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भोपाल

एमपी में खतरनाक वायरस की दस्तक से अलर्ट, तड़प-तड़प कर होती है मौत

सभी जिलों को एडवायजरी जारी कर घोषित किया गया अलर्ट…मच्छर-मक्खी के जरिए फैल रहा वायरस…

भोपालAug 05, 2022 / 03:42 pm

Shailendra Sharma

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भोपाल. रतलाम जिले के 2 गांवों में मवेशियों में लंपी वायरस के लक्षण मिलने के बाद पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है। पशु चिकित्सा विभाग (वोटरनरी) की ओर से प्रदेश के सभी जिलों को एडवायजरी जारी की है और किसी भी जिले में मवेशी में लंपी वायरस के लक्षण दिखने पर तुरंत सूचना राजधानी भोपाल भेजने के लिए भी कहा गया है। वेटरनरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. आरके मेहिया ने बताया कि लंपी वायरस के संक्रमण से ग्रस्त मवेशी को अगर समय रहते इलाज नहीं मिलता तो उसकी तड़प-तड़प कर मौत हो जाती है। हालांकि लंपी वायरस से ग्रस्त पशु का दूध पीने से इंसान पर उसके असर का कोई मामला सामने नहीं आया है।


रतलाम जिले के 2 गांवों में मिले लक्षण
बता दें कि मवेशियों में होने वाले खतरनाक लंपी वायरस के लक्षण मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के दो गांवों सेमलिया व बरबोदना के आसपास देखने को मिले हैं। यहां एक दर्जन से ज्यादा मवेशियों में लंपी वायरस के लक्षण मिले हैं और यहां वायरस के कारण मवेशियों के शरीर पर छोटे-छोटी गठानें बनने के बाद घाव बन गए हैं। जिससे पशु चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया है। यहां ये भी बता दें कि आधे से ज्यादा राजस्थान में लंपी वायरस फैला हुआ है और रतलाम में भी वायरस के राजस्थान से आने की बात कही जा रही है।

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क्या है लंपी रोग
पशु चिकित्सकों की मानें तो लंपी वायरस मवेशियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इस रोग में जानवरों में बुखार आना, आंखों एवं नाक से स्राव, मुंह से लार निकलना, शरीर में गांठों जैसे नरम छाले पड़ना, दूध उत्पादन में कमी आना जैसे लक्षण दिखते हैं। इसके अलावा इस रोग में शरीर पर गांठें बन जाती हैं। गर्दन और सिर के पास इस तरह के नोड्यूल ज्यादा दिखाई देते हैं। बीमारी का पशुओं से मनुष्यों में ट्रांसफर होने की संभावना न के बराबर है।

 

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पशुओं से इंसानों में नहीं होता संक्रमण
राज्य पशु चिकित्सालय के प्रभारी संयुक्त संचालक डॉ. अजय रामटेके कहते हैं कि लंपी स्किन डिसीज गाय, भैंस, बकरी और भेड़ में तेजी से फैल सकती है। लेकिन इंसानों में बीमारी फैलने का खतरा न के बराबर है, हालांकि बीमार पशुओं को छूने के बाद अच्छी तरह हाथ धो लें। समय पर पशुओं को वैक्सीन लगवाकर उनमें भी इसके खतरे को कम किया जा सकता है। पिछले साल भोपाल में लंपी स्किन डिसीज के कई मामले आए थे। ऐसे में इसका खतरा भोपाल में काफी कम माना जा रहा है, क्योंकि संक्रमण से उभरे जानवर में तीन साल तक इस का खतरा कम हो जाता है।

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