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शीत लहर से भगवान भी बेहाल, गर्म कपड़े, गर्भगृह में सिगड़ी,सोठ, मेवा, बाजरे के लड्डुओं का भोग

शीत लहर को देखते हुए मंदिरों की व्यवस्था में बदलाव, भगवान को धारण कराए गर्म कपड़े,

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- शीत लहर को देखते हुए मंदिरों की व्यवस्था में बदलाव, भगवान को धारण कराए गर्म कपड़े, गर्माहट के लिए सिगड़ी, रोशनदान में लगाए रूई के पर्दे

भोपाल. इन दिनों शहर में कड़ाके की सर्दी का दौर जारी है। पिछले पांच दिनों से शहर में शीत लहर की िस्थति बनी हुई है। सर्दी बढ़ने के साथ ही इन दिनों मंदिरों में होने वाली भगवान की सेवा व्यवस्था में भी परिवर्तन हो गया है। सर्दी से बचाव के लिए मंदिरों में तरह तरह के जतन किए जा रहे हैं। ऐसे में भगवान के पहनावे से लेकर श्रृंगार और भोग तक में परिवर्तन किया गया है। अब भगवान को गर्म तासीर की खाद्य सामग्रियों का भोग लगाया जा रहा है। इसी प्रकार गर्भगृह में भी सिगड़ी आदि जलाई जा रही है।

सोठ, मेवे, ज्वार, बाजरे के लड्डुओं का भोग

लखेरापुरा के श्रीजी मंदिर में इन दिनों सर्दियों को देखते हुए व्यवस्था में बदलाव किया गया है। मंदिर के खुलने और बंद होने के समय में बदलाव किया गया है। मंदिर के श्रीकांत शर्मा ने बताया कि यहां भगवान की बालरूप में सेवा की जाती है। हर मौसम के हिसाब से व्यवस्थाएं रहती है। सर्दियों में मंदिर के पट सुबह 8:30 बजे खुलते हैं और शाम को 7 बजे बंद होते हैं। इसी प्रकार शीत अधिक होने के कारण भोग में सोठ के लड्डू, सूखे मेवे, ज्वार और बाजरे के लड्डू, गुड़ी, तिल की बर्फी आदि का भोग लगाया जाता है। गर्भगृह में सर्द हवा से बचाव के लिए रूई के पर्दे लगाकर रोशनदानों को ढांक दिया जाता है।

ऊनी कपड़े, ठंड से बचाव के लिए सिगड़ी

तलैया चौबदारपुरा के बांके बिहारी मार्कंडेय मंदिर में भी सर्दी से बचाव के लिए विशेष जतन किए जा रहे हैं। मंदिर के रामनारायण आचार्य ने बताया कि नित्य श्रृंगार के साथ-साथ भगवान को गर्म कपडे धारण कराए जाते हैं, इसके साथ ही सर्दी अधिक होने पर गर्भगृह में सिगड़ी जलाई जाती है। हर मौसम के हिसाब से भगवान की सेवा की जाती है। इस समय भगवान को केसर, हल्दी का दूध के साथ-साथ गर्म खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है।

शहर के अन्य मंदिरों में भी बदलाव

सर्दी को देखते हुए शहर के अन्य मंदिरों में भी भगवान की सेवा में बदलाव किया गया है। शहर के बड़वाले महादेव मंदिर में सर्दी अधिक होने पर अलाव जलाया जाता है, इसी प्रकार मुक्तेश्वर महाकाल मंदिर में भी धुना जलाते हैं। राधावल्लभ मंदिर, वैष्णोधाम सहित अनेक मंदिरों में भी सर्दियों को देखते हुए व्यवस्था में बदलाव किया गया है।