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भोपाल@देवेंद्र शर्मा। बिजली मीटर की रीडिंग देरी से होना, हाईस्लैब में बिल बनकर आ जाना, मीटर बंद होने पर बार-बार शिकायत करने के बावजूद ध्यान नहीं देना और इस तरह की तमाम दिक्कतों का इलाज एक नया व हाईटेक मीटर हो सकता है। मप्र में इस नए मीटर को बनाने के लिए प्रयोग, परीक्षण और सर्वे शुरू हो गया है। बेंगलुरु की टीम को ये काम सौंपा है। उम्मीद की जा रही है कि 2018 के अंत तक ये काम हो जाएगा।
बेंगलुरु की गैलोरे नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड की टीम इस समय भोपाल में काम कर रही है। बिजली कंपनी के जोन कार्यालयों में जाकर ये पुराने मीटर के साथ ही मौजूदा मीटर की पड़ताल कर रही है। कंपनी के प्रोडक्ट मैनेजर विकास बीसी का कहना है कि दुनिया में अब तक इस तरह की सोच के साथ हाईटेक मीटर और कंट्रोल सेटअप विकसित नहीं किया गया है। कुछ शहरों में थोड़े हाईटेक मीटर हैं, जिनमें अलग-अलग खासियतें हैं। हम उन्हीं सभी खासियतों को मिलाकर एक नया मीटर बनाएंगे।
भविष्य का मीटर
* एक डाटा सेंटर से जुड़े रहेंगे सभी मीटर
* सिस्टम में मीटर नंबर डालते ही संबंधित मीटर का पूरा डाटा तारीखवार मिल जाएगा
* मीटर बंद है या नहीं चल रहा है तो स्थिति पता चल जाएगी
* उपभोक्ता को तय दिनांक को सिस्टम से ही एसएमएस से बिल भेज दिया जाएगा
* मीटर पूरी तरह टेंपर फ्री हो जाएंगे। इनमें कोई गड़बड़ी आती है तो शिकायत के बिना ही इन्हें बदलने की कवायद शुरू हो जाएगी
अभी यह परेशानी
* रीडिंग के लिए ठेका कर्मचारियों के भरोसे, 10 से 15 दिन बाद देते हैं बिल
* देरी से रीडिंग होने पर हाईस्लैब में पहुंच जाते हैं उपभोक्ता, बेवजह 100 से 300 रुपए तक चार्ज देना पड़ता है
* मीटर बंद होने की बार-बार शिकायत के बाद दो से तीन माह बाद मीटर बदले हैं
* उपभोक्ताओं को मीटर के तेज चलने और फिर से धीरे चलने की शिकायत है, इससे भारी बिल बनता है, जिसका भुगतान करना ही पड़ता
15 साल में मीटर के विकास को समझ रहे
भोपाल के जोन कार्यालयों में वे 10 से 15 साल पुराने बिजली मीटर को निकालने की जुगत कर रहे हैं। इनके आगे नहीं चल पाने और इनकी खामियों के साथ खासियतों का डाटा ले रहे हैं। इसी तरह जोन प्रबंधकों से आज के समय मीटर में आ रही दिक्कतों की जानकारियां ले रहे हैं।
पूरे शहर में बदले तो 10 हजार का होगा मीटर
नए हाईटेक मीटर की लागत 10 हजार रुपए के करीब बनेगी। ये लागत भोपाल के चार लाख बिजली कनेक्शनों के आधार पर आंकी गई है, यदि इससे कम मीटर बनाए तो फिर लागत बढ़ सकती है। मीटर की कीमत उपभोक्ताओं से वसूली जाएगी या इसे सरकार ही वहन करेगी, अभी यह तय नहीं है। वैसे वर्तमान में उपभोक्ताओं के घरों पर लगाए जाने वाले मीटर बिजली कंपनी के ही होते हैं। इनसे कंपनी हर महीने मीटर किराया वसूलती है।
* रीडिंग-बिलिंग में हाईटेक व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं। बिजली उपभोक्ताओं की ८० फीसदी दिक्कतें रीडिंग, बिलिंग की है, जो हाईटेक मीटर से दूर हो सकती है।
- संजय शुक्ला, एमडी पावर मैनेजमेंट कंपनी
Published on:
03 Oct 2017 09:08 am
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