एक अप्रेल तक 25 हजार लोगों के सैंपल लिए जाते थे। अब संख्या 50 हजार से अधिक पहुंच गई है। जांच केंद्र और किट की संख्या बढ़ाई जाए तो यह सैंपल 70 हजार के आसपास पहुंच जाएंगे। पचास हजार सैंपल में करीब 30 फीसदी आरटी पीसीआर जांच का प्रावधान है, लेकिन निजी, सरकारी अस्पतालों में इस अनुपात में जांच नहीं हो पा रहीं। लैब्स में पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से रिपोर्ट समय पर नहीं मिल रही।
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18 दिन से लगातार बढ़ाए जा रहे सैंपल
इस माह दो तारीख से लगातार कोरोना सैंपल की संख्या बढ़ाई जा रही है। एक अप्रेल को 25 हजार सैंपल लिए गए, इसके बाद 2 तारीख को 26 हजार। इसके बाद अब तक लगातार यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। ११ अप्रेल से 39 हजार तक जांच संख्या पहुंच गई है। इसके बाद 12 तारीख को 38 हजार से अधिक जांचें की गई थीं। इसके बाद भी केंद्रों पर कतार लगी रहती हैं।
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शासकीय केंद्रों के अलावा अब निजी जांच केंद्रों पर भी यही स्थिति देखी जा रही है। उधर निजी अस्पताल सरकार द्वारा तय रेट पर जांच करने तैयार नहीं हो रहे हैं। घर जाकर सैंपल लेने वाले भी मनमाने चार्ज वसूलने लगे हैं। भोपाल जिले में प्रतिदिन लगभग 5500 नमूने लिए जा रहे हैं, लेकिन किट की कमी के चलते सैंपलिंग में देर हो रही है।
ऐसे समझें जिलों में जांच के हालात
इंदौर: जिले में रोजाना औसतन 9 हजार सैंपल लिए जा रहे हैं। लक्ष्य 10 हजार से ज्यादा का है। प्रयोगशालाओं में जांच क्षमता चार हजार सैंपल की है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज की क्षमता दो हजार सैंपल की है। इससे देर हो रही है।
सतना: मेडिकल कॉलेज रीवा से आरटी पीसीआर जांच रिपोर्ट पांच दिन बाद आ रही है। ऐसे में कई बार इलाज में देरी से पीडि़तों की हालत नाजुक हो जाती है।
जबलपुर: जिले में नमूने लेने का लक्ष्य 25०० का है। वर्तमान में 2800 से 3 हजार के बीच जांच हो रही है।
दमोह: एटीओ ज्ञानू मंडावी ने दो दिन पहले जिला अस्पताल में सैम्पल दिए, लेकिन रेफरल नमूना फॉर्म आज तक जनरेट नहीं हुआ।
उज्जैन: तीन माह पहले तक एक हजार सैंपल जांच का लक्ष्य था, जिसे 1600 से 1650 सैंपल रोजाना कर दिया गया है।