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MP Police: तनाव मुक्त करने के लिए राजधानी में पुलिस की रस्साकस्सी प्रतियोगिता- देखें वीडियो

पुलिसकर्मियों में तनाव को लेकर पीएचक्यू की रिपोर्ट सामने आने के बाद संजिदा हुआ विभाग,कोशिशें शुरू...

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Rassakassi competition

भोपाल। मध्यप्रदेश में पुलिसकर्मियों द्वारा लगातार की जा रही आत्महत्या के बीच पुलिस हैडक्वाटर की आई रिपोर्ट ने पुलिस की काफी किरकिरी की है। इस रिपोर्ट में आत्महत्या का कारण जहां कार्य के प्रेशर को न बताकर खुद को ना-मर्द समझने,प्रेम-प्रसंग, नशा और परिवार की जिम्मेदारी को बताया गया।

रिपोर्ट के चर्चा में आने के बाद पुलिस अधिकारी जागे और तब कहीं जाकर ये निर्णय लिया गया कि उन्हें लगातार ड्यूटी के बाद आराम करने के लिए अवकाश दिया जाएगा। इसी के चलते रविवार को भोपाल में पुलिसकर्मियों को तनाव मुक्त करने के लिए नेहरू नगर में पुलिस रस्साकस्सी प्रतियोगिता की गई।

यहां पुलिसकर्मी एक दुसरे को पछाड़ने के लिए जोर लगाते देखे गए। इस दौरान पुलिस के डीआईजी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

यह है मामला...
दरअसल इन दिनों मानसिक तनाव और अधिक ड्यूटी के चलते पुलिस की ख़ुदकुशी के मामले को लेकर प्रदेश भर में हड़कंप मच हुआ है। वहीं पुलिस मुख्यालय में बैठे अफसर कहते हैं, कि हमारी पुलिस नपुसंक है, ये राज अपने ही महकमे को लेकर आला अफसरों की पेश रिपोर्ट में उजागर किया गया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में दलील दी गई है कि पुलिसकर्मी मानसिक तनाव में नहीं खुद को ना-मर्द समझकर या प्रेम-प्रसंग में या नशे के अलावा परिवार की जिम्मेदारी के चलते नौकरी से ज्यादा अच्छी मौत को मानकर उसे गले लगा रहे हैं।

एक ओर जहां मध्यप्रदेश में बीते पांच साल में कुल 69 पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या की है। जिसके बाद पुलिसकर्मियों के बढ़ते खुदकुशी के ग्राफ और मैदानी अमले में तैनात पुलिसकर्मियों के मानसिक तनाव को लेकर पुलिस महकमा चिंतित था कि आखिर प्रदेश पुलिस ईकाई में तैनात पुलिसकर्मी मौत को गले क्यों लगा रहे हैं।

इस राज को जानने के लिए पुलिस मुख्यालय की कल्याण शाखा ने सभी जिले के एसपी को 26 दिसंबर को पत्र लिखकर दो दिन के अंदर मौत की असलियत जानने के लिए जानकारी मांगी थी।

इसी के बाद पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अधिकांश में आत्महत्या की वजह प्रेम प्रंसग, पारिवारिक कारण, बीमारी के साथ ही खुद को नामर्द समझना भी सामने आया है। पुलिस विभाग ने इस बात को झुठला दिया है कि नौकरी का दबाव और अफसरों की प्रताडऩा के कारण किसी पुलिसकर्मी ने मौत को गले लगाया है।

इसके बाद ये लिए गए निर्णय...
हर ओर इस रिपोर्ट की किरकिरी होने के बाद सरकार व पुलिस विभाग की ओर से पुलिसकर्मियों को तनाव मुक्त रखने के लिए कुछ निर्णय लिए गए...

डीजीपी ने पिछले माह ही दिए थे आदेश
डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला ने पिछले माह दिसंबर में ही अवकाश दिए जाने के आदेश दिए थे। डीजीपी शुक्ला ने इससे पहले आयोजित एक बैठक में पुलिसकर्मियों को 15 दिन में अवकाश देने के निर्देश भी जारी किए थे।

हालांकि पुलिस के आला अधिकारी अवकाश के पक्ष में थे, क्योंकि उनका मानना है कि बल की कमी के कारण यह व्यावहारिक नहीं है।

इससे पहले बुरहानपुर और उज्जैन पुलिस भी अवकाश की व्यवस्था करने लगे है, उसी प्रकार सभी को करना चाहिए।

अवकाश देने का खुद तरीका खोजे पुलिस
मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद जब अधिकारी पुलिस कर्मियों को अवकाश देने के पक्ष में नहीं लग रहे थे तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आला अधिकारियों को स्पष्ट कह दिया था कि पुलिस कर्मियों को भी एक दिन का साप्ताहिक अवकाश मिलना चाहिए। इसके बावजूद वे कई महिनों तक अवकाश देने का तरीका नहीं खोज पाए थे।