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लगातार बैठकें फिर भी 1500 शिकायतें अब तक अनसुलझी

पानी का कुप्रबंधन

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Municipal Corporation

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भोपाल. आपको ये जानकर हैरत होगी कि पानी की छोटी बड़ी करीब 1500 शिकायतें अब तक लंबित हैं। लोग सीएम हेल्पलाइन से लेकर जोन में जनसुनवाई व निगम मुख्यालय तक इनकी शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन स्थिति नहीं सुधरी। दरअसल ये वे शिकायतें हैं जो निगम के जोन स्तर पर जलकार्य इंजीनियरों ने अपने स्तर पर ही निपटान दर्शा करके बंद कर दी थी। यही शिकायतें फिर से दर्ज हुई तो पता चला, शिकायतों का कागजी निराकरण हुआ था।


ये स्थिति तब है, जब प्रशासक पानी को लेकर लगातार बैठकें ले रही हैं। हर क्षेत्र में शिविर लगाकर लोगों से उनकी समस्याएं पूछी जा रही हैं और निराकरण के निर्देश दिए जा रहे हैं। सबसे अधिक लंबित शिकायतें जोन चार, जोन 18, जोन 2, जोन 17 में हैं। जोन 18 में तो रहवासियों का सहायक यंत्री से लगभग रोजाना विवाद हो रहे हैं। जोन चार में लोगों को कम दबाव से जलापूर्ति की जा रही और शिकायतों को अपने स्तर पर ही निपटान किया जा रहा। हालांकि अब प्रशासक कल्पना श्रीवास्तव ने जलकार्य की मॉनीटरिंग अपने हाथ में ली है और उनका कहना है कि शिकायतों की पूरी जांच करवाई जाएगी, ताकि ये दोबारा न खुले, लोगों को राहत मिले।

शहर में जलसंकट के ये कारण
-नगर निगम में जलकार्य के अधिकारी व इंजीनियर प्रभार पर काम कर रहे हैं, तकनीकी तौर पर वे दक्ष नहीं हैं।
-पूरी टीम पीएचई से प्रति नियुक्ति पर आई जो सीधे निगम के प्रति जवाबदेह नहीं।
-जलकार्य का पूरा काम ठेकेदारों के हाथ में है, इन्हें पूरा भुगतान किया जा रहा, लेकिन मॉनीटरिंग नहीं हो रही।

पानी वितरण का काम पीएचई के ही जिम्मे रखना चाहिए। निगम के पास जल वितरण को लेकर तकनीकी लोगों की कमी है। पानी की लाइन बिछाने से लेकर वितरण तक तकनीकी काम है, ये निगम के बस की बात नहीं है। इसलिए ही दिक्कत है।
जीएस दुबे, रिटायर्ड एसई, जलसंसाधन

पानी एक तकनीकी वाला काम है और इसे प्रभार पर चलाना ठीक नहींं है। जिस स्तर का काम हो, उसके लिए उसी स्तर केइ इंजीनियर हो तो सही प्लान बनेगा। शहर को बेहतर जलापूर्ति के लिए बेहतर प्लान की जरूरत है, जलकार्य टीम बेहतर होना चाहिए।
केएस चौहान, रिटायर्ड सीई, जल संसाधन