
भोपाल। भारत भवन में चल रहे तीन दिवसीय संत वाणी समारोह का समापन हो गया। सुबह की सभा में संत साहित्य और हमारा समाज विषय पर विचार सत्र का आयोजन किया गया। इस दौरान सुधीर मोता, अंशुबाला मिश्रा एवं धर्मेंद्र पारे का वक्तव्य हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए देवेंद्र दीपक ने कहा कि संत हमारे समाज के मनोचिकित्सक हैं। उनकी वाणी और उनके लिखे नुस्खे में पथ्य भी है और आहार भी है। यह नुस्खा काल सिद्ध है। गुण धर्म में यह नुस्खा आयुर्वेद का काढ़ा है। ये मनोचिकित्सक शहर-शहर और गांव-गांव जाकर जनता की सेवा करते हैं। डॉ. दीपक ने व्यंग्य के लहजे में कहा कि आपको चिकन चाहिए, लेकिन कबीर दास खिचडी से संतुष्ट हैं। हमें वेलेंटाइन के दिन बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड चाहिए लेकिन संतों का परमानेंट वैलेंटाइन राम हैं।
पारंपरिक राग-ताल ने भक्ति रस से किया सरोबार
अंतिम दिन शाम की सभा में पं. बलवंत पुराणिक तथा पं. अजय पोहनकर की भक्ति रस से श्रोताओं को भिगो दिया। कार्यक्रम की शुरुआत पं. बलवंत पुराणिक व साथियों ने ताल रुपक पर मिश्र मांझ खमाज राग में तुलसीदास रचित श्री राम चंद्र कृपाल भज मन... के गायन के साथ की। इसके बाद भजनी ताल पर राग पहाड़ी में मीराबाई के पद बंसीवाले को जाने नहीं दूंगी... सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी क्रम में उन्होंने कबीरदास के पद डर लागे और हांसि आए... को धुमाली ताल पर राग पटदीप में प्रस्तुत किया।
राधा तेरी मुरलिया बैरी...
इसके बाद भजनी ताल पार राग देस में संत नरहरि के भजन धीरे-धीरे झूलो नंदजी के लाला की प्रस्तुति दी। द्रुत भजनी ताल पर राग किरवानी में मीराबाई का भजन राधा तेरी मुरलिया बैरी... सुनाई। कार्यक्रम को जारी रखते हुए धुमाली ताल मपर राग मांझ खमाज में छितस्वामी के भजन राधिका श्याम सुंदर की प्यारी... सुनाया। अंत में भजनी ताल पर राग मालकौंस में मीरा के पद मोहे लागी लगन गुरु चरनन की... की सुरमयी प्रस्तुति दी। प्रस्तुति में अंबरीष गंगराड़े ने सितार, वीरेंद्र कोरे ने बांसुरी एवं मनोज पाटीदार ने तबले पर संगत दी।
Published on:
01 May 2023 11:00 pm
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