
लोकसभा चुनाव 2019: कांग्रेस की इन तैयारियों से सदमे में भाजपा! पढ़ें पूरी खबर
भोपाल। लोकसभा के चुनावों को लेकर कांग्रेस व भाजपा दोनों से अपनी रणनीतियां तकरीबन तैयार कर ली हैं। ऐसे में हर कोई दूसरे की रणनीति को असफल करने के प्लान में भी जुट गया है।
वहीं सूत्र कहते हैं कि इसी बीच कांग्रेस की एक ऐसी रणनीति बाहर आ गई है, जिसके बारे में जानकारी लगते ही भाजपा के कई नेताओं को टेंशन हो गया है।
दरअसल 2014 की मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के सभी किले उखाड़ दिए थे। जिसके कारण कांग्रेस मध्यप्रदेश की 29 में से सिर्फ दो सीटों पर सिमट कर रह गई थी।
वहीं सूत्रों के अनुसार अब भाजपा की रणनीति से निपटने के लिए कांग्रेस ने भाजपा की ही रणनीति में से एक हिस्सा निकाल कर अपनी रणनीति को डेव्लप कर लिया है। जिसकी सूचना सामने आने पर भाजपा के नेताओं को इसकी तोड़ समझ नहीं आ रही है।
जानकारों के अनुसार विधानसभा चुनाव में मिली जीत से पार्टी और संगठन का मनोबल बढ़ा हुआ है। जिसके बाद अब कांग्रेस की निगह भाजपा की उन सीटों पर है जो उनका किला बन चुकीं हैं।
इनमें करीब 10 सीटों पर कांग्रेस पार्टी को दो दशकों से जीत नहीं मिली है। इसके लिए लगातार कांग्रेस संघर्ष कर रही है। इन सीटों पर राजधानी भोपाल समेत इंदौर और कई सीटें शामिल हैं।
ये है नई रणनीति...
दरअसल जानकारों के अनुसार भाजपा की मुख्य रणनीति अधिकतर कांग्रेस के बड़े नेताओं को उन्हीं के घरों में घेरने की रही है। ऐसे में सूत्र कहते हैं कि इस बार कांग्रेस ने भी भाजपा के दिग्गजों के किलों को घेरने की रणनीति बना ली है, ताकि वे वहीं फंस जाएं।
इसके पीछे का कारण लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अधिका सीटों पर जीत दिलाने और 2014 में अपनी ही सीटों पर दोबारा जीत पाने की योजना को बताया जाता है।
कांग्रेस की इस रणनीति में सबसे खास बात ये है कि इन्हें घेरने में कांग्रेस अपनी ज्याादा ताकत का इस्तेमाल नहीं करेगी ताकि उनके पूराने किले जो वे 2014 में हार गई थी वहां कोई दिक्कत न हो। इस नई रणनीतिक के तहत कुछ मजबूत चेहरों को कांग्रेस भाजपा के किलों से खड़ा करेगी।
जानकारों का कहना है ऐसा करने से भाजपा अटैक की जगह डिफेंस की स्थिति में आ सकती है। जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को अपनी पूरानी सीटों को वापस हासिल करने में होगा।
वहीं दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि चुकिं कांग्रेस अपनी शक्ति इस ओर ज्यादा नहीं लगाना चाहती अत: वे भाजपा को ही भाजपा से लड़ाना चाहते हैं। ताकि भाजपा नेता अपने क्षेत्र तक ही सीमित हो कर रह जाएं। यानि भाजपा के असंतुष्टों को ही कांग्रेस मदद कर आगे लाने की जुगत में है, जिसमें उनकी हर तरह से सहायता कांग्रेस करेगी। वहीं इसके अलावा जीत के बाद उन्हें पद देने के वादे भी किए जा सकते हैं। जो की भाजपा नेताओं की टेंंशन बढ़ाने का काम करेंगे।
इस संबंध में राजनीति के जानकार डीके शर्मा कहते हैं कि यदि कांग्रेस इस रणनीति से उतरी तो जहां एक ओर भाजपा से बगावत किया हुआ नेता कुछ भाजपा वोटों को भी उनकी ओर शिफ्ट करेगा, वहीं कांग्रेस के स्पोर्ट से वह काफी हद तक जीत का दावेदार भी होगा।
वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस कुछ जगह अपने नेताओं को भी इन क्षेत्रों में उतार सकती है,लेकिन वे नेता इतने मजबूत जरूर होंगे कि वे जिस सीट से भी खड़े हों वहां से भाजपा का नेता कहीं बाहर निकल ही नहीं सके।
वहीं इसके अलावा कांग्रेस के कुछ दिग्गज दो से तीन जगहों से भी चुनाव लड़ सकते हैं, जिनमें से उनकी एक सीट पूरी तरह से सुरक्षित होगी। लेकिन ऐसा करने से वे भाजपा नेताओं को उन्हीं की सीटों या जीत की संभावित सीटों पर ही रोककर रख सकते हैं।
ये है तैयारी...
सामने आ रही सूचना के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अब ऐसी दस सीटों पर लोकसभा चुनाव जीतने की रणनीति तैयार की है। वहीं इसके लिए कांग्रेस 27 जनवरी को एक बैठक करने जा रही है। इस बैठक में भाजपा की अभेद सीटों में सेंध लगाने पर चर्चा की जाएगी।
इन सीटों पर है बीजेपी का राज...
भाजपा के इन किलों में भोपाल, इंदौर, विदिशा, दमोह, सागर, भिंड, जबलपुर, सीधी, सतना व बैतूल की सीट शामिल हैं। वहीं इन भी सीटों पर जीत का परचम लहराने के लिए प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया एक बार फिर बैठक लेंगे। वह 27 जनवरी के लोकसभा क्षेत्र के प्रभारियों के साथ बैठक करेंगे।
बताया जाता है कि बावरिया इन सीटों पर जीत की योजना पर चर्चा करेंगे। उनका फोकस भाजपा की सीटों पर अधिक है। वह सभी प्रभारियों से लोकसभा चुनाव से पहले कामकाज की रिपोर्ट लेंगे। फिर ये रिपोर्ट दिल्ली जाएगी।
Published on:
24 Jan 2019 01:21 pm
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