भोपाल

सबसे बड़ा घोटाला- 2 अरब रुपए से ज्यादा की गड़बड़ी

4 साल में सरकारी कर्मचारियों—अधिकारियों के वेतन से काटी राशि

भोपालSep 14, 2021 / 01:52 pm

deepak deewan

प्रवीण श्रीवास्तव. भोपाल. प्रदेश के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों government medical colleges के चिकित्सा शिक्षकों की पेंशन के नाम पर हर साल ५४ करोड़ रुपए की गड़बड़ी हो रही है। यह गड़बड़ी २०१८ से हो रही है। ऐसे में दो अरब रुपए से भी ज्यादा की गड़बड़ी की आशंका है। यह खुलासा चिकित्सा शिक्षकों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Prime Minister Narendra Modi को लिखे एक पत्र से हुआ है।

पत्र के मुताबिक सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों में काम कर रहे चिकित्सा शिक्षकों से राष्ट्रीय पेंशन योजना (नेशनल पेंशन स्कीम) National Pension Scheme के नाम पर हर महीने मूल वेतन की १० फीसदी राशि काटी जा रही है। प्रदेश में करीब तीन हजार चिकित्सा शिक्षक हैं, जिनके वेतन से हर साल २७ करोड़ २० लाख रुपए काटे जा रहे हैं। २०१८ से अब तक करीब एक अरब ८ करोड़ ८८ रुपए काटे जा चुके हैं। नियम के मुताबिक इतनी ही राशि सरकार को जमा करनी थी। इस हिसाब से अब तक २ अरब १७ करोड़ रुपए से ज्यादा रुपए जमा होने थे.

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ऐसे हो रही गड़बड़ी
२०१८ में तत्कालीन प्रमुख सचिव ने विभाग के सभी शिक्षकों के साथ अधिकारी, कर्मचारी के वेतन से इस योजना के तहत राशि काटने के निर्देश दिए। लेकिन किसी का राष्ट्रीय पेंशन योजना का खाता नहीं खुला। राशि चिकित्सा महाविद्यालयों के अध्यक्ष (डीन) के पास सावधि जमा में जमा करने के मौखिक आदेश थे। इसके बाद राशि कट रही है।

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परिवार परेशान
इंदौर चिकित्सा महाविद्यालय Indore Medical College के प्राध्यापक डॉ. रामशरण रायकवार की कोविड संक्रमण के चलते मौत हो गई थी। बाद में आर्थिक जरूरतों के लिए परिवार ने इस योजना की राशि के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग से अब तक कोई मदद नहीं मिली। इसको लेकर चिकित्सा शिक्षकों ने सरकार को पत्र लिखा था, लेकिन अभी भी इंतजार है।

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चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय बताते हैं कि हमारे वेतन से इस योजना के नाम पर हर महीने तय राशि कटती है। लेकिन कहां जमा हो रही है, किसी को नहीं मालूम। नियमानुसार इतनी ही सरकार को भी देना है। लेकिन हमारे पास ना पेंशन खाता है ना प्रान नंबर। फिर भी राशि काटी जा रही है। ऐसे में बड़ी गड़बड़ी की आशंका है।

गांधी चिकित्सा महाविद्यालय Gandhi Medical College के डीन डॉ. जितेन शुक्ला के अनुसार राष्ट्रीय पेंशन योजना की राशि राष्ट्रीय पेंशन योजना के खाते में नहीं एक अलग एफडी के रूप में जमा होती है। शासन के आदेश हैं, सभी कर्मचारियों की जानकारी एकत्रित की जा रही है। इसके बाद खाते खुलेंगे और प्रान नंबर जारी किए जाएंगे। प्रक्रिया अभी चल रही है।

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२००५ में केन्द्र सरकार द्वारा अनिवार्य योजना के रूप में यह योजना लागू की गई। इसमें मूल वेतन का १० फीसदी कर्मचारी के वेतन से और उतनी ही राशि सरकार को कर्मचारी के राष्ट्रीय पेंशन योजना खाते में जमा करानी होगी। इस पर हर महीने चक्रवृद्धि ब्याज भी मिलेगा। इसका लाभ सेवानिवृत्ति के बाद मिलेगा।प्रोफेसर: मूल वेतन से 11471 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से एक साल में 1,37,652 रुपए काटे। प्रदेश में ४२७ प्रोफेसरों की एक साल की कुल राशि ५,८७,७७४०४ रुपए काटी गई।

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एसोसिएट प्रोफेसर: सैलरी से 11229 रुपए प्रतिमाह के अनुसार प्रतिवर्ष 1,34,748 रुपए काटे गए। प्रदेश में ७२३ एसोसिएट प्रोफेसर से एक साल में ९,७४,२२,८०४ रुपए काटे गए।
असिस्टेंट प्रोफेसर: ६१९५ रुपए प्रमिताह के हिसाब से प्रतिवर्ष ७४३४० रुपए काटे गए। प्रदेश में ११७९ असिस्टेंट प्रोफेसर से प्रतिवर्ष ८,७६,४६,८६० रुपए लिए गए।
डेमोंस्ट्रेटर: वेतन से प्रतिवर्ष ५३५७ रुपए के हिसाब से प्रतिवर्ष ६४२८४ रुपए काटे। प्रदेश में ५३२ डेंमोंस्टे्रटर के एक साल में ३,४१,९९,०८८ रुपए काटे गए।

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एक साल में इतना कटा: कुल २७,२०,४६,१५६ रुपए काटे गए। सरकार को भी इतनी ही राशि मिलानी थी, इस हिसाब से करीब ५४ करोड़ रुपए जमा होने थे खाते में।
चार साल में इतना कटा: २०१८ से अब तक करीब १,०८,८१,८४,६२४ राशि काटी गई। नियमानुसार इतनी ही राशि सरकार को मिलानी थी, ऐसे में यह राशि २,१७,६३,६९,२४८ होगी।

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