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एक कॉलेज ऐसा भी, जहां रातभर दिखाते हैं अश्लील फिल्म, पिलाते हैं शराब

 नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (एनएलआईयू) में रैगिंग की शिकायतें लगातार पहुंच रही हैं। नया सत्र शुरू हुए एक महीना भी नहीं बीता है और रैगिंग के कारण स्टूडेंट खौफ में हैं।

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Bhalendra Malhotra

Jul 22, 2017

bhopal

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भोपाल.
नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (एनएलआईयू) में रैगिंग की शिकायतें लगातार पहुंच रही हैं। नया सत्र शुरू हुए एक महीना भी नहीं बीता है और रैगिंग के कारण स्टूडेंट खौफ में हैं। गुरुवार देर रात की गई शिकायत में फस्र्ट ईयर के स्टूडेंट ने कहा है कि सीनियर्स रोज रैगिंग ले रहे हैं।

एक सीनियर सुबह पांच बचे तक बार-बार पोर्न देखने के लिए जोर जबर्दस्ती करता रहा। तीन शिकायतों में चार सीनियर स्टूडेंट्स के नाम सामने आ रहे हैं।

छात्र ने शिकायत में कहा है कि वह एेसे पेश आ रहे हैं जैसे मेरी कोई सेल्फ रिस्पेक्ट नहीं है। सीनियर यहां पर हमें पढऩे तक नहीं दे रहे हैं। स्थिति हाथों से बाहर जाती दिख रही है, इसलिए सहायता कीजिए। छात्र ने यह शिकायत रात करीब साढ़े ग्यारह बजे की। इसके बाद एंटी रैगिंग हेल्पलाइन द्वारा इसकी जानकारी एनएलआईयू प्रबंधन तक पहुंचाई गई। उधर, एनएलआईयू ने शुक्रवार से पड़ताल शुरू कर दी है। इसके चलते जूनियर से चर्चा कर घटना की हकीकत जानने की कोशिश की गई।


मेरे धर्म का उड़ाते हैं मजाक

फस्र्ट ईयर एक स्टूडेंट ने 18 जुलाई को भी रैगिंग की शिकायत की और बताया कि बुरी तरह से रैगिंग ली जा रही है। वह बहुत ही रूढी़वादी और विनम्र पृष्ठभूमि से है। वहां एेसा नहीं होता, लेकिन यहां सीनियर्स जूनियर के लिए बिना किसी कारण बहुत गंदे और भद्दे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। अश्लील कृत्यों के लिए कहा जाता है। छात्र का आरोप है कि 18 जुलाई की पिछली रात बुरी तरह से रैगिंग ली गई। सीनियर सिगरेट पीते रहे और उसका धुआं मेरे चेहरे पर उड़ाते रहे। वे मेरे धर्म का मजाक उड़ाते हैं और छोड़ देते हैं।


शराब पीने के लिए किया मजबूर

एक अन्य शिकायत में छात्र ने कहा एनएलआईयू में आकर अपने भविष्य को सुरक्षित देख खुश हो रहा हूं, लेकिन सीनियर शांति से नहीं रहने देते। सीनियर शराब पीने के लिए दबाव डालते हैं। आरोप लगाए हैं कि जूनियर्स को रातभर जागना पड़ता है। सीनियर पढऩे नहीं देते। इसके अलावा लाइब्रेरी भी नहीं जाने देते।


प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने शुरू की जांच

एनएलआईयू प्रबंधन ने पड़ताल शुरू कर दी है। शुक्रवार को प्रॉक्टर डॉ. राजीव खरे ने बताया कि पीडि़त का नाम पता नहीं चलने से इस तरह की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करना मुश्किल होता है। जूनियर्स से चर्चा की गई और उनसे इन घटनाओं की जानकारी ली गई, लेकिन छात्र इस तरह की घटना से साफ इनकार रहे हैं। डॉ. खरे का कहना है कि इस मामले की पूरी पड़ताल की जा रही है। जूनियर की सुरक्षा के लिए पूरी टीम अलर्ट है और एंटी रैगिंग कमेटी, एंटी रैगिंग स्क्वॉड व अन्य सभी समय-समय पर निरीक्षण करते रहते हैं।