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निजी अस्पताल खोलने विभाग अब देगा 50 फीसदी तक सब्सिडी

प्रदेश में एक दर्जन से ज्यादा निजी कंपनियां ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू करेंगी अपने अस्पताल

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भोपाल. प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधारने के लिए निजी कंपनियां आगे आई हैं। यह कंपनियां ग्रामीण क्षेत्रों में अपने अस्पताल तैयार कर मरीजों सस्ता उपचार मुहैया कराएंगी। जानकारी के मुताबिक करीब एक दर्जन संस्थाओं ने अपने प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग को सौंपे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भी पूरा प्रस्ताव सरकार के पास भेज दिया है। वर्तमान राजनीतिक संकट हल होने के बाद इस प्रस्ताव को अमल में लाया जाएगा। मालूम हो कि प्रदेश में जरूरत के आधे चिकित्सक भी नहीं हैं। विशेषज्ञों के 3278 पदों में अभी 1029 कार्यरत हैं। वहीं 100 से ज्यादा विशेषज्ञ इस साल रिटायर होंगे, तो 900 विशेषज्ञ डॉक्टर ही बचेंगे। चिकित्सा अधिकारियों के 1677 पद खाली हैं। इनमें से भी अधिकतर चिकित्सक शहरी क्षेत्र में ही पदस्थ हैं। ऐसे में विभाग निजी अस्पतालों को गावों में निवेश करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

जितना पिछड़ा इलाका उतनी ज्यादा मदद
स्वास्थ्य विभाग सभी जिलों में निजी अस्पतालों को निवेश के लिए बुला रहा है। इसमें ए, बी और सी तीन केटेगिरी में निवेश कराया जाएगा। ए केटेगिरी के जिलों में भोपाल इंदौर जैसे विकसित जिलों को रखा गया है। यहां निजी अस्पताल खोलने पर विभाग 30 फीसदी तक वित्तीय मदद करेगा। वहीं वहीं बी केटेगिरी जिलों के लिए सब्सिडी 40 फीसदी और कमजोर जिलों में 50 फीसदी तक सब्सिडी दी जाएगी।

स्पेशल यूनिट के लिए भी मिलेगा सहयोग
सिर्फ अस्पताल ही नहीं, अगर कोई व्यक्ति इन क्षेत्रों में स्पेशलाइज्ड यूनिट मसलन फि जियोथैरेपी यूनिट, डायलिसिस यूनिट या पैथोलॉजी लैब शुरू करना चाहता है तो इसके लिए भी विभाग आर्थिक मदद करेगा। इसके अलावा विभाग इन उपक्रमों को जमीन के लिए भी सब्सिडी देने का खाका तैयार कर रहा है।


यह भी किए जा रहे प्रयास
डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए 1065 पदों पर भर्ती पीएससी के जरिए कराने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है। इसके साथ ही वह न केवल डॉक्टरों की रिटायरमेंट आयु तीन साल और बढ़ाने पर, बल्कि प्राइवेट हॉस्पिटल में काम करने वाले डॉक्टरों से सरकारी काम लेने पर विचार कर रही है।

एक तिहाई डॉक्टर ही मिल पा रहे हैं
-2010 में मेडिकल ऑफि सर्स के 1090 पदों के विरुद्ध 570 डॉक्टर ही मिले थे। इसमें से भी 200 डॉक्टर नौकरी छोड़ गए।
-2013 में 1416 पदों पर भर्ती पर 65 डॉक्टरों का चयन, करीब 200 आए ही नहीं, उतने बाद में नौकरी छोड़ गए।
-2015 में 1271 पदों में 874 डॉक्टर मिले हैं। इनमें भी 218 डॉक्टरों ने ज्वाइन नहीं किया। कुछ ने नौकरी छोड़ दी।
-2015 में ही 1871 पदों के लिए भर्ती शुरू हुई थी लेकिन बाद में अटक गई।
-मार्च 2017 में साक्षात्कार के बाद रिजल्ट जारी किए गए। इसमें करीब 800 डॉक्टर मिल पाए हैं।
-2018 में भी 1254 पदों के पर सिर्फ 865 ही मिले इसमें से 320 छोड़ गए।


हमारा उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना है। ऐसे में हम निजी अस्पतालों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। निजी अस्पतालों के आने से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकती हैं।
राकेश मुंशी, संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं