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चेंजमेकर गोविंदपुरा विधानसभा, वक्त है अब बदलाव का

locationभोपालPublished: Oct 13, 2018 09:16:46 am

गोविंदपुरा क्षेत्र के चेंजमेकर उमाशंकर तिवारी का मानना है कि अब खुद आगे आना होगा तभी बदलाव की बयार देखने को मिलेगी…

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भोपाल@प्रवेंद्र तोमर की रिपोर्ट…

पत्रिका 2018-23 के तहत गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में जन एजेंडा में चेंजमेकर ने अपनी अलग राय दी। उनका कहना है कि अब खुद आगे आना होगा तभी बदलाव की बयार देखने को मिलेगी।
संभावित दावेदार- उमाशंकर तिवारी (चेंजमेकर )
बाबूलाल गौर, आलोक शर्मा(भाजपा )

रामबाबू शर्मा, गिरीश शर्मा (कांग्रेस )
मनोज पाल (आम आदमी पार्टी )

 

जनता ने तय किया अपना एजेंडा, विकास नहीं, वोट नहीं

जन एजेंडा 2018-23 गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में कई बड़े मुद्दे हैं जिनको हर बार चुनावों में वोट मांगने वाले प्रत्याशी ताजा कर देते हैं, लेकिन वे पूरे नहीं होते। सड़क, पानी, बिजली, सीवर, डिस्पेंसरी, छात्राओं के लिए कॉलेज , परिवहन, स्ट्रीट लाइट जैसी समस्या आज भी जस की तस बनी हुई हैं।

चेंजमेकर उमाशंकर तिवारी का कहना है कि 20 साल बाद भी लोगों के घरों के बाहर सीवर बह रहा है। रात को जाना हो तो परिवहन की सुविधा नहीं है।


1. स्वास्थ्य- क्षेत्र में इलाज के लिए आस-पास कोई डिस्पेंसरी या कोई बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं है, जबकि लोग इन मूलभूत जरूरतों को लेकर सीएम से लेकर अन्य जिम्मेदारों के यहां फरियाद कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

 

इस बार चुनावों से पहले लोगों ने खुद अपना एजेंडा तैयार किया है। जिसमें स्वास्थ्य को प्राथमिकता से रखा गया है।

2. पानी- क्षेत्र में पानी की बड़ी समस्या है, नर्मदा पाइप लाइन कई वार्डों में आ गई है, लेकिन ज्यादातर में सप्लाई को पुरानी पाइप से जोड़ दिया गया है। इस कारण पानी की सप्लाई में गंदगी मिल कर लोगों के घरों तक पानी में पहुंच रही है। इससे लोगों को पीने का पानी तक खरीदकर पीना पड़ रहा है।
3. सीवेज- इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। आज भी सीवेज अनियंत्रित तरीके से सड़कों पर बहता है, लोगों का कहना है कि इस बार पार्टी प्रत्याशी वोट मांगने आएंगे तो उन्हें साक्षात इन समस्याआें से रूबरू कराएंगे।
4. शिक्षा- शिक्षा के क्षेत्र में छात्राओं के लिए कोई बड़ा कॉलेज इस क्षेत्र में नहीं है, इस कारण छात्राओं को काफी दूर के कॉलेजों में एडमिशन के लिए जाना पड़ता है। अगर क्षेत्र में एक कॉलेज छात्राओं के लिए खुल जाए तो काफी राहत मिले।
5. स्ट्रीट लाइट– क्षेत्र में मुख्य सड़कों को छोड़कर बाकी अंदर की कॉलोनियों में पर्याप्त लाइट की व्यवस्था नहीं है। रात में लोगों को घरों से बाहर जाने में एक बार सोचना पड़ता है। मजबूरी में ही लोग घरों के बाहर जाते हैं। कहीं-कहीं सड़कों पर खम्बे लगे हैं, लेकिन उन पर लाइट नहीं है।
6. ट्रांसपोर्ट- चंद बसों को छोड़कर क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। उनके भी चक्कर कम हैं। इस कारण बागमुगालिया के बड़े क्षेत्र में बस चुकी कॉलोनियों के लोगों को परेशानी होती है।
7. इंडस्ट्रीयल एरिया उपेक्षित- गोविंदपुरा में इंडस्ट्रीयल एरिया काफी बड़ा क्षेत्र है। लेकिन ये सालों से उपेक्षा का शिकार है। यहां न तो सड़कें बची हैं और न पानी की प्रॉपर व्यवस्था। अतिक्रमण की समस्या अलग है। क्षेत्र में अतिक्रमण इस कदर हो गया है कि जहां देखो वहां झुग्गियां तनी दिखाई देती हैं।
8. बेरोजगारी- क्षेत्र में बेरोजगारी बड़ी समस्या है, इंडस्ट्रीयल एरिया में मजदूर वर्ग भी बाहर से काफी आकर बस गया है। इन लोगों पर भी कभी-कभी काम नहीं होता। पार्टी अपने घोषणा पत्र में वादे बड़े-बड़े कर देती है, लेकिन हल कुछ नहीं निकलता।
गोविंदपुरा क्षेत्र से चेंजमेकर सुनील दुबे का कहना है कि अब यह बदलाव का समय है। पार्टी प्रत्याशी चुनाव जीतने के बाद अपने प्रतिनिधि बना देते हैं। जनता से उनका सीधा संवाद कम हो जाता है। मगर चेंजमेकर एेसा नहीं करेंगे वे जनता के बीच जाकर उनकी समस्या को जानेंगे और समाधान करने के पूरे प्रयास करेंगे। जनता से सीधा जुड़ाव ही उनका समाधान होगा।
ड्रेनेज सिस्टम- गोविंदपुरा क्षेत्र में डे्रनेज सिस्टम की सबसे बड़ी समस्या है। बरसात के दिनों में फैक्ट्रीयों में पानी भर जाता है। इससे काम प्रभावित होता है। कई-कई दिन तक क्षेत्र में गंदे पानी क बदबू फैली रहती है।
सड़क- क्षेत्र में सड़कों की स्थिति काफी समय से खराब है। यहां भारी वाहन आते हैं इस कारण अधिक मजबूत सड़कें बनाने की जरूरत है, लेकिन काम चलाउ सड़कों से वह बार-बार उखड़ जाती हैं। उनमें गड्ढे बन जाते हैं।
ट्रांसपोर्ट- क्षेत्र में ट्रोसपोर्ट की समस्या के ज्यादा है। होशंगाबाद रोड की कॉलोनियों को छोड़कर अंदर जाने वाले रास्ते भी खराब हैं। लंबे समय से सड़कें नहीं बनीं हैं। सड़कों पर स्ट्रीट लाइट नहीं है, इस वजह से रात को लोगों को परेशानी होती है। मिडी बसों को चलाने की प्लानिंग भी यहां फलीभूत नहीं हो पा रही है।
अतिक्रमण – गोविंदपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण ज्यादा हो गया है। बाहर से आया मजदूर वर्ग भी काफी है। जेके रोड के आस-पास बड़ी संख्या में झुग्गियां तन गईं हैं। भू माफिया भी यहां कब्जा करने के लिए फिराक में रहता है। कुछ दिन पहले यहां की कुछ जमीनों को कब्जों से मुक्त कराया गया था, लेकिन वहां फिर से कब्जे हो गए हैं।
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