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भोपाल

शहीद बेटे की शहादत पर बोले पिता- बड़ा बेटा पूरी करेगा छोटे की कसर

आर्मी के जवानों के साथ प्लेन से भोपाल पहुंचा शहीद का पार्थिव शरीर, सुबह 5 बजे होगा गांव के लिए रवाना..

भोपालAug 25, 2020 / 07:17 pm

Shailendra Sharma

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भोपाल/राजगढ़. कश्मीर के उरी सेक्टर में आतंकी हमले में शहीद होने वाले एमपी के लाल मनीष विश्वकर्मा की पार्थिव देह लेकर आर्मी के जवान मंगलवार शाम राजधानी भोपाल पहुंचे। प्लेन से तिरंगे में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर आए आर्मी के जवानों ने भोपाल में सेना के जवानों को शहीद मनीष का पार्थिव शरीर सौंप दिया है। जहां आर्मी के अधिकारियों और जवानों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। बुधवार की सुबह 5 बजे शहीद का शव भोपाल से उनके गांव खुजनेर के लिए रवाना होगा।

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सीमा पर शहीद हुआ राजगढ़ का ‘लाल’
राजगढ़ के खुजनेर के रहने वाले शहीद मनीष विश्वकर्मा देश के दुश्मनों से लोहा लेते हुए बीते दिनों जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले में घायल हो गए थे जिसके बाद उपचार के दौरान वो शहीद हो गए थे। जम्मू कश्मीर के बारामूला में आंतकवादियों के किए विस्फोट में घायल होने के बाद शहीद हुए मनीष विश्कर्मा का अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक गांव में किया जाएगा। बुधवार सुबह 5:00 बजे ही आर्मी की टीम तिरंगे के साथ उन्हें लेकर कुरावर पचोर के रास्ते खुजनेर तक पहुंचेंगे। बता दें कि श्रद्धांजलि सभा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित सांसद रोडमल नागर पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह नारायण सिंह आमलावे और जिले के विधायकों में बापू सिंह तंवर प्रियव्रत सिंह राजवर्धन सिंह कुंवर कोठार सिंह भी मौजूद रहेंगे जबकि खुजनेर की सारी व्यवस्थाएं पूर्व विधायक अमर सिंह यादव और भाजपा के वरिष्ठ नेता केदार काका देख रहे हैं जबकि प्रशासनिक व्यवस्थाओं में कलेक्टर नीरज कुमार से और एसपी प्रदीप शर्मा भी पल पल खुजनेर और भोपाल से जुड़े हुए। जबकि सेना के ब्रिगेडियर भी खुजनेर पहुंचेंगे।

 

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गरीब परिवार से नाता
एक गरीब कारीगर परिवार से ताल्लुक रखने वाले मनीष के पिता ने देश की रक्षा के लिए दोनों बेटों को सेना में भेजा था। बड़ा बेटा थल सेना में श्रीगंगानगर में सेवाएं दे रहा है और छोटा बेटा शुक्रवार को उरी में गश्त के दौरान आतंकियों के जमीन में बिछाए विस्फोटक से गंभीर घायल हो गया। हिम्मत के साथ दो दिन तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ी और रविवार को शहीद हो गया। परिवार 25 साल पहले सारंगपुर तहसील के पांदा से रोजी रोटी की तलाश में खुजनेर आया। पिता ने कारीगरी कर बच्चों को पाला। बड़ा बेटा हरीश 2016 में और मनीष का 2017 में सेना में चयनिए हुए। दस माह पहले ही मनीष की शादी हुई। दोनों बेटों ने सेना में चयन के बाद बाद से बुजुर्ग पिता से कारीगरी का काम बंद करा दिया था। शहीद मनीष 11 महर इंफैन्ट्री में उरी सेक्टर में पदस्थ थे। 22 अगस्त शुक्रवार रात्रि में पेट्रोलिंग गश्त के दौरान लैडमाइन विस्फोट में घायल हुए और श्रीनगर आर्मी हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती कराया। रविवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। श्रीनगर से सोमवार को उनका शव जम्मू लाया गया, यहां पोस्टमार्टम के बाद दोपहर बाद मंगलवार भोपाल यूनिट में लाया गया। बुधवार पूरे सम्मान के साथ गांव में उनकी अंतिम विदाई होगी।

 

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पिता बोले-छोटे बेटे की कसर बड़ा पूरी करेगा
शहीद जवान मनीष के पिता सिद्धनाथ विश्वकर्मा से जब पत्रिका ने बात की तो आंखों में बेटे के खोने का गम तो बहुत है, लेकिन वह बोले कि जो कसर दुश्मनों के खिलाफ रही है उसे मेरा बड़ा बेटा पूरा करेगा। देश की रक्षा के लिए ही उसे सेना में भेजा था, वह देश के लिए ही कुर्बान हो गया। जबकि माता पुष्पाबाई बोली मुझे गर्व है खुद पर कि मैंने ऐसे जाबांज बेटे को जन्म दिया।

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