
MP Assembly Winter Session Third Day: कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में कार्य नहीं हो रहे। यही स्थिति रही तो हमारी तनवाह वापस जमा करा लें। हमें विकास के लिए पैसा चाहिए। वित्त मंत्री ध्यान दें, नहीं तो कांग्रेस विधायक दल की ओर से यह पत्र गुरुवार को आपको सौंपा जाएगा। अनुपूरक बजट पर चर्चा में यह बातें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहीं। उन्होंने कहा कि सरकार रोजाना 60 हजार करोड़ का कर्ज ले रही है।
जवाब में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा यह कर्ज नहीं, यह तो जनता के ऊपर निवेश है। इससे पहले चर्चा के लिए तय चार घंटे होने के बाद सिंघार को बोलने का मौका नहीं देने के चलते हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायकों ने गर्भगृह में नारेबाजी की। अध्यक्ष ने कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद सिंघार को बोलने का मौका दिया गया। अंतत: सदन ने 22460 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित कर दिया।
तत्काल बाद विनियोग विधेयक भी पेश कर पारित किया गया। चर्चा में विधायक सीताशरन शर्मा, ओमकार मरकाम, लखन घरघोरिया, शैलेंद्र जैन, अभय मिश्रा, फुंदेलाल मार्को, आरिफ मसूद, ओमप्रकाश सखलेचा, फूल सिंह बरैया, गौरव सिंह पारधी, सोहनलाल बाल्मीक, गायत्री राजे पवार, झूमा सोलंकी, चिंतामणि मालवीय, रामकिशोर दोगने, आशीष गोविंद शर्मा, महेश परमार, राजेन्द्र पांडे, नारायण सिंह पट्टा, प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा, अनिरुद्ध माधव मारू, अनुभा मुंजारे, सेना महेश पटेल, पंकज उपाध्याय, विजय चौरे आदि ने हिस्सा लिया।
बजट का सबसे ज्यादा पैसा जल संसाधन विभाग और एनवीडीए के पास जा रहा है। जबलपुर के बरगी ख्रलॉक में बड़ादेव संयुक्त उद्वहन माइक्रो सिंचाई योजना 600 करोड़ की नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने बनाई थी, इरीगेशन विभाग ने उसे 1200 करोड़ में बदल दिया। इतना बड़ा भ्रष्टाचार है, यह पैसा किसकी जेब में जा रहा है?
सरकार पर कर्ज 2021 में 2 लाख 53 हजार करोड़ था। 2024 में 3 लाख 85 हजार करोड़ के लगभग हो गया। अभी दस हजार करोड़ का कर्ज लिया गया है। मतलब प्रतिदिन सरकार 60 हजार करोड़ का कर्ज ले रही है। अनुपूरक बजट में राम गमन पथ के लिए कोई प्रावधान नहीं है। एमएसएमई के लिए 400 करोड़ बहुत कम हैं। एससी-एसटी के लिए प्रावधान तो रखा गया है, लेकिन बच्चों को छात्रवृउिा नहीं मिल रही।
उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे: 438 ट्रांसफर मात्र 10 महीने में हो चुके हैं। प्रशासनिक अराजकता की स्थिति बन गई है। ऐसी ब्या स्थिति है कि हर 15 दिन में कर्ज लेना पड़ रहा है। सरकार को स्वीकारना चाहिए कि उनके पास कोई फाइनेंशियल ह्रश्वलानिंग नहीं है।
रीजनल इन्वेस्टर समिट में 4 लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए। इसके बाद भी कुछ नहीं आया। ऊर्जा विभाग में 18000 करोड़ से अधिक का बजट था। अब तक 9000 करोड़ ही खर्च हुआ है। अब 8000 करोड़ से ज्यादा का प्रावधान फिर किया जा रहा है, आखिर ऐसी स्थिति क्यों है।
विधायक विक्रांत भूरिया: सरकार आदिवासी समाज को केंद्र से पैसा लेने के लिए एटीएम की तरह उपयोग कर रही है। वोट बैंक बना लिया है। सरकार पेसा कानून को कमजोर कर रही है।
उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा: कर्ज लेना कोई बुरी बात नहीं। यह छिपी बात भी नहीं। रिकॉर्ड पर रहता है। कर्ज वास्तव में प्रदेश की जनता में किया गया निवेश है। जितने भी तालाब, स्टॉप डैम, सिंचाई योजनाएं बनती हैं तो इसका लाभ जनता को मिलता है। जब कांग्रेस सरकारें रहीं, उस समय अगर कुछ प्रतिशत भी काम हुआ होता तो शायद आज मध्यप्रदेश की स्थिति कुछ और होती। प्रथम अनुपूरक अनुमान में 22460 करोड़ के प्रस्ताव हैं। राजस्व मद से 13130 करोड़ तथा पूंजीगत मद में 9330 करोड़ हैं। अनुपूरक अनुमान में लगभग सभी विभागों की जरूरतों का ध्यान रखा गया है।
Published on:
19 Dec 2024 09:52 am
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