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हॉकी का हिन्दोस्तां के दिल से है खास नाता, जानिये यह शहर कैसे बना इस खेल की नर्सरी…

भारत में इस खेल को 100 वर्ष से भी ज्यादा समय...

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हॉकी का देश के दिल में से है खास नाता, जानिये यह शहर कैसे बना इस खेल की नर्सरी...

भोपाल। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी आज से करीब 4000 साल पहले अस्तित्व में आया था। भारत में इस खेल को 100 वर्ष से भी ज्यादा समय हो गया है। इस खेल का भारत के ह्दय यानि भोपाल से खास नाता रहा है। यहां के पूराने नवाबों का हॉकी को आगे बढ़ाने में काफी योगदान रहा है, जिसे भूलाया नहीं जा सकता।

हॉकी की नर्सरी रहे भोपाल में हॉकी ने 63 सालों तक अपना वर्चस्व रखने के बाद अपना वजूद खोना शुरू कर दिया, इसी को देखते हुए एक बार फिर हॉकी को बढ़ावा देने के लिए एक प्रतियोगिता की जा रही है। इसके तहत भोपाल में ऑल इंडिया मेयर ट्रॉफी दीन दयाल उपाध्याय गोल्ड कप मेन्स हॉकी होनी है।

दरअसल हॉकी की शुरुआत ईरान से हुई थी। इसके बाद में कई देशों में यह खेल खेला गया। लेकिन इस खेल को विशेष महत्व भारत में ही दिया गया। पर क्या आप जानते हैं भोपाल ने इसे अपने वर्चस्व तक पहुंचाने के लिए क्या कुछ किया या कैसे हॉकी भोपाल रियासत का पसंदीदा खेल बना? नहीं तो हम आज आपको बताते हैं भोपाल से जुड़ी हॉकी की कहानी के बारे में...

दरअसल नवाबों ने हॉकी के खिलाडिय़ों को प्लेटफॉर्म देने के लिए कई प्रयास किए और इसी के तहत औबेदुल्ला गोल्ड कप जैसा अवॉर्ड और रिवार्ड अस्तित्व में आया? ...

ऐसे हुई शुरुआत
आजादी से पूर्व नवाबी शासनकाल में भी भोपाल में हॉकी का खेल खेला जाता रहा है। इस खेल के प्रति यहां दीवानगी की हालत इस कदर थी कि कुछ ही समय में हॉकी प्लेयर्स की संख्या कई गुना तक बढ़ती गई।
हॉकी के प्रशंसक और खिलाडिय़ों की संख्या तो बढ़ती रही लेकिन इसी बीच खिलाडिय़ों के हौसले तब टूटने लगे, जब उन्हें इस खेल के लिए कोई बेहतर प्लेटफॉर्म नहीं मिला।

इसके बाद देश के इस राष्ट्रीय खेल के खिलाडिय़ों की इस परेशानी को भोपाल रियासत के नवाबों ने ही दूर कर दिया। जिसके चलते वर्ष 1931 में नवाबों ने अंतरराष्ट्रीय औबेदुल्ला खां गोल्ड कप की शुरुआत की थी। ज्ञात हो कि 1931 से लेकर 2001 तक इसका आयोजन 63 बार किया जा चुका है।

विवाद ने लगाया ग्रहण
2001 तक 63 बार हो चुके इस आयोजन के बाद 2002 से लेकर 2009 तक इसका आयोजन किन्हीं कारणवश नहीं हो सका। इसके बाद पुन: 2010 में इसे 64वें टूर्नामेंट के रूप में शुरू किया गया।

2011 में 65वें और 2012 में 66वें औबेदुल्ला खां गोल्ड कप की शुरुआत हुई। लेकिन इसके बाद इस टूर्नामेंट पर ग्रहण सा लग गया। भोपाल हॉकी एसोसिएशन और खेल विभाग के विवाद के चलते अभी तक इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट की शुरुआत ही नहीं हो सकी।

वापस नहीं आया सिल्वर कप...
2012 में अंतरराष्ट्रीय औबेदुल्ला खां गोल्ड के फाइनल में विजेता (एयर इंडिया) को गोल्ड कप और उप विजेता (इंडियन ऑयल कारपोरेशन) को सिल्वर कप प्रदान किया गया था। इसमें विजेता ट्रॉफी (गोल्ड कप) खेल विभाग के स्टोर रूप में रखी थी। जो विभाग ने कोर्ट के आदेश के अनुसार भोपाल हॉकी एसोसिएशन को लौटा दी। लेकिन सिल्वर कप उप विजेता टीम आईओसी के पास है। इसके लिए खेल विभाग ने मप्र राज्य पुरुष अकादमी के कोच हबीब हसन को सिल्वर कप लाने के लिए भेजा, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

घटा दी विनिंग प्राइज
2012 में औबेदुल्ला खां गोल्ड कप के फाइनल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने टूर्नामेंट की राशि को बढ़ाकर विजेता को 51 लाख और उपविजेता को 21 लाख और तीसरा स्थान पाने वाली टीम को 11 लाख देने की घोषणा की थी।

वहीं 2012 में विजेता को 21 लाख और उपविजेता को 11 लाख की राशि मिली थी। जबकि इससे पहले 2010 में विजेता को 51 लाख रुपए की राशि दी जाती थी।

लड़ाई के चलते तोड़ा दम...
नवाबों के दौर से शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय औबेदुल्ला खां गोल्ड कप ने संघों की आपसी लड़ाई के चलते दम तोड़ दिया। इससे हॉकी की नर्सरी भोपाल में हॉकी के दिवानों को गोल्ड कप का कई साल से देखने को नहीं मिल पाया है।

ऐसे में अब एक बार फिर भोपाल में हॉकी को बढ़ावा देने के लिए आयोजन किया जा रहा है। दरअसल भोपाल में ऑल इंडिया मेयर ट्रॉफी दीन दयाल उपाध्याय गोल्ड कप मेन्स हॉकी होनी है।

चैंपियनशिप देश भर से 16 टीमों के बीच खेला जाएगा। चैम्पियनशिप के चैंपियन को 3 लाख रुपये के पुरस्कार राशि से सम्मानित किया जाएगा।

इसके अलावा, प्रतिस्पर्धा के विजेता, धावक-अप टीमों सहित तीसरी और चौथी पोजीशन जीतने वाली टीमों को आकर्षक ट्रॉफी और नकद पुरस्कार, साथ ही साथ सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी, सर्वश्रेष्ठ गोल कीपर, बेस्ट फुल बेक, सर्वश्रेष्ठ बालों के लिए इनाम प्रदान किया जाएगा। बेक और बेस्ट फॉरवर्ड।

बुधवार को मीडिया के लोगों को चैम्पियनशिप के बारे में जानकारी देते हुए महापौर आलोक शर्मा ने कहा, "भोपालियों के बीच खेलों को बढ़ावा देने के लिए, चैंपियनशिप आयोजित की जा रही है। भारत की लगभग 16 प्रतिष्ठित हॉकी टीम प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं।

मैच 12 अगस्त तक मेजर ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम में खेले जाएंगे। वहीं शर्मा ने यह भी कहा कि पिछले साल, अखिल भारतीय राजमाता विजयराज सिंधिया गोल्ड कप महिला हॉकी प्रतियोगिता महिला हॉकी को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम द्वारा सफलतापूर्वक आयोजित की गई थी। इस साल, एक ही चैम्पियनशिप 13 अगस्त को आयोजित की जाएगी जिसमें अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय टीम भाग लेंगे।