
गुजरात के राजकोट गेम जोन में हुए दर्दनाक हादसे के बाद एमपी में भी अलर्ट
Game Zone in Bhopal: गुजरात के राजकोट में गेमिंग जोन में हुए भीषण अग्निकांड के बाद जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड में है। इस हादसे के बाद पत्रिका टीम ने भोपाल शहर के अलग-अलग इलाकों और प्रमुख शॉपिंग मॉल में चलने वाले गेमिंग जोन का जायजा लिया। पड़ताल में पता चला कि गेमिंग जोन रंगीन रोशनी और बड़े-बड़े अंधेरे कमरों में संचालित हो रहे हैं। जहां हजारों टन प्लास्टिक के खेल खिलौने के सिस्टम लगे हैं। बिजली के असंख्य वायर पूरे हॉल में फैले हुए दिखे। दीवारों पर नक्काशी के लिए थर्माकोल और प्लाईवुड, सनमाइका का इस्तेमाल हुआ है। अधिकतर गेमिंग जोन में गैस से चलने वाले प्रेशर बूस्टर स्पोट्र्स एक्टिविटी सिस्टम भी हैं। जो बेहद ज्वलनशील गैस है। किसी भी प्रकार के शॉर्ट सर्किट पर आग बुझाने के लिए गिनती के फायर एक्सटिंग्विशर मौके पर नजर आए। गेमिंग जोन में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट कहीं नजर नहीं आया। फायर सेफ्टी एक्ट लागू न होने के कारण नगर निगम भी इन पर कोई कार्रवाई करने में असमर्थ है।
न्यू मार्केट नए और पुराने शहर का सबसे बड़ा बाजाार। सामान्य दिनों में 20 से 25 हजार की भीड़ रहती है। फायरब्रिगेड का मुख्य दफ्तर भी पास ही है लेकिन भीड़ मुश्किलें खड़ी कर सकती है। चौक बाजार पुराने शहर का सबसे महत्वपूर्ण और व्यस्त बाजार। कुछ जगहों पर दोपहियां फायर ब्रिगेड गाडिय़ां खड़ी रहती हैं। बड़ी आग में ये कारगर नहीं। सामान्यत: 10 हजार लोग यहां रहते हैं। लखेरापुरा कपड़ों और प्लास्टिक का प्रमुख बाजार। फायर ब्रिगेड का कोई वाहन नही। संकरी गलियों में इनका जाना मुश्किल। त्योहारी सीजन में 152 0 हजार लोग रहते हैं। जुमेराती बाजार किराना, तेल और खानपान के साथ इलेक्ट्रॉनिक का बड़ा बाजार। पहले जनकपुरी के पास नगर निगम की गाड़ी खड़ी रहती थी। एक वक्त में करीब 5000 लोग रहते हैं।
भोपाल शहर में करीब 1500 कोचिंग सेंटर्स हैं, लेकिन 80 फीसदी में आग से बचाव इंतजाम अधूरे हैं। एमपी नगर में हर जगह वाहनों की कतार और गुमठियों का कब्जा है। पुराने शहर में सकरी गलियों में फायर ब्रिगेड जा नहीं सकती।
गर्मी के दिनों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। क्योंकि, दुर्घटनाएं कभी कहकर नहीं आतीं। इसलिए आग लगने की घटनाओं पर सतर्कता जरूरी है।
वातावरण में ऑक्सीजन का लेवल (Oxygen level) अमूमन 21 प्रतिशत होता है। जब कहीं आग लगती है तो वहां ऑक्सीजन लेवल कई बार घटकर 4-6 प्रतिशत रह जाता है। ऐसे में दम घुटने से चंद सेकेंड में मौत हो जाती है। घर में आग लगने के प्रमुख कारण शॉर्ट सर्किट का होना माना जा रहा है।
नगर निगम के जो फायर सब स्टेशन (Fire Sub Stations) हैं, वे अपने से आठ से दस किमी के क्षेत्र को कवर कर रहे हैं। इससे आग लगने पर राहत और बचाव कार्य शुरु होने में समय अधिक लगता है। नेशनल एडवायजरी (National Advisory) के तहत दो लाख की आबादी और एक से तीन किमी के क्षेत्र में एक फायर स्टेशन (Fire Station) होना चाहिए, सिर्फ 11 फायर सब स्टेशन ही हैं। इनमें आठ ही सक्रिय हैं।
नगर निगम बगैर फायर सेफ्टी एक्ट के इस प्रकार के गेमिंग जोन के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाएगा। सरकार को चाहिए कि तत्काल इस मामले में संज्ञान लेकर नगर निगम को शक्तियां प्रदान करें। ऐसा नहीं होने से शहर में गली-गली ऐसे गेमिंग जोन पनपते जाएंगे। बाजारो में भी कोई फायर सेफ्टी को जरूरी नहीं समझेगा।
-शाबिस्ता जकी, नेता प्रतिपक्ष
Updated on:
27 May 2024 10:33 am
Published on:
27 May 2024 10:32 am
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