सुबह विधानसभा की कार्यवाही शुरु होते ही सीएम शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि यदि सभी सदस्य चाहते हैं कि ओबीसी के साथ ही पंचायत चुनाव होने चाहिए तो ऐसा ही होगा. उन्होंने इस संबंध में एक अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया जिसका गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने समर्थन किया. सीएम का यह प्रस्ताव एकमत से पारित हो गया.
गौरतलब है कि इससे पहले भी सरकार ने सदन में विश्वास दिलाया था कि बगैर ओबीसी आरक्षण के प्रदेश में पंचायत चुनाव नहीं होंगे. मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मतगणना के सारणीकरण व निर्वाचन परिणामो की घोषणा संबंधी कार्रवाई को स्थगित कर दिया था.
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इधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि नित नए आदेशों से असमंजस का माहौल बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार स्थिति स्पष्ट करें कि वह आखिर चाहती क्या है,ओबीसी आरक्षण पर क्या कदम उठाने जा रही है, न्यायालय कब जा रही है, क्या निर्णय ले रही है. इस संबंध में कमलनाथ ने ट्वीट भी किया है।
कांग्रेस ने सदन में भी पंचायत चुनाव का मामला उठाते हुए कहा था कि चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति है। चुनाव प्रक्रिया शुरू है, उम्मीदवार समझ नहीं पा रहे हैं कि पर्चा भरें या न भरें, चुनाव होंगे या नहीं होंगे। इस पर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार नियम के तहत काम कर रही है।
यह है पूरा मामला —
सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर ओबीसी आरक्षित सीटों पर चुनाव पर निर्वाचन आयोग रोक लगा चुका है। बाद में मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने तय किया कि राज्य में पहले और दूसरे चरण के पंचायत चुनाव होंगे लेकिन किसी भी सीट का परिणाम घोषित नहीं किया जाएगा। यह निर्णय उस स्थिति के मद्देनजर लिया गया जिसमें फिलहाल पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी सीटों पर चुनाव नहीं होने हैं। सभी सीटों पर परिणाम एक साथ घोषित किए जाएंगे। अब प्रदेश विधानसभा में पंचायत चुनाव एक साथ कराने पर प्रस्ताव पारित हो गया है.