इससे सरकार पर साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए का बोझ आएगा। अपने पूर्व कर्मचारियों का वेतन भी 2 हजार रुपए से 10 हजार रुपए तक बढ़ जाएगा। पिछले साल दीपावली पर सैद्धांतिक रूप से तैयारी शुरू हो गई थी। इसे जल्द से जल्द देने की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। चुनाव से पहले पेंशनर्स को यह बड़ा तोहफा काफी अहम माना जा रहा है।
मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्य के पेंशनरों को 7 pay commission के हिसाब से पेंशन देने का फैसला हो चुका है। इसके बाद अब मध्यप्रदेश के पेंशनर्स की भी निगाहें प्रदेश सरकार के निर्णय पर टिकी हुई थी, हालांकि इस प्रस्ताव को वित्त विभाग ने फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल रखा था। अब चुनावी साल में पेंशनर्स की नाराजगी के बाद यह फैसला लेना पड़ रहा है।
मध्यप्रदेश में साढ़े चार लाख से अधिक पेंशनर हैं, जिन्हें सातवें वेतनमान के हिसाब से बढ़ी हुई पेंशन मिलना है। MP से छत्तीसगढ़ के अलग हो जाने के बाद कुछ कानूनी पेंचीदगियां बढ़ गई हैं। राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत राज्य बंटवारे के पहले पेंशनर्स के मामले में कोई फैसला होने से पहले दोनों राज्यों के बीच सहमति होना अनिवार्य है। इसलिए जब-जब दोनों राज्यों में कोई फैसले की बात होती है तो पेंशनर्स का मामला लटक जाता है।
मध्यप्रदेश के साढ़े चार लाख से अधिक पेंशनर्स को सातवां वेतनमान दिया गया तो एक छोटे पद से रिटायर हुए पेंशनर्स को 650 से लेकर साढ़े सात हजार रुपए तक का इजाफा हो जाएगा। इस बढ़ोतरी के कारण सरकार पर करीब 500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ का भी अनुमान लगाया गया है।
-छत्तीसगढ़ सरकार से प्राप्त अभिमत के मुताबिक वहां पेंशन बढ़ाए जाने का फार्मूला 2.57 तय हुआ है।
-मध्यप्रदेश सरकार भी इसी फार्मूले का इस्तेमाल करते हुए पेंशनर्स को सातवें वेतनमान का लाभ देगी।
-राज्य सरकार भी उसी हिसाब से चलेगी जितना छत्तीसगढ़ सरकार चलती है। क्योंकि पहले सभी अविभाजित मध्यप्रदेश के कर्मचारी ही थे।
-नए फार्मूले के मुताबिक 10 से 15 प्रतिशत पेंशन और बढ़ जाएगी।
3025-6900 650 से 950 रुपए
11500-24000 3000 से 3500 रुपए
20000-46400 5000 से 5500 रुपए
23000-51000 6000 से 6500 रुपए
33500-70000 7000 से 7500 रुपए एरियर्स पर असमंजस बरकरार
1 जनवरी 2016 से यह पेंशन देय होगी, लेकिन करीब18 माह का ऐरियर्स दिए जाने पर फिलहाल असमंजस बरकरार है। सूत्रों के मुताबिक सरकार बढ़ी हुई पेंशन तो देगी, लेकिन 18 माह का एरियर्स देने से बचना चाहती है। क्योंकि हाल ही में शासकीय कर्मचारियों को सातवां वेतनमान का एरियर्स और बढ़ा हुआ वेतन देने से उस पर बोझ बढ़ गया है।
अलग से भेजा प्रस्ताव
प्रदेश में पेंशनरों की पेंशन बढ़ाने में फिर से पेंच फंस सकता है। केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के गणना के फार्मूले से अलग मसौदा बनाकर कैबिनेट को भेज दिया गया है। अब केंद्र और छत्तीसगढ़ ने 2.57 के फार्मूले से गणना कर पेंशन पुनरीक्षित करने पर सहमति जताई है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार 2.47 के फार्मूले से आगे बढ़ने राजी नहीं है। ऐसी स्थिति में कैबिनेट वित्त विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे देती है, तो छत्तीसगढ़ को सहमत करना मुश्किल हो जाएगा। छत्तीसगढ़ 2.57 के फार्मूले से पेंशन पुनरीक्षण करने का आदेश जारी कर चुका है।
वित्त मंत्री जयंत मलैया के मुताबिक प्रस्ताव कैबिनेट के लिए भेज दिया गया है।
मध्यप्रदेश में जुलाई 2017 में 6वां वेतनमान प्राप्त कर रहे कर्मचारियों के महंगाई भत्ता (DA) 3 प्रतिशत बढ़ाया गया थआ। पेंशनरों का डीए भी 136 प्रतिशत से 139 फीसदी किया जाना है, पर आदेश आज तक जारी नहीं हुए। वित्त विभाग छत्तीसगढ़ को लिख चुका है, पर सहमति नहीं हो पाई है।