भोपाल

सेमेस्टर सिस्टम खत्म कर उच्च शिक्षा के मामले में 8 साल पीछे चला गया मप्र

Patrika.com से हुई विशेष बातचीत में यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह बोले- मप्र सरकार को भी इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है

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Aug 21, 2019
In a Conversation with DP Singh, Chairman UGC

भोपाल। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने वर्ष 2008 में प्रदेश सरकार को सेमेस्टर प्रणाली लागू करने के निर्देश इसलिए दिए थे, ताकि पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल बने। वर्ष 2009 में मप्र में सेमेस्टर सिस्टम लागू भी हो गया लेकिन यह सिस्टम महज 8 साल ही चल पाया। वर्ष 2017 में उच्च शिक्षा विभाग ने सेमेस्टर सिस्टम को खत्म कर कंवेशनल कोर्स में दोबारा एनुअल सिस्टम लागू कर दिया।

प्रदेश में चल रहे एनुअल सिस्टम पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने पत्रिका से हुई विशेष बातचीत में कहा कि सेमेस्टर सिस्टम को खत्म करके राज्य अपने उच्च शिक्षा विभाग को कई साल पीछे ले गए हैं। मैं, सभी राज्य सरकारों से अपील करूंगा कि सेमेस्टर सिस्टम लागू करें और सीबीसीएस की ओर बढ़ें। विश्व के सभी विकसित देशों में सेमेस्टर ओर च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू है। साथ ही मप्र सरकार को भी इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है, मैं भी इस संबंध में मुख्य सचिव से बात करूंगा।

अच्छे शिक्षाविदों को ही नियुक्त करें कुलपति

प्रदेश में कुलपति के चयन में राजनीति के सवाल पर प्रो. सिंह ने कहा कि मैं इस पर कोई टिप्पणी तो नहीं करूंगा लेकिन यूजीसी का अध्यक्ष और एक शिक्षाविद् होने के नाते मेरा राज्य सरकारों से निवेदन है कि यदि आपको शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढऩा है और विवि की स्थिति में सुधार लाना है तो अच्छे शिक्षाविदों को ही कुलपति के रूप में नियुक्त करने की जरूरत है।

बेहतर रैंकिंग के लिए क्या करें कुलपति

प्रो. सिंह ने सभी विवि के कुलपति को सलाह देते हुए कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें। नैक की ग्रेडिंग कराएं और ग्रेड अ'छा आए इसके प्रयास करें। एनआईआरएफ रैंकिंग में भी अप्लाई करें, अपनी इंस्टीट्यूशनल प्रोफाइल अच्छे से डेवलप करें। वल्र्ड रैंकिंग में भी पार्टिसिपेट करें, इससे आपकी अपनी कमियां भी पता चलेंगी। फिर अपनी कमियों को स्ट्रेंथ में तब्दील करें। यह सब एक दिन में नहीं होगा, इसके लिए सतत प्रयास करें।

सभी कोर्स का हो पीरियॉडिकल रिव्यू

प्रो. सिंह ने कहा कि समय-समय पर सभी कोर्स का पीरियॉडिकल रिव्यू हो और जो पाठ्यक्रम रोजगारपरक हैं उस पर फोकस किया जाए। पाठ्यक्रम में इंडस्ट्री एक्सपर्ट को भी शामिल किया जाए। और यह विवि तय करें कि स्थानीय आवश्यकता के हिसाब से जो कोर्स प्रासंगिक है उसे पाठ्य़क्रम को जोडऩा या हटाना चाहिए।


शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखें सरकार

प्रो. सिंह ने कहा कि मेरा राज्य सरकार व वरिष्ठ अधिकारियों ने निवेदन है कि शिक्षा को प्राथमिकता के तौर पर लिया जाए। किसी भी प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था वहां के बेहतर भविष्य के लिए इंवेस्टमेंट है। इसलिए शिक्षा और स्वास्थ्य प्राथमिकता होनी चाहिए। इसकी झलक फंड अलोकेशन, पॉलिसी और प्लान के क्रियान्वयन में दिखनी चाहिए। 1964 में कोठारी कमीशन की रिपोर्ट थी 'एजुकेशन इन नेशनल डेवलपमेंट' जिसमें कहा गया था कि जीडीपी का 6 प्रतिशत इवेंस्टमेंट शिक्षा पर होना चाहिए, यह वर्तमान में करीब 3.5 प्रतिशत है।

इन पांच बातें ध्यान दें कुलपति

- रिक्त पदों पर नियमित व क्वालिटी फैकल्टी की नियुक्ति करें।
- क्वालिटी रिसर्च पर फोकस करें, यह स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप हों व सामाजिक प्रासंगिक, राष्ट्रीय महत्व के विषय हों। इसे अच्छे रिसर्च जर्नल में प्रकाशित करें।
- कक्षाएं विधिवत ढंग से हों, टीचिंग अ'छी हों, टीचर्स क्लास में जाएं विद्यार्थी रुचि लें।
- जहां भी विवि हैं वहां स्थानीय स्तर पर उनकी विश्वसनीतया बढ़े, उनका सोशल कनेक्ट बेहतर हो। जो कर रहे हैं, उसका बेहतर ढंग से प्रचार-प्रसार करें।
- अपने विवि को मूल्य आधारित बनाएं, परिसर को ईको फ्रैंडली व ग्रीन कैंपस बनाएं।

Published on:
21 Aug 2019 09:48 pm
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