2015 से प्रदेश में कैडेवर डोनेशन बढ़ा है। इसमें ब्रेन डेड मरीज (जिसके ब्रेन ने काम करना बंद कर दिया है) के अंग दान किए जाते हैं। इस मामले में पहले नंबर पर इंदौर और दूसरे नंबर पर भोपाल है। इसके चलते सरकारी आर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर बनाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। भोपाल प्रदेश के बीचों-बीच होने के साथ इंदौर के मुकाबले देश के अन्य शहरों बेहतर कनेक्टिविटी के चलते देशभर के मरीज यहां आसानी से पहुंच सकेंगे।
यही नहीं इस सेंटर में आनेवाला खर्च निजी अस्पतालों के मुकाबले आधे से भी कम होगा। शहर में 150 से ज्यादा मरीजों को तत्काल ऑर्गन ट्रांस्प्लांट की जरूरत है। इन मरीजों में आधे से ज्यादा मरीज गरीब हैं जो निजी अस्तपालों का खर्च नहीं उठा सकते। ऐसे मरीजों के लिए यह सेंटर ज्यादा लाभदायक होगा।
शिवशेखर गुप्ता, आयुक्त चिकित्सा शिक्षा मप्र
हार्ट – 7
लिवर – 11
किडनी – 23
स्किन -26
आई- 85
(आंकडें विभिन्न अस्पतालों से मिली जानकारी के मुताबिक) यह है खर्च स्थिति
ऑर्गन – बाहर खर्च – भोपाल
हार्ट- 35 से 40 लाख – 20 से 25 लाख
लिवर – 25 से 30 लाख – 16 से 18लाख
किडनी – 10 से 12 लाख – 5 से 6लाख
कॉर्निया – 50 से 70 हजार – 20 से 30 हजार
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ऑर्गन- 2010 में – वर्तमान में
हार्ट – 00- 01
लिवर – 2 से 3 – 10 से12
किडनी -7 से 10 – 20 से 25
नेत्र- 25 से 35 – 90 से 110