स्वाइन फ्लू को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में अलग से ओपीडी और आइसोलेशन वार्ड जैसी व्यवस्था कर दी है। इसके साथ ही अलग से डॉक्टरों की टीम भी गठित की है।
डेंगू का मच्छर नवंबर से पहले पीछा नहीं छोड़ने वाला। शहर के टेंपरेचर में जब कमी आती है, तो डेंगू का मच्छर खत्म होने लगता है। इधर, मौसम में ठंडक बढ़ने पर स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से एक्टिव होने लगता है। इससे डॉक्टर तो चिंतित हैं ही, इस बार सरकार भी चिंतित है...। आप भी रहें अलर्ट।
भोपाल। डेंगू का मच्छर 30 से 35 डिग्री टेंपरेचर में तेजी से पनपता है और तीन से चार माह जिंदा रहता है और यह साफ पानी में रहने के साथ दिन में ही काटता है। इस बार बारिश जल्दी आ गई थी, इसलिए डेंग के मच्छर भी जल्दी पैदा हो गए। इसलिए भी डेंगू का ज्यादा असर भोपाल समेत मध्यप्रदेश के कई जिलों में देखा जा रहा है। पहले भोपाल में बारिश सितंबर में ज्यादा होती थी और अक्टूबर के अंत तक आते-आते ठंड पड़ने लगती थी। इसलिए डेंगू का ज्यादा असर यहां नजर नहीं आता था। जब मध्यप्रदेश का टेंपरेचर नवंबर के बाद 20 से नीचे जाएगा, तब ही डेंगू कम हो जाएगा। इसके बाद दूसरा खतरा स्वाइन फ्लू का रहेगा, तो रहें आज से सतर्क।
भोपाल में तैयार है आइसोलेशन वार्ड
स्वाइन फ्लू को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में अलग से ओपीडी और आइसोलेशन वार्ड जैसी व्यवस्था कर दी है। इसके साथ ही अलग से डॉक्टरों की टीम भी गठित की है। भोपाल में ही स्वाइन फ्लू के सात मरीज भर्ती हैं। एक वेंटिलेटर पर है। चार मरीज ऑक्सीजन के भरोसे पर हैं।
रोज आ रहे संदिग्ध मरीज
राजधानी में हाल ही में डेंगू के चार नए मरीज सामने आए। इनके साथ ही शहर में डेंगू मरीजों की संख्या 130 के करीब पहुंच गई है। स्वाइन फ्लू का भी नए नया मरीज सामने आया है। अभी इनका इलाज चल रहा है।
निर्माण स्थल के आसपास भी खतरा
एक डॉक्टर का मानना है कि राजधानी में कई स्थानों पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। बिल्डिंग का काम, फ्लाई ओवर समेत कई काम हो रहे हैं। ऐसे में मजदूर इन साइटों पर नहाते हैं और कपड़े धोते हैं। उसके आसपास पानी जमा होने लगता है। वही डेंगू के मच्छर पनपते हैं। ठंड बढ़ने पर ही डेंगू के मच्छरों का सफाया हो पाएगा। लोगों को डरने की बजाय एहतियात बरतना चाहिए।
ठंड में बढ़ेगा स्वाइन फ्लू तो क्या करें?
स्वाइन फ्लू ने पूरी दुनिया में दहशत फैला दी है। तापमान कम होने पर इसका वायरस तेजी से फैसने लगता है। सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के वायरस में एक फर्क होता है। स्वाइन फ्लू के वायरस में चिड़ियों, सूअरों और इंसानों में पाया जाने वाला जेनेटिक मटीरियल भी होता है। सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के लक्षण एक जैसे ही होते हैं, लेकिन स्वाइन फ्लू में यह देखा जाता है कि जुकाम बहुत तेज होता है। नाक ज्यादा बहती है। इसके लिए पीसीआर टेस्ट कराया जाता है।
कब तक रहता है वायरस
एच-1एन-1 वायरस स्टील, प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे, कपड़े और पेपर में 8 से 12 घंटे, टिश्यू पेपर में 15 मिनट और हाथों में 30 मिनट तक एक्टिव रहते हैं। इन्हें खत्म करने के लिए डिटर्जेंट, एल्कॉहॉल, ब्लीच या साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी भी मरीज में बीमारी के लक्षण इन्फेक्शन के बाद 1 से 7 दिन में डिवेलप हो सकते हैं। लक्षण दिखने के 24 घंटे पहले और 8 दिन बाद तक किसी और में वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा रहता है।
रहें सावधान
5 साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं में यह तेजी से फैलता है। जिन्हें कोई बीमारी है, उन्हें ज्यादा सतर्क रहना चाहिए।
स्वाइन फ्लू और आयुर्वेद
स्वाइन फ्लू का उपचार चरक संहिता और अन्य प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रन्थों में उल्लेखित वात कफ और ज्वर के तहत आयुर्वेदिक औषधियों से कारगर तरीके से किया जा सकता है । आयुर्वेद में स्वाइन फ्लू को वातश्लेश्यिक ज्वर मानकर इसकी चिकित्सा की जाती है। आयुर्वेद में किसी भी प्रकार के फ्लू का कारण वात व कफ को माना जाता है। बुखार, खाँसी, गले में खराश, शरीर में दर्द व थकावट आदि लक्षण सभी प्रकार के फ्लू में मिलते हैं।
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आयुर्वेद में भी है स्वाइन फ्लू का इलाज
1. लौंग, इलायची, सौंठ, हल्दी, दालचीनी, गिलोय, तुलसी, कालीमिर्च व पिप्पली इन सबके समान मात्रा के पाउडर को एक चम्मच लेकर तीन कप पानी में उबाले और एक कप रह जाने पर छान कर शहद या देशी गुड़ मिलाकर पिए।
2. यदि गिलोय और तुलसी ताज़ी मिले तो बेहतर होगा। रोगी को मधुमेह भी है तो शहद की मात्रा कम रखे।
3. रोगी को सुबह शाम तुलसी, अदरक, कालीमिर्च, गिलोय के मिश्रण और शहद से निर्मित काढा दिन में दो-तीन बार पिलाएं।
4. थायमॉल, मेंथॉल, कैंफर (कपूर) को बराबर मात्रा में मिला कर तैयार ‘यू वायरल’ के घोल की बूँदों को अगर रुमाल या टिश्यू पेपर पर डालकर लोग सूंघें तो भीड़ में मास्क पहन कर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
5. पान के पत्ते पर दवा की तीन बूँदें डालकर 5 दिन तक दिन में दो बार खाने पर स्वाइन फ्लू से बचाव हो सकता है।
होम्योपैथी में भी है बचाव की दवा
स्वाइन फ्लू के लक्षणों के आधार पर होम्योपैथीक दवा आर्सेनिक एल्ब 30 शक्ति की 4 गोली दिन में चार बार ली जा सकती है।
ठंड पड़ेगी तो मच्छर कम होगी
25 डिग्री के नीचे तापमान होने से स्वाइन फ्लू का वायरस फैलता है। जबकि डेंगू का मच्छर खत्म होने लगता है। लोगों को भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए। लोगों को खांसते समय अपने मुंह पर रुमाल रखना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के तत्वावधान में स्वाइन फ्लू इंफ्लुएंजा वैक्सीन सालों से उपलब्ध है। भोपाल के कई अस्पतालों में इसका वैक्सीन उपलब्ध है।
डा. पीएन अग्रवाल, श्वास रोग विशेषज्ञ
छत्तीसगढ़ः महासमुंद क्षेत्र से भाजपा सांसद के पुत्र की स्वाइन फ्लू से मौत के बाद जनवरी से अब तक 34 लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हो गई।
दिल्लीः दिल्ली में 16 लोगों की मौत डेंगू से हो चुकी है, जबकि 2000 से ज्यादा मरीज अब भी मच्छरों से होने वाली बीमारी की चपेट में हैं।