29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सरकार के खिलाफ 10 मार्च से संत संदेश यात्रा निकालेंगे साधु संत

मुख्यमंत्री के गृहग्राम जैत से होगी पांच दिवसीय यात्रा की शुरुआत, फिर भी मांग पूरी नहीं हुई तो प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में, निकाली जाएंगी यात्रा

2 min read
Google source verification
mp news

भोपाल। चुनावी साल में साधु संतों ने भी सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजाने की तैयारी कर ली है। लंबे समय से अपनी मांग पूरी नहीं होने से नाराज साधु संत अब 10 मार्च से सरकार के विरोध में संत संदेश यात्रा निकालेंगे। इस यात्रा की शुरुआत मुख्यमंत्री के गृहग्राम जैत से होगी। इस पांच दिवसीय यात्रा के तहत क्षेत्र में जगह-जगह सभाएं करेंगे और साधु संतों की समस्याओं से लोगों को अवगत कराया जाएगा। इसके बाद भी अगर सरकार ने मांग पूरी नहीं की, तो प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्रों में यात्राएं निकाली जाएंगी, साथ ही उग्र आंदोलन की रणनीति भी तैयार करेंगे।

यह निर्णय सोमवार को लालघाटी स्थित गुफा मंदिर के मानस भवन में आयोजित अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में लिया गया। इस बैठक में बड़ी संख्या में प्रदेश के विभिन्न स्थानों से साधु संत उपस्थित हुए। बैठक समिति के संरक्षक महंत चंद्रमादास त्यागी और अध्यक्ष महंत सुरेंद्र गिरि महाराज की उपस्थित में आयोजित की गई थी। अध्यक्ष सुरेंद्र गिरी महाराज ने बताया कि साधु संत लंबे समय से अपनी समस्याएं सरकार तक पहुंचा रहे हैं, लेकिन इस ओर शासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। विरोध प्रदर्शन के बाद आश्वासन देकर हमारे आंदोलन को रोक दिया जाता है, लेकिन अब हम मठ मंदिरों, संत पुजारियों की समस्याओं को लेकर जनआंदोलन के रूप में यह यात्रा करेंगे।

नहीं होने देंगे मठ मंदिरों का सरकारीकरण
संत महंतों का कहना था कि सरकार मठ मंदिरों के सरकारीकरण का प्रयास कर रही है, लेकिन एेसा नहीं होने दिया जाएगा। कलेक्टर प्रबंधन पूरी तरह से खत्म करना होगा, साथ ही मंदिरों की कृषि भूमि नीलामी पर स्थायी रूप से रोक लगानी होगी। एक ओर तो सरकार किसानों को मुआवजा सहित कुछ सुविधाएं देती हैं, दूसरी ओर मंदिरों की कृषि भूमि पर खेती करने वाले पुजारियों को इससे वंचित रखा गया है, यह पुजारियों के साथ अन्याय है। कृषि भूमि वाले पुजारियों को मानदेय भी नाममात्र का दिया जाता है। इस तरह के अन्याय को अब सहन नहीं किया जाएगा। बैठक में महंत नरसिंहदास महाराज जबलपुर, राधे-राधे महाराज इंदौर, धर्मदास महाराज सीहोर, केशवदास बुदनी, काशीदास उज्जैन, डॉ. राधे चैतन्य जबलपुर, ओंकारदास विदिशा, रामकिशोरदास छतरपुर आदि शामिल थे।

ये है संत-महंतों की प्रमुख मांगे

- मठ मंदिरों की जमीनों की नीलामी पूर्णत: प्रतिबंधित हो

- भूमि जोतक पुजारियों को किसान के समान सरकारी योजनाओं की सुविधाएं मिले

- आपदा सहायता संतों और पुजारियों को तत्काल दे

- संस्कृत विद्यालय के छात्रों को भी मध्यान्न भोजन योजना से जोड़ा जाए