(एक्सप्लोसिव रूल-2008 के तहत पटाखों का डेसीबल और केमिकल का उल्लेख नहीं किया जा रहा है।)
भोपाल। हर साल दशहरा और दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी पर अमानक पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन प्रशासन सख्ती से पेश नहीं आता है। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए एनजीटी ने राज्य सरकारों से चार नवंबर तक जांच रिपोर्ट मांगी है।
अमानक पटाखे और उनके शोर को लेकर शैलेन्द्र सिंह व होप संस्था की ओर से एनजीटी में याचिका दायर की गई। बुधवार को एनजीटी में हुई सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के वकील रोहित शर्मा ने बताया एक्सप्लोसिव रूल-2008 के तहत पटाखों का डेसीबल और केमिकल का उल्लेख नहीं किया जा रहा है। वहीं दीपावली के वक्त चाईनीज अमानक पटाखों की ब्रिकी की जाती है, जो कि नियमों के विपरीत हैं।
वहीं वर्ष 2001 से 2012 तक आए हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी प्रिसिंपल बेंच के फैसले के मुताबिक भी आतिशबाजी में एक्सप्लोसिव रूल से संबंधित नियमों को पालन करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन शासन द्वारा इन नियमों को लागू नहीं किया गया है।
वहीं रात 10 से सुबह 6 तक पटाखे बजाने पर लगे बैन का पालन भी नहीं हो रहा। एनजीटी ने इस मामले में मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिए हैं कि 4 नवंबर तक सभी राज्य पीसीबी और जिला प्रशासन की मदद से अमानक पटाखों की जांच कर रिपोर्ट पेश करे।