
Artificial Intelligence : मधुमेह इतना आम होता जा रहा है कि, हर दूसरे घर में इसके मरीज मिलने लगे हैं। ये रोग आंख, त्वचा, ह्रदय, किडनी समेत शरीर के कई हिस्सों पर असर डालता है। इसी की रोकथाम में अब एआई मरीज का बेस्ट फ्रेंड बनने जा रहा है। डायबिटीज के पूर्वानुमान से लेकर रोग होने पर उसमें कितनी दवा खानी और कैसे इसे कंट्रोल करना है, ये सारी जानकारी अब एआई आपको बताएगा।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के निजी क्लीनिक में टाइप वन मरीजों में इंसुलिन की मात्रा एआई आधारित पंप तय कर रहा है। 5 लाख के इस पंप को प्रति माह चलाने के लिए 20 लाख रुपए का खर्च आता है जो मरीज टाइप वन डायबिटीज के हैं, उनमें ये ग्लूकोज (शुगर लेवल) की मात्रा चेक कर इंसुलिन इंजेक्ट करता है।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) ने एआई आधारित टेक्नोलॉजी बनाई है। ये मॉडल ग्लूकोज का डेटा प्रोसेस कर प्रमुख पैटर्न की पहचान करता है। ये मॉडल सफल रहता है तो मधुमेह को कंट्रोल करने और इलाज के खर्च को कम करने में मदद मिलेगी।
मौजूदा समय में 5 टाइप वन मरीजों में एआइ आधारित पंप से इंसुलिन देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इससे एआइ शरीर में ग्लूकोज लेवल के आधार पर खुद दवा को इंजेक्ट कर देता है। ऐसे कई प्रोजेकट पर दुनियाभर में काम चल रहा है।
Published on:
27 Feb 2025 01:06 pm
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