इसी कारण मुरैना का राघवेंद्र आज जिंदगी और मौत के बीच फंसा हुआ है। यहां सिर्फ राघवेंद्र की बात नहीं है, इससे पहले गुढ़गांव की माही, सोनू, अंजू, प्रिंस आदि समेत तमाम बच्चे अपने ही घर के आसपास खुले पड़े बोरवेल में फंस चुके हैं। जबकि कुछ बच्चों की सांसें टूट गईं। यदि पिछले कुछ सालों की बोरवेल में बच्चों की गिरने की घटनाओं पर गौर करें तो कई नाम सामने आते हैं, लेकिन सभी की किस्मत प्रिंस जैसी नहीं रही।