
आयुर्वेद हमारे भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है। इसका इतिहास लगभग 400 साल पुराना है। चाहे कैसी भी बीमारी हो आयुर्वेद के पास हर बीमारी का इलाज है। वहीं एक बीमारी पैरालिसिस यानी लकवा है। जिसका आयुर्वेद में कई औषधियों एवं पंचकर्म थेरेपी से संभव है। कुछ खास जड़ी बूटी वालें तेलों का इस्तेमाल करके लकवा का इलाज किया जा सकता है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पंडित खुशी लाल आयुर्वेदिक हॉस्पिटल है। यहां लकवा (पैरालिसिस) से पीड़ित मरीजों का फ्री में इलाज किया जाता है।
पैरालिसिस यानी लकवा ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर का एक हिस्सा काम करना बंद कर देता है। इसमें एक तरफ का हाथ, पैर, मुंह और आंख प्रभावित होते हैं। यह पूरे शरीर की मांसपेशियों को प्रभावित कर देता है। इससे मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। काफी कम लोगों को जानकारी होती है कि लकवा जैसी खतरनाक बीमारियों का इलाज आयुर्वेद के माध्यम से संभव है।
पंडित खुशी लाल आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में पैरालिसिस का इलाज कराने के लिए 3 महीने का कोर्स चलता है। यहां लकवा के लिए कुछ खास औषधि रस्नादि क्वाथ, औषधीय कैस्टर ऑयल, पिप्पली मूल, चोपचीनी चूर्ण और वातविध्वंस रस जरूरी है। इसके अलावा अश्वगंधा चूर्ण, बृहत वात चिंतामणि रस, रसराज भी लिए जाते हैं। इनमें से कुछ दवाएं ओरल ली जाती हैं। लकवा का इलाज तीन महीने तक चलता है। अगर दिन में दो बार 20-40 मिलीलीटर मूली का तेल,काली मिर्च पाउडर, सोंठ और शहद को पानी में मिलाकर पीने से भी फायदा होता है। लकवा के इलाज में कुछ दवाएं नाक और कुछ एनीमा के जरिए दी जाती हैं। इसे पंचकर्म चिकित्सा से भी ठीक किया जा सकता है।
Published on:
27 Feb 2024 06:32 pm
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