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सोसायटी में करीब 300 प्लॉट की हेरफेर की जांच अधर में, FIR में भी जिक्र नहीं

जांच सिर्फ 22 करोड़ 70 लाख रुपए के घोटाले की

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भोपाल/ राजधानी की सबसे विवादित रोहित गृह निर्माण सोसायटी में 2005 से लेकर 2018 के बीच करीब 300 प्लॉट की हेरफेर की गई। सोसायटी के फेस-2 में सबसे अधिक धोखाधड़ी हुई, इसके बाद फेस-3 में भूमाफिया घनश्याम सिंह राजपूत और उसके सहयोगियों ने प्लॉट हड़पे। ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज कर जांच तो शुरु कर दी, लेकिन एफआईआर में सिर्फ सोसायटी के बैंक खातों से निकाले गए 22.70 करोड़ रुपए का ही जिक्र है। सोसायटी में 2003 से चल रही प्लॉट की खरीदी-बिक्री के दौरान 300 प्लॉट ऐसे हैं, जिनमें हेरफेर कर आम लोगों से धोखाधडी़ की गई है।

इन प्लॉट में भूमाफिया घनश्याम सिंह राजपूत और उसके सहयोगियों द्वारा बैंक से निकाले गए 22.70 करोड़ रुपए से दोगुना राशि की हेरफेर की आशंका है, लेकिन जांच एजेंसी ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। आरोप है कि फेस-2 व 3 में सबसे अधिक प्लॉट में धांधली की गई है। तत्कालीन कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव के दौरान हुई जांच और सहकारिता विभाग की जांच में सामने आ चुका है कि 96 सदस्यों प्लॉट आवंटित है, लेकिन प्लॉट नहीं मिले हैं। वहीं, 511 सदस्यों को प्लॉट आवंटित किया जाना है, लेकिन यह जांच रिपोर्ट भी दबा दी गई। इनमें से 300 प्लॉट भूमाफिया के कब्जे में, उसके सहयोगियों के पास, बेनामी और ऐसे लोगों के नाम पर प्लॉट है जिनका सोसायटी से कोई वास्ता ही नहीं है।

बयान दर्ज लेकिन कार्रवाई नहीं

ईओडब्ल्यू ने प्लॉट की हेरफेर के मामले में घनश्याम सिंह राजपूत, बी चंद्राकर, बसंत जोशी जैसे आरोपियों से जुड़े लोगों और इनके ड्राइवरों, नौकरों से पूछताछ की, बयान दर्ज किए। ईओडब्ल्यू को प्लॉट की हेरफेर से संबंधित दस्तावेज भी मिल गए। कार्रवाई के लिए ईओडब्ल्यू ने रोडमेप भी बना लिया था, लेकिन रोक दी गई। बताया जा रहा है कि एक मंत्री के दखल के बाद कार्रवाई जांच में तब्दील हो गई।

चौंकाने वाली बात यह है कि रोहित गृह निर्माण सोसायटी मामले में एक मंत्री कार्रवाई करवाना चाहते हैं, लेकिन एक अन्य मंत्री ने दखल दिया तो अवैध निर्माण ढहाने की कार्रवाई ठप हो गई। अब जांच 22.70 करोड़ रुपए की चल रही है। प्लॉट के हेरफेर की जांच धीमी पड़ गई। इधर, जेल में बंद भूमाफिया घनश्याम सिंह राजपूत ने दो बार जमानत अर्जी लगाई, लेकिन ईओडब्ल्यू की आपत्ति के बाद जमानत नहीं मिल पाई है।