
mp news Ministers in charge (फोटो सोर्स : सोशल मीडिया)
MP News: मध्यप्रदेश सरकार ने मंत्रियों को जिलों की जिम्मेदारी दे रखी है। लक्ष्य है मंत्री अपने जिले में विकास का नेतृत्व करेंगे। संभावित गंभीर घटनाओं को होने से रोकेंगे। जब भी जिले के लोग संकट में पड़े तो उन्हें बाहर निकालने के प्रयास और जनता और सरकार के बीच सेतु का काम करेंगे। कई जिलों के प्रभारी मंत्री ऐसा करते नहीं दिख रहे हैं।
प्रभारी मंत्री राकेश सिंह: छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत विदेश में भी चर्चा का विषय रही। जहरीली दवा से एक के बाद एक कई बच्चों की मौत हो गई, लेकिन प्रभारी मंत्री राकेश सिंह अब तक एक्शन में नहीं दिखे। बड़ी घटनाओं के समय ऐसी उदासीनता और भी जिलों में देखी जा रही है, जिसको लेकर स्थानीय जनता में रोष है। जबकि स्वयं सीएम भी छिंदवाड़ा आए थे।
प्रभारी मंत्री धर्मेंद्रसिंह लोधी: दशहरे के दिन खंडवा में प्रतिमा विसर्जन के दौरान 11 बच्चों की मौत हुई। दिलदहलाने वाली घटना के बाद मुख्यमंत्री से लेकर कई जनप्रतिनिधि पीड़ितों के परिजनों से मिलने पहुंचे। खामियों को दूर करने के निर्देश दिए। जबकि लोगों की अपेक्षा थी कि प्रभारी मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी को अफसरों की बैठक लेकर चर्चा करनी चाहिए थी।
प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय: धार के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को नष्ट करने के निर्णय के दौरान लोग नाराज हुए। 3 जनवरी को कई गांवों में विरोध हुआ। पीथमपुर में दो लोगों ने पेट्रोल छिड़कर आग लगा ली। सरकार को सामने आना पड़ा, तब मंत्री भी सक्रिय हुए।
प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय: सतना के वित्रकूट में बारिश के दौरान बाढ़ के हालात बने। कई लोगों की गृहस्थी का सामान बर्बाद हो गया। इतना सबकुछ होता रहा लेकिन प्रभारी मंत्री ने सुध नहीं ली। यही नहीं, शिवपुरी, गुना, दमोह, रायसेन में भी राहत को लेकर मंत्री सुस्त दिखे।
प्रभारी मंत्री नरेंद्र शिवाजी: बैतूल में भी जहरीली सिरप से दो बच्यों की मौत सामने आई। अब तक दोनों को मुआवजा भी नहीं मिला। एक बच्चे के पिता तो मुख्यमंत्री से मिलने छिंदवाड़ा भी पहुंचे थे। जब किरकिरी होने लगी तब बैतूल पहुंचे, अस्पताल का निरीक्षण किया।
प्रभारी मंत्री प्रहलाद पटेल: रीवा में किसान खाद के लिए परेशान हुए। पुलिस के बल प्रयोग का सामना भी करना पड़ा। प्रदेश में भी हाल बेहाल रहे। गिने-चुने प्रभारी मंत्रियों को छोड़, किसी ने मोर्चा नहीं संभाला। जबकि रीवा व भिंड में हालात पूरी तरह बेकाबू थे।
राजनीतिक मामलों के विश्लेषक गिरिजाशंकर ने पत्रिका से कहा कि प्रभारी मंत्री बनाना एक औपचारिकता रह गया है न तो कोई ज्मिेदारी तय की जा रही है और न ही चूक होने पर जवाब लिए जा रहे। ये दोनों तय करनी पड़ेगी। प्रभारी मंत्रियों का जिलों में मूवमेंट है या नहीं?, जनता के साथ संवाद कैसा है? इन सभी बिंदुओं की निगरानी व समीक्षा करनी ही होगी। तभी सरकार को अपेक्षाकृत परिणाम मिलेंगे।
Published on:
14 Oct 2025 10:25 am
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