शिकायत लिखाने आए पीड़िता के पिता को पुलिस ने कई घंटों तक सीमा विवाद के नाम पर परेशान किया। कोई भी पुलिस थाना घटना स्थल को अपने क्षेत्र में मानने को तैयार नहीं था। जिसे देख पीड़िता के पिता का दर्द फूट पड़ा। पीड़िता के पिता के मुताबिक हम अपने आप से तो लड़ ही रहे हैं, लेकिन सिस्टम ने हमें तोड़ कर रख दिया। 11 घंटे तक हमें सीमा विवाद में उलझाए रखा। इसके बाद बड़ी मुश्किल से केस दर्ज किया गया।
पीड़िता के पिता का कहना है कि अब बस हमें बेटी का ख्याल रखना है। उसका इलाज चल रहा है। दो दिन बाद वह कुछ ठीक से बोल पा रही है। उसने बस इतना कहा- पापा उन्हें सजा मिलनी चाहिए।
जानकारों के मुताबिक ऐसे में सबसे पहले यह सवाल उठना जायज ही है कि क्या गैंगरेप के समय पुलिस थाना बंद था या वहां बैठे पुलिस वाले नशे में सो रहे थे, इन सवालों के उठने का सबसे बड़ा कारण ये है कि दरिंदे तीन घंटे तक स्टूडेंट के साथ गैंगरेप करते रहे और थाने की पुलिस को भनक नहीं लग सकी। बदमाशों ने लड़की से तब गैंगरेप किया, जब वो विदिशा जाने के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए हबीबगंज रेलवे स्टेशन जा रही थी। पुलिस ने इस मामले में 3 आरोपियों को अरेस्ट किया है जबकि एक फरार है।
पीड़िता ने पुलिस को बयान में बताया है कि ट्रेन छूटने का वक्त हो रहा था। ऐसे में मैं शाम करीब 7:30 बजे तेज कदमों से हबीबगंज रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक की ओर कच्चे रास्ते से जा रही थी। वहां अमर नशे की हालत में दोस्तों के साथ बैठा था। मुझे अकेला पाकर पकड़ लिया और अपने साथी गोलू को आवाज दी। मैंने उससे छूटने के लिए हाथ-पैर चलाने शुरू कर दिए। इसी बीच गोलू भी आ गया। दोनों ने मुझे कसकर पकड़ लिया।
मैंने उन दोनों से संघर्ष शुरू कर दिया। हाथापाई में हम तीनों लोग नाले के पास बने 10-12 फीट गहरे गड्ढे में गिर गए। मैंने उनसे लड़ना नहीं छोड़ा। आरोपी मुझे खींचते हुए नाले के अंदर ले गए। आधे घंटे तक संघर्ष करने के बाद मैं निढाल सी हो गई। तो उन लोगों ने मेरे साथ रेप किया, हाथ पीछे बांध दिए थे। जब मैं बेहोश हो गई तो आरोपी वहां से भाग गए।
वहीं पीड़िता के पिता के मुताबिक 31 अक्टूबर रात एक अनजान नंबर से बेटी फोन आया। उसकी आवाज भी नहीं निकल रही थी। उसने बताया मैं हबीबगंज आरपीएफ ऑफिस में हूं। पहुंचा तो बेटी सहमी हुई खड़ी थी। उसकी यह हालत देख मैं उसे घर ले आया। यहां लड़खड़ाते शब्दों में उसने घटना के बारे में बताया। बेटी को दिलासा देने के बाद बुधवार सुबह साढ़े 9 बजे उसे पत्नी के साथ लेकर एमपी नगर पुलिस स्टेशन पहुंचे। ड्यूटी पर तैनात एसआई आरएम टेकाम मिले। उन्होंने हमारी पूरी बात भी नहीं सुनी और हबीबगंज थाने जाने को कह दिया। बेटी और पत्नी को लेकर हबीबगंज थाने पहुंचा।
इसके बाद में हबीबगंज टीआई के मामला दर्ज करने की बात कहने पर रात साढ़े 8 बजे जीआरपी हबीबगंज ने हमारी शिकायत पर अज्ञात चार आरोपियों पर मामला दर्ज किया।
गोलू उर्फ बिहारी (25), अमर उर्फ गुल्टू (25) और राजेश उर्फ चेतराम (50) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया है। चौथा आरोपी रमेश उर्फ राजू अभी फरार है। वह खानाबदोश है।
आरोपियों की गिरफ्तारी की जल्दी में जीआरपी एक निर्दोष को घर से उठा लाई। दो दिन लॉकअप में बर्बरता की गई। एसपी रेल अनीता मालवीय ने मीडिया को जानकारी भी दे दी कि चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन बाद में असलियत पता चली कि पुलिस चौथे आरोपी रमेश उर्फ राजू की जगह राजेश राजपूत उर्फ राजू नामक शख्स को ले आई है। छात्रा द्वारा राजेश को आरोपी मानने से इनकार करने के बाद पुलिस ने उसे छोड़ दिया।
वहीं पुलिस का कहना है कि आरोपियों गोलू बिहारी, अमर उर्फ छोटू, राजू उर्फ राजेश और रमेश के परिजन ने मुंह मोड़ लिया है। वे आरोपियों के बारे में बात तक करना नहीं चाहते। परिजन को जब तक इस घटना का पता चला, तब तक पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए आ चुकी थी। परिजन आरोपियों से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहते।
आरोपी गोलू की पत्नी ने कहा कि वो मीडिया के सामने नहीं आना चाहती हैं। उसके पति ने गलत काम किया है। उनका कहना है कि अगर लोगों को ये पता चला कि गोलू ही उसका पति है तो वो मारपीट कर सकते हैं। वहीं अमर की पत्नी ने कहा कि हमारे दो बच्चे हैं। पति गलत काम किया है। मैं उनसे ना तो मिलने गई और ना ही मिलने जाऊंगी।
पुलिस का मानना है कि गोलू और अमर को जुआ खेलने और नशे की लत है। ये लोग सुबह से कबाड़ इकट्ठा करते हैं और दोपहर तक उसे बेच देते हैं। जो रुपया मिलता है, उससे पूरे दिन जुआ खेलते हैं और नशा करते हैं। 3 साल पहले गोलू पर GRP ने 5 दिन की बच्ची को रेलवे ट्रैक पर छोड़ने का मामला दर्ज किया था। उस समय गोलू के साथ महिला को भी अरेस्ट किया गया था।