
Mukhtar Ansari
लखनऊ. माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में हार्ट अटैक से मौत ने बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। पूर्वांचल की राजनीतिक फिजां में अब ये सवाल तैर रहा है कि मुख्तार अंसारी का चले जाना और ओमप्रकाश राजभर का एनडीए में लौट आना, क्या बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है। अंसारी की मौत से उपजे राजनीतिक विवाद के बाद क्षेत्र की राजनीति जबरदस्त टकराव के मोड़ पर आकर खड़ी हो गयी है। कांग्रेस, सपा, राजद, और बसपा हर चुनावी मंच में मौत को मुद्दा बना रहे हैं। भाजपा अपने तरीके से इसका जवाब दे रही है।
मुस्लिम मतों की लामबंदी
पिछले १९ सालों से जेल की सीखचों के पीछे रहने वाले मुख्तार को अब रॉबिनहुड की तरह पेश किया जा रहा है। जबकि, उसके अपराध का लंबा चौड़ा इतिहास रहा है। मुद्दाविहीन विपक्ष कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए मुस्लिम मतों की लामबंदी की कोशिश में है। गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, अंबेडकनगर, जौनपुर से लेकर प्रयागराज तक के मुस्लिम बहुल इलाकों में मुख्तार के साथ ही एकाएक पूर्व सांसद और बाहुबली अतीक अहमद की मौत के मामले को फिर से कुरेदा जा रहा है। भाजपा इस मुद्दे का जवाब आक्रामक तरीके से देने की रणनीति पर काम कर रही है। उसकी पूरी कोशिश किसी भी तरह के कानूनी घेरे में आने से बचने की है। अंसारी की मौत की न्यायिक जांच का त्वरित आदेश इसी रणनीति का एक हिस्सा है। मस्जिदों और खासकर मुस्लिम इलाकों में खुफिया नजर रखी जा रही है।
चार-पांच सीटों पर असर
एक तरह से मुख्तार अंसारी दबंगई की राजनीति करता रहा। बनारस,गाजीपुर,बलिया, आजमगढ़ और मऊ में उसकी अच्छी फैन फालोइंग थी। यह इलाका मुस्लिम बुनकरों और हथकरघों पर पलने वाले गरीब तबकों का भी है। मुख्तार मऊ से पांच बार विधायक रहा। मौजूदा समय में ओमप्रकाश राजभर के दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से अंसारी का बेटा यहां से विधायक है। फिलहाल, वह भी जेल में है। एनडीए ने घोषी से ओमप्रकाश राजभर के बेटे डॉ. अरविंद राजभर पर दांव लगाया है। सपा और बसपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यहां बसपा के अतुल राय अभी सांसद हैं। घोसी पूरे विश्व में मदीनुतुल उलामा इस्लामिक केंद्र के लिए भी प्रसिद्ध है। इसलिए यहां मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण आसानी से होता रहा है। उधर, अंसारी के बड़े भाई अफजल अंसारी गाजीपुर से सपा से लोकसभा उम्मीदवार बनाए गए हैं। इन दोनों सीटों पर सिंपैथी वोट लेने की कोशिश है। इसके अलावा माफिया डॉन मुख्तार और अतीक की भगोड़ा पत्नियों के नाम पर मुस्लिम महिला मतदाताओं से सहानुभूति मत बटोरने की तैयारी है। यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि मुख्तार और अतीक की मौत का मुद्दा क्या मुस्लिम मतों की तुष्टीकरण का सबब बनेगा। विपक्ष को सहानुभूति की सियासत का लाभ मिलेगा या फिर मुस्लिम एकजुटता की प्रतिक्रिया स्वरूप भाजपा इस मुद्दे का लाभ उठा ले जाएगी।
Published on:
01 Apr 2024 12:00 pm
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