
भोपाल. प्रदूषण के मामले में राजधानी भोपाल भी देश की राजधानी दिल्ली के पीछे चल पड़ी है। यहां पिछले कुछ दिनों से एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के करीब तक पहुंच रहा है। 16 नवंबर को तो एक्यूआइ 300 के ऊपर निकल गया था जबकि इसे 100 के नीचे होना चाहिए।
इसमें सबसे बड़ा प्रदूषक पीएम 2.5 सामने आ रहा है। यह प्रदूषण ठंड बढऩे के साथ और बढऩे की आशंका जताई जा रही है। इसका कारण मुख्यत: सर्द मौसम के साथ खुदी हुई सड़कें, पुराने वाहनों का धुआं और नरवाई जलाना है। यही स्थिति रही तो श्वांस के साथ अन्य बीमारियां बढऩा शुरू हो जाएंगी।
एक्यूआइ की यह स्थिति
| दिनांक | एक्यूआई |
| 16 नवंबर | 307- बहुत खराब |
| 17 नवंबर | 288- खराब |
| 18 नवंबर | 287- खराब |
विशेषज्ञों के अनुसार ठंड के दिनों में नमी के कारण धूल, धुआं और गैसों के हानिकारक कण आद्र्रता सोखकर भारी हो जाते हैं। इससे यह कण वातावरण में ऊपरी सतह में नहीं जा पाते। इससे निचले स्तर पर ही यह फैल जाते हैं और हवा में प्रदूषण की जांच करने वाले स्टेशनों में कणों का स्तर दर्ज हो जाता है। जबकि यही कण गर्मी के दिनों में भी पाए जाते हैं लेकिन शुष्क वातावरण होने के कारण यह हल्के रहते हैं और यह वातावरण में ऊपर तक फैल जाते हैं। जिससे इनका निचले स्तर पर ज्यादा असर नहीं होता। अभी स्थिति चिंताजनक बनी रह सकती है।
प्रदूषण के ये हैं कारण
- भोपाल में अधिकतर सड़कों पर धूल भरी पड़ी हैं। कई सड़कों की मरम्मत भी नहीं हुई है। इन पर वाहन चलने से दिनभर धूल उड़ती है जो वातावरण की हवा को प्रदूषित करती है।
- सड़कों पर 15 साल से ज्यादा पुराने हजारों वाहन दौड़ रहे हैं। यह जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो हवा को प्रदूषित करता है।
- अभी खरीफ फसलों की कटाई के बाद खेतों को साफ करने का समय चल रहा है। नरवाई में आग लगाई जा रही है जिसके कारण एकदम से धुएं का स्तर बढ़ जाता है।
- कई निर्माण कार्य भी बिना किसी आवरण के चल रहे हैं। इससे भी वातावरण में धूल तेजी से बढ़ती है।
Published on:
20 Nov 2021 04:17 pm
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