सौंदर्यीकरण की योजना बनाई थी। प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराई थी लेकिन एनएचएआई और हरियाणा पीडब्ल्यूडी ने रीको को अनुमति नहीं दी। रेवाड़ी पलवल हाईवे की हालत बेहद खराब हैं। धारूहेड़ा तिराहे से माहेश्वरी तक आधा किमी के हिस्से में जलभराव की वजह से मिट्टी-गिट्टी के तीन अवरोधक लगे हुए हैं। जिससे इस सडक़ की स्थिति एनएच की जगह गांव, देहात, जंगल के रास्ते से भी खराब लगती है। बायपास पर जलभराव को 29 महीने की अवधि हो चुकी है। एनएच पर अवैध रूप से बनाए गए रैंप, मिट्टी के बैरियर नहीं हट सके हैं। तावडू की तरफ से आगे चलने पर कई जगह डिवाइडर एवं रेलिंग टूटी हुई है। सडक़ पर कहीं भी सफाई की व्यवस्था नहीं है। रोड साइड में फुटपाथ दिखाई नहीं देती। आगे चलने पर राम चौक पर गड्डे शुरू हो जाते हैं। समतल चौक पर नाले के ऊपर बनी पुलिया वाहनों के लिए कई साल से आफत बनी हुई है। भारी वाहन यहां अक्सर अटक कर खराब हो जाते हैं। कई जगह डिवाइडर से रेलिंग गायब हो चुकी है और डिवाइडर भी सडक़ में मिल चुके हैं, जिसकी वजह से कई वाहन चालक लापरवाही से मोडकर हादसों को निमंत्रण देते हैं। उक्त सडक़ का हिस्सा भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र के बीच से गुजरता है। उक्त सडक़ के निर्माण से औद्योगिक क्षेत्र के विकास में मदद मिलती। यहां से निकलने वाले भारी वाहनों को रुकावट न हो। सडक़ पर भिवाड़ी मोड से लेकर बैरियर तक भारी वाहनों का काफी दबाव रहता है, क्योंकि दोनों तरफ आबादी होने से यहां बड़ी तादाद में वाहनों का आवागमन होता है, बीच में सडक़ पर इधर-उधर रेहड़ी-पटरी वाले बैठने से भी अतिक्रमण है, जिससे भिवाड़ी मोड से बैरियर तक वाहनों को रेंगकर चलना पड़ता है, कई बार जाम के हालात भी बन जाते हैं। वहीं नए निवेशकों को भी सडक़ सौंदर्यीकरण के बाद अच्छा महसूस कराया जाता।