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देखते ही देखते बदल गया प्रदेश में सियासी समीकरण, बसपा के इनकार ने कांग्रेस को मुश्किल में डाला!

भाजपा-कांग्रेस के वोट बैंक पर सीधा असर...

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Mayawati

मायावती

भोपाल। बसपा प्रमुख मायावती की अकेले चुनाव लडऩे की घोषणा के बाद मध्यप्रदेश का सियासी समीकरण बदलता दिख रहा है। बसपा की नजर उस 40 फीसदी वोट बैंक पर है, जो सवर्ण आंदोलन के बाद राजनीतिक दलों को ध्रुवीकरण की उम्मीद जगा रहा है।

कांग्रेस की कोशिश गठबंधन कर उन वोटों का बिखराव रोकना था, जिसके कारण भाजपा जीतती रही है। तेज हुए सवर्ण आंदोलन ने गठबंधन की कोशिशों पर ब्रेक लगा दिया है। जानकारो की माने तो बसपा के इनकार ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है।

बसपा का पिछले चुनाव में वोट प्रतिशत 6.29 रहा और चार सीटों पर जीत हासिल की। 11 सीटों पर बसपा दूसरे नंबर पर थी। 17 सीटों पर 20 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे। इस बार उसकी प्रभावी उपस्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता। बसपा ने 2019 के महागठबंधन के लिए अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

बसपा के गठबंधन न करने का एक कारण प्रदेश में उसे राष्ट्रीय पार्टी दर्जा होना भी है। इसके लिए कम से कम छह फीसदी वोट आवश्यक हैं। गठबंधन से बसपा सीमित सीटों पर चुनाव लड़ती, जिससे वोट प्रतिशत कम होने की आशंका थी। पिछले चुनाव में बसपा 227 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें 194 सीटों पर जमानत जब्त हुई थी, लेकिन वोट शेयर छह फीसदी से ज्यादा था।

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सपाक्स और जयस निर्णायक भूमिका में
सपाक्स और जयस ने चुनावी परिदृश्य बदला है। 47 आदिवासी सीटों पर जयस की दावेदारी है। इनमें से 32 भाजपा और 15 कांग्रेस के पास हैं। सपाक्स भी 230 सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी में है। उसकी नजर 148 सीटों पर है। इनमें से 106 भाजपा और 39 कांग्रेस के पास हैं। प्रदेश में अजा का 17 फीसदी और अनुसूचित जनजाति का २२ फीसदी वोट शेयर है।

दोनों के लिए 82 सीटें आरक्षित हैं। इनमें से 60 भाजपा, 18 कांग्रेस और तीन बसपा के पास हैं। गठबंधन न होने का सबसे ज्यादा असर इन्हीं सीटों पर पड़ेगा। बसपा भी यहीं दांव खेलने की फिराक में है।

बसपा ग्रासरूट लेवल पर काम कर रही है। अभी तक 75 सीटें जीतने की स्थिति में है।
- प्रदीप अहिरवार, प्रदेश अध्यक्ष, बसपा

गठबंधन न होने से कांग्रेस को नुकसान नहीं है। बसपा पहले भी कांग्रेस के खिलाफ लड़ चुकी है।
- भूपेंद्र गुप्ता, उपाध्यक्ष, मीडिया, कांग्रेस

पिछले तीन चुनाव के परिणाम बताते हैं कि भाजपा ने सभी समीकरण साधे हैं। भाजपा को इससे राजनीतिक फायदा होगा।
- रजनीश अग्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा