
MP News: मध्यप्रदेश में एक बार फिर से बड़ा बदलाव होने जा रहा है। प्रदेश के संभागों और जिले की सीमाओं का दोबारा निर्धारण किया जाएगा। जिसमें कई नए जिले और नई तहसीलें बनाने का प्रस्ताव है। साल 2024 में संभाग, जिले और तहसीलों का नए सिरे से सीमांकन के लिए सितंबर में सरकार ने पुनर्गठन आयोग गठन किया था। इसमें रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव और मुकेश कुमार शुक्ला को इसका सदस्य बनाया है।
बीते दिनों, पुनर्गठन आयोग ने भोपाल, सागर और ग्वालियर संभाग के जिलों के कलेक्टरों के साथ बैठक की थी। बाकी और जिलों की बैठक नवंबर महीने में ही की जाएगी। इसके बाद आयोग सभी जिलों की रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगा।
मध्यप्रदेश में साल 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान मैहर, मऊगंज और पांढुर्णा को जिले के अस्तित्व में लाया गया था। रीवा को मऊगंज से अलग करके जिला बनाया गया था। इसी तरह सतना से मैहर और छिंदवाड़ा से पांढुर्णा को अलग करके जिला बनाया गया था। इससे पहले एमपी में 52 जिले ही हुआ करते थे। अब इन जिलों के अस्तित्व में आने से जिलों की संख्या 55 हो गई है। आइए जानते हैं कौन-सी जगहों को जिला-संभाग बनाने की तैयारी
बीना को जिला बनाने की मांग लगभग 50 साल पुरानी है। कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे बीना के जिला बनाने के लिए भाजपा ज्वाइन की थी, लेकिन बीच में खुरई का पेंच फंस गया। खुरई को जिला बनाने के लिए भीतरी लड़ाई शुरु हो गई। अगर बीना को जिला बनाया जाता है तो उसमें खुरई, मालथौन, बांदरी, कुरवाई और कई तहसीलों को शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।
साल 2012 में निमाड़ को संभाग बनाने की मांग उठी थी। जिसके बाद राजस्व विभाग की ओर खरगोन जिला प्रशासन से प्रस्ताव मांगा गया था। हालांकि, 2016 में तत्कालीन कलेक्टर अशोक वर्मा ने प्रस्ताव तो भेज दिया, लेकिन कुछ संशोधनों का हवाला देते हुए प्रस्ताव को लौटा दिया गया। इसके बाद दोबारा सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था।
1 जनवरी 2024 को समीक्षा बैठक के दौरान निमाड़ को अलग संभाग बनाने की बात सामने आई थी क्योंकि इंदौर प्रदेश का सबसे बड़ा संभाग है। इसमें आठ जिले आते है। अगर निमाड़ संभाग बनता है तो खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी और खंडवा को मिलाकर नया संभाग बनाया जा सकता है।
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इंदौर से पीथमपुर की दूरी मात्र 26-27 किलोमीटर है। धार जिला मुख्यालय की दूरी 48 किलोमीटर है। परिसीमन के बाद अगर पीथमपुर को इंदौर में शामिल कराया जाता है तो आसपास के लोगों को कम दूरी तय करनी होगी। साथ इंदौर के नाम पीथमपुर की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी। औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण लोग इंदौर से पीथमपुर जाना पसंद करते न की धार से पीथमपुर। इंदौर में पीथमपुर के शामिल होने के विकास कार्यों में तेजी आएगी।
सिरोंज तहसील की दूरी विदिशा मुख्यालय से 85 किलोमीटर है। आसपास के लोगों को काम के लिए विदिशा आने-जाने में काफी टाइम लगता है। जिससे लोगों का काफी वक्त जाया होता है। सिरोंज को नया जिला बनाने की मांग काफी लंबे से उठी चली आ रही है।
इधर, पिपरिया अभी नर्मदापुरम जिले में आता है। इसकी दूरी मुख्यालय से 70 किलोमीटर है। पहाड़ी इलाका होने के कारण लोगों को आने-जाने में लगभग 2 घंटे का समय का लग जाता है। विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान पिपरियों को जिला बनाने के लिए धरना प्रदर्शन और हड़ताल भी की गई थी। पचमढ़ी आने-जाने वाले लोग पिपरिया से वाहन व्यवस्था देखते हैं। ऐसे में पिपरिया को भी नया जिला बनाने का प्रस्ताव है।
सतना जिले में आने वाला चित्रकूट 24 नवंबर को तहसील के रूप में अस्तित्व में आ जाएगा। यहां सतना की नौंवी तहसील होगी। राजस्व विभाग की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। चित्रकूट को मझगंवा से तोड़कर तहसील का रूप दिया गया है। जिसके अंतर्गत 111 गांव आएंगे।
मुलताई तहसील बैतूल जिले में आती है, लेकिन भौगोलिक दृष्टि से मुलताई से पांढुर्णा काफी नजदीक है। जिसके कारण लोगों का सीधा पाढुंर्णा से जुड़ाव है।
गुना जिले से हटाकर चाचौड़ा को भी अलग जिला बनाने की मांग उठ रही है। सिवनी जिले के लखनादौन को जिला बनाने की मांग काफी समय से उठाई जा रही है। ऐसे ही उज्जैन से अलग कर नागदा, दमोह से अलग करके हटा, डिंडौरी जिले के शाहपुरा, शिवपुरी जिले से अलग करके पिछोर को जिला बनाने की मांग की जा चुकी है। पिछोर को जिला बनाने की घोषणा खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी, लेकिन अभी तक पिछोर जिले के अस्तित्व में नहीं आया है।
ऐसे ही बालाघाट को तोड़कर वहां भी तीन जिले बनाएं जाने की मांग की जा चुकी है। इसके लिए पूर्व विधायक किशोर समरीते ने बालाघाट से तीन जिले बनाने के लिए राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा था।
वहीं, इसके अलावा धार जिले के मनावर को जिला और कुक्षी को बड़वानी बड़वानी जिले से जोड़ने का काम किया जा सकता है।
वर्तमान में मध्यप्रदेश में कुल 10 संभाग हैं। जिसमें 56 जिले और 430 तहसीलें हैं। नई सीमाओं को तय करने के लिए हर संभाग, जिले, तहसील और ब्लॉक स्तर पर रिपोर्ट मांगी जाएगी। इसके बाद उसको देखकर विचार-विमर्श किया जाएगा। फिर देखा जाएगा कि जिला मुख्यालय से तहसील या ब्लॉक से कितनी दूरी है। इसके साथ ही क्या-क्या विसंगतियां है। पुनर्गठन आयोग को देखेगा कि राजस्व, वन, नगरीय निकाय और पंचायत विभाग समन्वय कैस किया जा सकता है। सभी सीमाओं अध्यन करने के बाद ही फाइनल रिपोर्ट तैयारी की जाएगी।
साल 2025 में जनगणना की शुरुआत होने जा रही है। जिसके चलते प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को फ्रीज करने के निर्देश दे दिए गए हैं। जब तक जनगणना का काम पूरा नहीं हो जाता। तबतक कोई प्रशासनिक इकाई नहीं बनाई जाएगी। जनगणना खत्म होने के बाद ही कोई भी संभाग, जिला या तहसील अस्तित्व में आएगा।
Updated on:
15 Nov 2024 06:44 pm
Published on:
11 Nov 2024 09:25 pm
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