
MP News :मध्यप्रदेश के ढाई लाख आउटसोर्स कर्मी परेशान है। इनमें से कई को 11 महीने से मानदेय नहीं मिला, जिन्हें मिला, उन्हें कुल मानदेय का 20 फीसद काटकर दिया। सबसे ज्यादा मनमानी स्वास्थ्य विभाग और बिजली कंपनियों से सामने आ रही है। दूसरे विभागों के कर्मी भी परेशान है जबकि आउटसोर्स पर सरकार से काम लेने वाली कंपनियों की बल्ले-बल्ले है। यह मुद्दा विधानसभा में भी उठ चुका है लेकिन विभाग प्रमुखों पर इसका कोई असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। उधर पीड़ा व्यक्त करने वाले कर्मचारियों को झूठे आरोप लगाकर हटाया जा रहा है।
भोपाल में आउटसोर्स कर्मी राजू जेपी अस्पताल के स्किन लैब में कार्यरत है। कई और भी कर्मी सेवाएं दे रहे हैं जिन्हें 7 माह से, उमरिया के पाली में 5 माह से, शहडोल के बुढ़ार में 6 माह से, श्योपुर के विजयपुर जनपद में 11 माह से और दमोह जिले 8 माह से मानदेय नहीं दिए गए। इतना ही नहीं, सागर में पोषण केंद्र के सपोर्ट स्टाफ के कई कर्मचारियों को कुल मानदेय का 50% दिया जा रहा है। वहीं जबलपुर के कई कर्मियों का दो वर्ष से ईपीएफ जमा नहीं किया है।
संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कोमल सिंह का कहना है कि प्रदेश में कुछ निजी आउटसोर्स कंपनियां बड़ा घोटाला कर रही है, जिसमें कुछ प्रभावशाली लोग मिले हुए हैं। सरकार की छवि प्रभावित हो रही है।
मनमानी करने वाली कई आउटसोर्स कंपनियों के तार कुछ जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से जुड़े है। चूंकि आउटसोर्स व्यवस्था कमाई का बढ़ा जरिया है, इसलिए कई प्रभावशाली लोगों ने करीबियों के नाम पर कंपनियां बनाई और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए आउटसोर्स कर्मियों का ठेका भी ले लिया।
Published on:
23 Mar 2025 10:43 am
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