बॉलीवुड एक्टर ब्रह्मा मिश्रा से विशेष बातचीत
भोपाल। बॉलीवुड मूवी केसरी में खुदा दाद का किरदार निभाने वाले बॉलीवुड एक्टर ब्रह्मा मिश्रा ने पत्रिका प्लस से हुई बातचीत में कहा कि जब मैंने 'केसरी' फिल्म के लिए ऑडिशन दिया था तो फिल्म से जुड़े लोगों ने कहा कि मेरी शक्ल और कद-काठी दाओ से काफी हद तक मिलती-जुलती है। कास्टिंग डायरेक्टर को भी मेरा ऑडिशन पसंद आया था जिसके चलते मुझे यह फिल्म ऑफर हुई। अमूमन मेरी कद-काठी को देखकर लोग मुझे कॉमेडी रोल ही ऑफर करते हैं लेकिन केसरी ने मेरी उस इमेज को ब्रेक करने का काम किया, यह रोल मेरे लिए भी काफी चैलेंजिंग था।
ब्रह्मा ने बताया कि अभी एक दिन घर में बैठा बोर हो रहा था तो सोचा मूवी देख आऊं। हालांकि मैं इससे पहले भी केसरी देख चुका था। लेकिन जब हॉल में गया तो वहां मेरे पास वाली सीट पर एक ओल्ड एज कपल बैठा हुआ था। फिल्म के अंत में जैसे ही जैसे ही पानी पिलाने के दौरान एक किरदार मुझे मारने के लिए तलवार उठाता है तो वो बुजुर्ग महिला खुद ब खुद बोल उठीं कि हे भगवान, इसे मत मारना... और इतना कहकर उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे। एक अभिनेता के तौर पर यह मेरी लिए बहुत बड़ी बात है। ब्रह्मा ने बद्रीनाथ की दुल्हनिया, दंगल, मांझी, हवाईजादा, वेब सीरीज मिर्जापुर में काम किया है। जल्द ही वे मिर्जापुर-2, सुपर-30 और कनपुरिया मूवी में नजर आएंगे।
अलखनंदन जी हैं मेरे पहले रंगगुरु
ब्रह्मा मिश्रा ने भोपाल के एक्सीलेंस कॉलेज से पढ़ाई की है। ब्रह्मा बताते हैं कि जब मैं कॉलेज में था तो वहां एक टीचर डॉ. विजय बहादुर जी थे मैं उन्हें बाबा बुलाता हूं। वर्ष 2003 में मैंने उनसे कहा कि मुझे थिएटर करना है। अलखनंदन जी उनके मित्र थे, तो उन्होंने अलख जी से बात की, अलख जी ने कहा कि कल से भेज दो। मेरी एक्टिंग की नींव थिएटर के जरिए ही रखी गई और मेरे पहले रंग गुरु अलखनंदन जी हैं। मैंने उनके साथ कई प्ले में ऑन स्टेज और बैक स्टेज काम किया। वर्ष 2006 में मेरा सलेक्शन फिल्म इंस्टीट्यूट पुणे में हो गया तो मैं वहां चला गया।
डायरेक्टर ने कहा- स्क्रिप्ट पढ़कर बताओ खुद को कहां देख रहे हो
फिल्म इंस्टीट्यूट से पढ़ाई करने के बाद 2009 में मैंने अपने एक सीनियर अमित दत्ता की फिल्म 'नैनसुख' में काम किया यह एक म्यूजियम फिल्म थी। मुम्बई में मुझे कभी पैसों की तंगी नहीं आई। मेरे पिताजी और बड़े भाई ने हमेशा मुझे फाइनेंशियली सपोर्ट किया, उन्हीं की प्रेरणा के चलते मैंने मुम्बई तक का सफर तय किया। ब्रह्मा बताते हैं कि मुझे जब फिल्मों से वक्त मिलता है तो थिएटर करता हूं।
मुम्बई में मनोज पाहवा और सीमा पाहवा के कोपल गु्रप और अपने फिल्म इंस्टीट्यूट की सीनियर शशिभूषण जी के गु्रप के साथ भी जुड़ा हूं। ब्रह्मा को फर्स्ट बॉलीवुड ब्रेक वर्ष 2011 में फिल्म 'चोर-चोर सुपर चोर' में मिला। ब्रह्मा बताते हैं कि फिल्म के डायरेक्टर राजेश के. फिल्म इंस्टीट्यूट में मेरे सीनियर थे। उन्होंने इंस्टीट्यूट में मेरा काम देखा था। एक दिन उन्होंने बुलाया और स्क्रिप्ट पकड़ा दी। बोले, इसे पढ़ो और बताओ क्या खुद को कहीं देख रहे हो? मैंने कहा कि वावा का किरदार मेरे कहीं न कहीं मेरे जैसा है और उन्होंने मुझे इस फिल्म में वो किरदार ऑफर किया।
शशांक बोले- ये तो फुल ऑन कैरेक्टर में है
फिल्म ब्रदीनाथ की दुल्हनिया के बारे में ब्रह्मा बताते हैं कि फस्र्ट ऑडिशन के बाद कॉल आया कि डायरेक्टर खुद ऑडिशन लेंगे। मैं गया तो मैंने देखा कि शशांक खेतान खुद ही कैमरा लेकर खड़े थे, वे बोले- प्रकाश बाबू हो जाओ शुरू... फिल्म में मेरा किरदार प्रकाश बाबू का था तो उनके इतना बोलते ही मैंने उठक-बैठक करना शुरू कर दिया, क्योंकि वो मेरे कैरेक्टर का पहला सीन था। यह देखकर शशांक हंसे और बोले ये तो फुल ऑन कैरेक्टर में है।
भोपाल की चाय और पोहा-जलेबी मिस करता हूं
ब्रह्मा के पिताजी रिटायर्ड बैंककर्मी और मां हाउसवाइफ हैं। इसके अलावा एक बड़े भाई एडवोकेट संदीप मिश्रा हैं जो डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और हाइकोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। ब्रह्मा की फैमिली फिलहाल राजधानी भोपाल के कोलार एरिया में रहती है। 2006 में भोपाल छोड़ दिया था। मैं प्रेस कॉम्पप्लेक्स का पोहा-जलेबी, एक्सीलेंस का बाबा चौक, भारत भवन और हमीदिया के सामने फरीद की चाय बहुत मिस करता हूं। ब्रह्मा ने कहा कि मेरी ख्वाहिश है कि मैं साल 1985 में आई फिल्म 'मैसी साहिब' में जिस तरह का किरदार रघुवीर यादव जी ने निभाया था वैसा किरदार निभाऊं।