
Chausathyogini Temple Jabalpur Chausathyogini Mandir Jabalpur
भोपाल. सावन के पवित्र माह में हम आपको प्रदेश के विख्यात शिव मंदिरों से रूबरू करा रहे हैं. इसके अंतर्गत आज प्रस्तुत है जबलपुर का विश्वविख्यात गौरीशंकर चौंसठयोगिनी मंदिर- यहां महादेव और माता पार्वती के दर्शनों का विशेष महत्व है. इतिहासकार बताते हैं कि 10 वीं शताब्दी में त्रिपुरी के कल्चुरी शासक युवराजदेव ने इसे बनवाया था.
मंदिर को लेकर मान्यता है कि भोलेनाथ और माता पार्वती भ्रमण करते हुए भेडाघाट पहुंचे थे. यहां सुवर्ण ऋषि तपस्या कर रहे थे. भगवान के दर्शन पाकर ऋषिवर बोले— हे देवाधिदेव, आपके दर्शन से तपस्या सफल हो गई है. एक प्रार्थना है कि जब तक मैं नर्मदा पूजन कर न आउं, तब तक आप यहीं ठहरें. उनकी प्रतीक्षा में भगवान यहीं विराजमान हो गए.
भगवान ने नर्मदा से कहा था कि वे दाएं की जगह बाएं ओर से प्रवाहित हों. इस पर नर्मदा ने कहा कि प्रभु मैं इतनी समर्थ नहीं कि चट्टानों के बीच से राह बना सकूं. तब भोलेनाथ ने चट्टानों को मुलायम कर दिया था. नर्मदा ने जब मार्ग बदला तो धुआंधार की उत्पत्ति हुई और एक किमी के मार्ग की चट्टानें धवल हो गईं.
Published on:
26 Jul 2021 01:06 pm
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