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नरेश को गांव पहुंचाने आईं तीन एम्बुलेंस, आरामदायक पलंग भी मिला

हमीदिया अस्पताल से डिस्चार्ज होकर भी एक माह से घर पहुंचने का इंतजार कर रहे नरेश (40) की इच्छा एक माह बाद पूरी हो गई।

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नरेश को गांव पहुंचाने आईं तीन एम्बुलेंस, आरामदायक पलंग भी मिला

नरेश को गांव पहुंचाने आईं तीन एम्बुलेंस, आरामदायक पलंग भी मिला

भोपाल. हमीदिया अस्पताल से डिस्चार्ज होकर भी एक माह से घर पहुंचने का इंतजार कर रहे नरेश (40) की इच्छा एक माह बाद पूरी हो गई। वह रविवार को राजधानी से छिंदवाड़ा की परासिया तहसील के मरराम बिजौरी गांव के लिए रवाना हो गए। पत्रिका में समाचार प्रकाशित होने के बाद कई समाजसेवी एवं जनप्रतिनिधि मदद को सामने आए। छिंदवाड़ा के जनप्रतिनिधियों ने तुरंत एम्बुलेंस भेजी, जिसमें नरेश रवाना हुए। गौरतलब है कि पत्रिका ने रविवार को 'मुझे मेरे गांव पहुंचा दो, अब जितनी भी सांसे बाकी हैं, वहीं लेना चाहता है शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था, जिस पर नरेश के गांव जाने के साथ आरामदायक पलंग की भी व्यवस्था समाजसेवियों ने करा दी। नरेश ट्रेन से टकराकर घायल हो गए थे। भाई ने जुलाई में हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया था। रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन के बाद भी हालत नहीं सुधरी। डॉक्टरों ने बताया कि वे कभी चल नहीं सकेंगे। उन्हें इसी हाल में डिस्चार्ज तो कर दिया गया लेकिन साधन नहीं होने के चलते नरेश गांव नहीं जा पा रहे थे।

कमलनाथ ने भी भेजी
परासिया विधायक सोहन वाल्मीक ने एम्बुलेंस की व्यवस्था कर नरेश के छोटे भाई कारेलाल को रवाना किया। वहीं भोपाल से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी एम्बुलेंस भिजवाई। इसी बीच मकसूदनगढ़ के समाजसेवी देवेन्द्र शर्मा ने भी तीसरी एम्बुलेंस करा दी। परासिया से रवाना हुई एम्बुलेंस को बाबई में रोककर कमलनाथ की भेजी गई एम्बुलेंस से नरेश को रवाना किया। देर रात नरेश अपने गांव पहुंच गए।
अस्पताल जैसी सुविधा
नरेश के गांव पहुंचने की व्यवस्था होने के बाद उनकी मदद को सामने आए, समाजसेवी मकसूदनगढ़ के समाजसेवी देवेन्द्र शर्मा ने नरेश के लिए एक सुविधाजनक फोल्डिंग बेड एवं टॉयलेट पॉट दिलाने जा रहे हैं। इस पलंग के चलते नरेश को जमीन या खटिया पर नहीं सोना पड़ेगा और पलंग पर वे परिजन उन्हें उठाकर बैठा भी सकेंगे। इससे नरेश की जिंदगी कुछ सरल होने की उम्मीद है।