ये वीडियो देखें और घर बैठे ही विधि-विधान से करें अष्टमी पूजन
भोपाल। नवरात्र में वैसे तो सभी नौ दिन महत्वपूर्ण हैं, पर धर्म शास्त्रों के अनुसार नवमी की पूजा का विशेष महत्व है। जिंदगी की आपाधापी में विधि-विधान से पूजा कर पाना मुश्किल हो गया है। इस मुश्किल को दूर करने के लिए 'पत्रिका ऑनलाइन' पहली बार ऐसी सुविधा देने जा रहा है, जिसके जरिए आप घर बैठे सिर्फ वीडियो देखकर अष्टमी की पूजा पूरे विधि-विधान और मंत्रों के साथ कर सकेंगे। इन वीडियो में शहर के ख्यात आचार्यों ने शास्त्रों के अनुरूप पूजा की पूरी विधि शुरुआत से लेकर अंत तक बताई है।
आप विधि को पढ़कर और ऑडियो-वीडियो के जरिए देख व सुनकर पूजा संपन्न कर सकते हैं....।
पढ़ें भी और सुनें भी, पूजा की विधि
पंडित गौरीशंकर शास्त्री चरणबद्ध तरीके से बता रहे हैं नवमी पूजा की मंत्रोच्चारणों के साथ विधि।
1. सर्वप्रथम घर के मंदिर में आसन को पवित्र करके स्वयं को जल से पवित्र करते हैं।
2. बिल्व पत्र, हल्की, केसर या कुमकुम, चावल, इलायची, लौंग, काजू, बादाम, पिस्ता, किसमिस, गुलाब के फूल, मोगने के फूल और संकल्प के रूप में एक रुपए का सिक्का देवी के सामने रखें।
3. फिर देवी के चित्र या उनके यंत्र पर या फिर मन में देवी का आह्वान किसी सुपारी पर करके प्रत्येक नाम के उच्चारण के बाद 'नम' बोलकर देवी को उनकी प्रिय वस्तु अर्पित करें।
4. देवी की मूर्ति के सामने बैठकर अपना नाम, गौत्र, और अपने स्थान का उल्लेख करें।
5. अर्चन के पूर्व पुष्प, धूप, दीपक प्रज्जवलित करें, फिर नैवेद्य (कुछ मिष्ठान) लगाएं।
6. दीपक इस तरह जलाना चाहिए पूजा समाप्ति तक दीप प्रज्वलित रहे।
7. एक से दस साल तक की कन्याओं का पूजन करें।
8. कन्याओं की कलाइयों पर कलावा बांधें और उन्हें हलवा, पूड़ी का भोजन कराएं।
9. तत्पश्चात आप भोजन करें।
देखें वीडियो
पंडित गौरीशंकर शास्त्री बता रहे हैं कैसे करें नवमी पर पूजन
अब वीडियो में पंडित जी मंत्र बोलेंगे और आप पूजा शुरू करें....
विदेश में नहीं मिले पूजन सामग्री तो...।
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विदेश में रहने वाले लोगों को यदि पूजन सामग्री उपलब्ध नहीं हो तो अपने शरीर की शुद्धि करें और शुद्ध मन के सामने माता की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर एकाग्र चित्त के साथ दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोकों के साथ आहूति देना चाहिए। हवन में जो भी प्रसाद चढ़ाया जाए उसे बाटें और हवन की अग्नि ठंडी को पवित्र जल में विसजिज़्त कर दें अथवा भक्तों में वितरित कर दें। हवन की यह भस्म रोग, संताप और ग्रह बाधा से भक्तों की रक्षा करती है।