जरूरत नहीं होने पर भी सीटी स्कैन और डी डिमर जैसे महंगे टेस्ट करवा रहे
अभी तक कोरोना संक्रमितों में हल्के लक्षण ही सामने आए हैं. डाक्टर्स का कहना है कि ज्यादातर मरीजों को केवल आरटी, पीसीआर टेस्ट की ही जरूरत है. डाक्टर्स ने मरीजों के आक्सीजन लेबल की होम मानीटरिंग की जरूरत भी जताई है लेकिन इसके बाद भी कुछ डाक्टर्स मरीजों से महंगे टेस्ट करवा रहे हैं. खासतौर पर निजी अस्पतालों में मरीजों से ये महंगे टेस्ट करवाए जा रहे हैं और इस पर आपत्ति भी जताई जा रही है.
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डाक्टर्स के एक समूह ने इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. इसके साथ ही देश के सभी राज्यों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी ये पत्र लिखा गया है. इस पत्र में डाक्टर्स के समूह ने ऐसी दवाओं और टेस्ट को रोकने के लिए कहा है जोकि वर्तमान हालात में कोराना के इलाज के लिए बिल्कुल जरूरी नहीं है. डाक्टर्स ने बताया कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रान के संक्रमण के बावजूद सीटी स्कैन, आइएल 6 जैसे महंगे ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहा जा रहा है जोकि बिल्कुल अनुचित है.
मध्यप्रदेश में भी ऐसी अनेक शिकायतें सामने आई हैं जब मरीजों या उनके परिजनों से महंगे टेस्ट कराने को कहा गया. डाक्टर्स ने सरकार से कोरोना के बेवजह टेस्ट और दवाओं का इस्तेमाल रोकने को कहा है. इतना ही नहीं, डाक्टर्स ने मरीजों को बिना कारण अस्पताल में भर्ती करने पर भी चिंता जताई है. डाक्टर्स ने साफ कहा है कि सरकार वही गल्ती दोहरा रही है जो दूसरी लहर में की गई थी. डा. डीके रंधावा बताते हैं कि 2021 की जानेलवा दूसरी लहर में की गई गल्तियां 2022 में दोहराना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है.
प्रमुख सुझाव
— ज्यादातर मरीजों को केवल आरटी, पीसीआर टेस्ट की ही जरूरत
— आक्सीजन लेबल की होम मानीटरिंग करें मरीज
— सीटी स्कैन और डी डिमर जैसे महंगे टेस्ट गैरजरूरी
— बिना गंभीर स्थिति के भी अस्पताल में भर्ती करना गलत