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भोपाल. सरकार प्रदेश में ब्लड ट्रांसफ्यूजन को बढ़ावा देने के लिए तमाम प्रयास कर रही है। लेकिन हकीकत यह है कि रक्तदान करने वालों को रिफ्रेशमेंट के नाम पर पानी तक नहीं मिल रहा। यही नहीं रक्तदान करने के बाद डोनर के हाथ में बेंडेज तक नहीं लगाई जाती है। हमीदिया अस्पताल से लेकर अन्य सरकारी ब्लड बैंकों में यही हाल हैं। ब्लड बैंक प्रबंधन इसके पीछे नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गनाइजेशन (नाको) से बजट कम होने का बहाना बनाते हैं। डोनर से ब्लड प्रोसेसिंग के लिए 1450 रुपए शुल्क लेते हंै। इसमें 25 रुपए रिफ्रेशमेंट व दवाओं के लिए 10 रुपए होते हैं। प्रदेश में हर साल तीन लाख यूनिट स्वैच्छिक रक्तदान हो रहा है। इसमें 70 हजार यूनिट मेडिकल कॉलेजों और 2 लाख 30 हजार यूनिट जिला अस्पतालों के ब्लड बैंक में आता है। अगर हमीदिया अस्पताल की बात करें तो यहां हर साल 30 हजार यूनिट स्वैच्छिक रक्तदान होता है।
रिफ्रेशमेंट के लिए अतिरिक्त बजट मिलता है बैंकों को
ब्लड बैंक भले ही इसके लिए बजट की कमी का बहाना बनाते हों,पर हकीकत में इन्हें तय मानक से ज्यादा बजट दिया जा रहा है। स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के मुताबिक ब्लड बैंकों को एनएचएम द्वारा रिफ्रेशमेंट के लिए 25 रुपए प्रति व्यक्ति के साथ एसटीबीटी 12.5 रुपए देता है। इनको रिफ्रेशमेंट के लिए 37.5 रुपए दिए जाते हैं।
रिफे्रशमेंट : ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट करने वालों को रिफे्रशमेंट में हाई एनर्जी ड्रिंक देने का प्रावधान है। इसमें मल्टी विटामिन, मिनरल्स, काबोहज़इड्रेट आदि चीजें होती हैं। इसमें कहीं-कहीं डोनर को बिस्किट, पानी और फ्रूटी दी जाती है।
रुई लगा कर छोड़ देते हैं डोनर को
नियमों के मुताबिक रक्तदान के बाद निडिल वाली जगह पर खून ना निकले इसके लिए सिर्फ रुई लगा कर हाथ मोड़कर रखने को कहा जाता है, जबकि इस जगह पर बेंडेज लगाना चाहिए। आरटीआइ मेें जब इस बारे में पूछा गया तो हमीदिया अस्पताल प्रबंधन ने इसके पीछे बजट न होने का कारण बताया।
हम ब्लड बैंकों को कुल 37.5 रुपए रिफ्रेशमेंट के लिए देते हैं। रिफ्रेशमेंट नहीं दिया जा रहा है तो यह गलत है।
राकेश मुंशी, संयुक्त संचालक, एसबीटीसी
Published on:
05 Feb 2020 03:08 am
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