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अजय कुमार कुर्मी खुराना ने अपना अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर किया है। अजय ने लिखा है कि उसे और उसके बेटे को एक साथ बुखार आया था, हालांकि जांच में मैं निगेटव आया। परिवार के अन्य सदस्यों को बुखार आने पर मैंने दोबारा जेपी अस्पताल में एंटीजन टेस्ट कराया तो मैं और मेरा भाई, बहन समेत घर के पांच सदस्य पाजीटिव निकले। 6 दिन बाद भी मेरा बुखार कम नहीं हुआ, सिटी स्कैन कराया तो 50 प्रतिशत फेफड़े संक्रमित मिले। सीटी स्कैन में स्कोर 13/25 आया।
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हमने प्राइवेट अस्पताल में बात की तो कहा गया कि खर्च कम से कम तीन लाख रुपए आएगा। मुझे लगा मेरा इलाज नहीं हो पाएगा, लेकिन हिम्मत करके तुरंत हमीदिया अस्पताल में 10 रुपए की पर्ची कटवा कर कोविड वार्ड में भर्ती हो गया। मैंने अपनी बहन और भाई को भी हमीदिया में भर्ती होने के लिए बुला लिया। मैं और मेरी बहन एक ही वार्ड में थे, तो एक-दूसरे को सपोर्ट रहा। 4 दिन हो गए। मुझे 6 रेमडेसिविर इंजेक्शन लगने थे, पर हमीदिया अस्पताल से इंजेक्शन चोरी हो जाने की वजह से देरी हो गई। कुछ दिन बाद इंचेक्शन उपलब्ध हो गए। पहले दिन 2 इंजेक्शन लगे फिर रोज एक इंजेक्शन लगने लगा। मैं 27 अप्रैल को डिस्चार्ड हो गया। एक वृद्ध गंभीर मरीज के लिए मैंने अपना ऑक्सीजन बेड खाली किया था। इसी बीच भाई और बहन ठीक हो गए तो उन्हें भी डिस्चार्ज कर दिया गया।