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116 देशों के साथ सुल्तानिया अस्पताल का शोध, गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम

कोरोना की शुरुआत के बाद अफरातफरी का माहौल था। न इलाज की कोई गाइडलाइन थी, न इससे उबरने वाले मरीजों के नियम। पूरे देश में इलेक्टिव सर्जरी (रुटीन ऑपरेशन) पर रोक लगा दी गई थी।

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116 देशों के साथ सुल्तानिया अस्पताल का शोध, गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम

116 देशों के साथ सुल्तानिया अस्पताल का शोध, गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम

भोपाल. कोरोना की शुरुआत के बाद अफरातफरी का माहौल था। न इलाज की कोई गाइडलाइन थी, न इससे उबरने वाले मरीजों के नियम। पूरे देश में इलेक्टिव सर्जरी (रुटीन ऑपरेशन) पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन जब बिना इलाज गैर कोरोना मरीजों की स्थिति बिगडऩे लगी तब सुल्तानिया अस्पताल के शोध ने अन्य ऑपरेशन के लिए नए तरीकों की पहचान कराई। यही नहीं इस शोध के आधार पर गाइडलाइन तैयार की गई जो पूरे देश में लागू की गई।
कोरोना के शुरुआती दौर में इलाज की अनिश्चिताओं देखते हुए ब्रिटेन की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी की क्लीनिकल ट्रायल ग्लोबल सर्जरी यूनिट (ग्लोबल सर्च-कोविड सर्च) ने रिसर्च शुरू किया, जिसमें सुल्तानिया अस्पताल और एम्स भोपाल के अलावा 116 देशों के 1647 चिकित्सा संस्थान शामिल हुए। पांच लाख कोरोना मरीजों की स्थिति और लक्षणों के आधार पर जुटाए अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों के आधार पर नतीजे निकाले गए। यह दुनिया का पहला शोध है जिसमें एक साथ इतने देश व अस्पताल शामिल हुए। शोध को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया।

एक महीने तक एसे किया शोध
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी ने शोध में शामिल सभी चिकित्सा संस्थानों को प्रपत्र जारी किया। इसे इंटरनेशनल मल्टीसेंटर प्रोस्पेक्टिव स्टडी कहा गया। इसमें कोरोना मरीजों की जानकारी के साथ उनमें होने वाले बदलावों की जानकारी भी दी गई। वहीं कोरोना संक्रमण के छह हफ्ते बाद इलेक्टिव सर्जरी की गई। इसके साथ ही करीब एक महीने तक इन मरीजों का फॉलोअप किया गया। फॉलोअप के आंकड़ों को यूनिवर्सिटी भेजा गया।

यह निकले निष्कर्ष और बनी गाइडलाइन
आंकड़ों के आधार पर तय किया गया कि कोरेाना संक्रमण के चार हफ्ते के भीतर अन्य बीमारियों का ऑपरेशन करने पर मरीजों को खासा खतरा रहता है। इन मरीजों में पोस्ट ऑपरेटिव कॉम्प्लीकेशन के साथ खून में थक्का जमने जैसी दिक्कत हो सकती है। यही नहीं इससे मरीजों की मौत का भी खतरा था। एेसे मंे तय किया कि कोरोना संक्रमण के कम से कम ६ सप्ताह बाद ही कोई इलेक्टिव सर्जरी की जाए। शोध के आधार पर भारत के केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे कोरोना ट्रीटमेंट गाइडलाइन मंे शामिल किया।

कोरोना के शुरुआत में तय नहीं था कि कब तक सर्जरी टालें। एसे में शोध किया गया जिसमें हम भी थे। इसमें कोविड से रिकवर मरीजों की इलेक्टिव सर्जरी का तय करने में मदद मिली।
डॉ. अरुणा कुमार, एचओडी, स्त्री एवं प्रसूति विभाग, जीएमसी