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खतरे में सरकारी शिक्षकों की नौकरी, एमपी के इस शहर में बंद हो सकते हैं 20 स्कूल

MP News: राजधानी में 836 सरकारी स्कूल हैं। करीब एक लाख बच्चे इनमें दर्ज हैं। नामांकन की प्रक्रिया जारी है। लेकिन शहर में ऐसे बीस स्कूल हैं जहां बच्चों की संख्या बहुत कम है। पुराने शहर के जहांगीरिया स्कूल में बारहवीं कक्षा तक करीब पचास बच्चे हैं। शहर के प्राइमरी स्कूलों में भी एडमिशन बहुत कम हैं। संख्या न बढ़ी तो ये स्कूूल विभाग के रिकॉर्ड से गायब हो जाएंगे।

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MP News government schools being closed

MP News (सोर्स: पत्रिका)

MP News: राजधानी भोपाल के 20 सरकारी स्कूल बंद होने की कगार हैं। ये वे सरकारी स्कूल हैं जहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कम हुई हैं। इन स्कूलों में सांदीपनी यानि सीएम राइज स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। शहर के छोटे स्कूलों को खत्म कर सीएम राइज को और विस्तार दिया जाना है।

राजधानी में 836 सरकारी स्कूल हैं। करीब एक लाख बच्चे इनमें दर्ज हैं। नामांकन की प्रक्रिया जारी है। लेकिन शहर में ऐसे बीस स्कूल हैं जहां बच्चों की संख्या बहुत कम है। पुराने शहर के जहांगीरिया स्कूल में बारहवीं कक्षा तक करीब पचास बच्चे हैं। शहर के प्राइमरी स्कूलों में भी एडमिशन बहुत कम हैं। संख्या न बढ़ी तो ये स्कूूल विभाग के रिकॉर्ड से गायब हो जाएंगे। पिछले साल प्रदेश से चार सौ स्कूल बंद हो चुके हैं। इनमें छह भोपाल के भी शामिल हैं। शून्य नामांकन के चलते स्कूल शिक्षा विभाग से निर्देश जारी हुए थे।

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आठ सीएम राइज स्कूल के पास संया ज्यादा

शहर में आठ सीएम राइज स्कूल हैं। जिन स्कूलों को मर्ज होने की आशंका है वे इन्हीं के आसपास हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के नियम के तहत एक किमी के दायरे में जो भी सरकारी स्कूल होंगे वहां के विद्यार्थियों को पहली प्राथमिकता होगी।

इन स्कूलों में सबसे दिक्कत

  • ज्यादा जहांगीरिया, मालवीय नगर, टीटी नगर, पंचशील नगर, अरेरा कॉलोनी, भेल के पास स्कूल।
  • शिक्षकों को निर्देश, इलाके में बच्चों को खोजकर एडमिशन कराए

स्कूलों में बच्चों की संया बढ़ाने के लिए सभी प्राचार्यो को निर्देश जारी हो चुके हैं। स्कूल के आसपास सर्वे कर ऐसे बच्चों की खोज करना है जो स्कूल से बाहर हैं। इन्हें एडमिशन देना है। कम नामांकन वाले स्कूलों के आसपास विशेष फोकस है।-एनके अहिरवार, डीईओ

संगठनों का आरोप, बच्चे घटे इसके लिए नीतियां जिमेदार

शिक्षकों ने सरकारी स्कूल से बच्चों की संया कम होने पर नीतियों को जिमेदार बताया। शिक्षक संगठन के अध्यक्ष उपेन्द्र कौशल के मुताबिक इस संबंध में कई बार विभाग को लिख चुके हैं। शिक्षकों को पढ़ाई की बजाय गैर शैक्षणिक कामों में लगाया गया। जिसका परिणाम रिजल्ट पर हुआ। स्कूलों से दूरी की यह एक बड़ी वजह रही है। वहीं स्कूलों में बच्चों की संया बढ़ाने के लिए शिक्षकों को निर्देश मिले हैं। निर्देश के तहत स्कूल के आसपास के हिस्सों में उन बच्चों को खोजना है जिनका नामांकन नहीं हुआ। अभिभावकों को मनाना होगा ताकि वे एडमिशन करा दें।