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Game Zone Alert: कहीं एमपी में न हो जाए गुजरात जैसा हादसा, आग लगी तो निकल भी नहीं पाएंगे

Game Zone in Bhopal: गुजरात के राजकोट में गेम जोन में हुए भीषण अग्निकांड में 9 बच्चों समेत 27 लोगों की जान चली गई। जिसके बाद देशभर के गेम जोन को लेकर सरकारें अलर्ट मोड में आ गई हैं, एमपी में भी पिछले कुछ सालों में गेम जोन का क्रेज तेजी से बढ़ा है लेकिन पत्रिका की पड़ताल में यहां भी चूक सामने आई और सरकार की चिंता बढ़ गई

भोपालMay 27, 2024 / 10:33 am

Sanjana Kumar

Game zone

गुजरात के राजकोट गेम जोन में हुए दर्दनाक हादसे के बाद एमपी में भी अलर्ट

Game Zone in Bhopal: गुजरात के राजकोट में गेमिंग जोन में हुए भीषण अग्निकांड के बाद जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड में है। इस हादसे के बाद पत्रिका टीम ने भोपाल शहर के अलग-अलग इलाकों और प्रमुख शॉपिंग मॉल में चलने वाले गेमिंग जोन का जायजा लिया। पड़ताल में पता चला कि गेमिंग जोन रंगीन रोशनी और बड़े-बड़े अंधेरे कमरों में संचालित हो रहे हैं। जहां हजारों टन प्लास्टिक के खेल खिलौने के सिस्टम लगे हैं। बिजली के असंख्य वायर पूरे हॉल में फैले हुए दिखे। दीवारों पर नक्काशी के लिए थर्माकोल और प्लाईवुड, सनमाइका का इस्तेमाल हुआ है। अधिकतर गेमिंग जोन में गैस से चलने वाले प्रेशर बूस्टर स्पोट्र्स एक्टिविटी सिस्टम भी हैं। जो बेहद ज्वलनशील गैस है। किसी भी प्रकार के शॉर्ट सर्किट पर आग बुझाने के लिए गिनती के फायर एक्सटिंग्विशर मौके पर नजर आए। गेमिंग जोन में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट कहीं नजर नहीं आया। फायर सेफ्टी एक्ट लागू न होने के कारण नगर निगम भी इन पर कोई कार्रवाई करने में असमर्थ है।

गेमिंग जोन चेतावनी बोर्ड टांगकर झाड़ा पल्ला

  • उम्र 18 साल से कम होने पर अभिभावकों की अनुमति वाला फॉर्म भरवाया जाता है।
  • इसमें लिखा होता है कि किसी भी हादसे में जिम्मेदारी उनकी खुद की होगी।
  • साथ ही गेम जोन में किसी सामान को नुकसान पहुंचता है तो उसकी भरपाई करनी होगी।
  • चोटिल होने और मौत होने पर ग्राहक को केस करने का अधिकार नहीं होगा।
  • किसी को हाई बीपी या शुगर और कोई समस्या है तो वह इनमें भाग न लें।

लापरवाही में ये सवाल खड़े हुए

  • लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन सुनिश्चित करेगा।
  • पब्लिक सेफ्टी के उपाय नहीं हैं तो जिम्मेदार कौन होगा।
  • निर्देशों की पालना हो रही है या नहीं, इसको कौन जांचेगा?

ये हो सुरक्षा के उपाय

  • गेमिंग जोन चलाने की विधिवत अनुमति व फायर डिपार्टमेंट से अनापत्ति प्रमाण पत्र होना चाहिए।
  • आग लगने पर पानी और आग बुझाने के इंतजाम हों।

आग से निपटने के बाजारों में पर्याप्त इंतजाम नहीं

न्यू मार्केट नए और पुराने शहर का सबसे बड़ा बाजाार। सामान्य दिनों में 20 से 25 हजार की भीड़ रहती है। फायरब्रिगेड का मुख्य दफ्तर भी पास ही है लेकिन भीड़ मुश्किलें खड़ी कर सकती है। चौक बाजार पुराने शहर का सबसे महत्वपूर्ण और व्यस्त बाजार। कुछ जगहों पर दोपहियां फायर ब्रिगेड गाडिय़ां खड़ी रहती हैं। बड़ी आग में ये कारगर नहीं। सामान्यत: 10 हजार लोग यहां रहते हैं। लखेरापुरा कपड़ों और प्लास्टिक का प्रमुख बाजार। फायर ब्रिगेड का कोई वाहन नही। संकरी गलियों में इनका जाना मुश्किल। त्योहारी सीजन में 152 0 हजार लोग रहते हैं। जुमेराती बाजार किराना, तेल और खानपान के साथ इलेक्ट्रॉनिक का बड़ा बाजार। पहले जनकपुरी के पास नगर निगम की गाड़ी खड़ी रहती थी। एक वक्त में करीब 5000 लोग रहते हैं।
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कोचिंग वाले भी लापरवाह

भोपाल शहर में करीब 1500 कोचिंग सेंटर्स हैं, लेकिन 80 फीसदी में आग से बचाव इंतजाम अधूरे हैं। एमपी नगर में हर जगह वाहनों की कतार और गुमठियों का कब्जा है। पुराने शहर में सकरी गलियों में फायर ब्रिगेड जा नहीं सकती।

बीएमसी घर या फ्लैट में आग तो क्या करें

गर्मी के दिनों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। क्योंकि, दुर्घटनाएं कभी कहकर नहीं आतीं। इसलिए आग लगने की घटनाओं पर सतर्कता जरूरी है।

यह भी जानिए

  • नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (national crime record bureau) के अनुसार देश में हर साल करीब 25,000 लोगों की मौत आग झुलसने से होती है।
  • यानी हर रोज आग से 60 से ज्यादा लोग अपनी जान गवां देते हैं।
  • मॉडर्न फर्नीचर (Modern Furniture) घरों में 50 साल पहले की तुलना में 8 गुना अधिक तेजी से आग पकड़ती हैं।

आग में क्यों होती है मौत

वातावरण में ऑक्सीजन का लेवल (Oxygen level) अमूमन 21 प्रतिशत होता है। जब कहीं आग लगती है तो वहां ऑक्सीजन लेवल कई बार घटकर 4-6 प्रतिशत रह जाता है। ऐसे में दम घुटने से चंद सेकेंड में मौत हो जाती है। घर में आग लगने के प्रमुख कारण शॉर्ट सर्किट का होना माना जा रहा है।

गेमिंग जोन जा रहे हैं तो अपनी सुरक्षा का खुद रखें ध्यान (How to be Alert)

  • आपात स्थिति में (IN Emergency) क्या मेडिकल सहायता (Medical help) उपलब्ध पानी और आग बुझाने के इंतजाम हैं कि नहीं?
  • गेम जोन (Game Zone) में ज्यादा भीड़ होने पर बाहर निकलने के क्या इंतजाम हैं?
  • गेम जोन में यदि अंडरटेकिंग ली जा रही है तो जांचे कि वहां क्या इमरजेंसी उपाय हैं?

फायर स्टेशनों की दूरी ज्यादा

नगर निगम के जो फायर सब स्टेशन (Fire Sub Stations) हैं, वे अपने से आठ से दस किमी के क्षेत्र को कवर कर रहे हैं। इससे आग लगने पर राहत और बचाव कार्य शुरु होने में समय अधिक लगता है। नेशनल एडवायजरी (National Advisory) के तहत दो लाख की आबादी और एक से तीन किमी के क्षेत्र में एक फायर स्टेशन (Fire Station) होना चाहिए, सिर्फ 11 फायर सब स्टेशन ही हैं। इनमें आठ ही सक्रिय हैं।

संसाधनों की कमी

  • चार फायर अफसर और एक मुख्य फायर होना चाहिए, लेकिन निगम के पास एक भी नहीं है।
  • दो ही सहायक फायर आफिसर हैं, जबकि आठ की जरूरत है।
  • हाइड्रेंट सिस्टम सिर्फ सराफा चौक में लगाया, वो भी चालू नहीं हो सका।
  • शहर कुल 35 फायर ब्रिगेड और वाटर टैंकर हैं, लेकिन इनमें से भी चार से पांच गाडिय़ां रोज वीआइपी आयोजन में तैनात रहती हैं।
  • 52 मीटर यानी 170 फ़ीट ऊंचाई तक आग बुझाने 5.40 करोड़ रुपए से नगर निगम ने ऑटोमेटिक हाइड्रोलिक मशीन को बेड़े में शामिल किया है।

सीएम की बढ़ी चिंता, महाकाल से की प्रार्थना

जांच रिपोर्ट के नाम पर लीपापोती

  • 17 दिसंबर 2017 को बैरागढ़ स्थित शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में भीषण आग लगी। इसमें व्यापारियों का करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। आज तक किसी पर एक्शन नही हुआ।
  • सतपुड़ा भवन में 12 जून 2023 को शाम 4 बजे भीषण आग लगी थी। 14 घंटे में काबू पाया गया। जांच में कुछ नहीं हुआ।
  • 20 फरवरी 2024 को फिर सतपुड़़ा के उसी फ्लोर में लगी आग, जांच नहीं हुई।

सरकार को चाहिए कि तत्काल संज्ञान ले, नगर निगम को दें शक्तियां

नगर निगम बगैर फायर सेफ्टी एक्ट के इस प्रकार के गेमिंग जोन के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाएगा। सरकार को चाहिए कि तत्काल इस मामले में संज्ञान लेकर नगर निगम को शक्तियां प्रदान करें। ऐसा नहीं होने से शहर में गली-गली ऐसे गेमिंग जोन पनपते जाएंगे। बाजारो में भी कोई फायर सेफ्टी को जरूरी नहीं समझेगा।

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