
भोपाल। मध्यप्रदेश में पुलिसकर्मियों द्वारा लगातार की जा रही आत्महत्या को लेकर उनका खुद का विभाग कितना संजिदा है,यह बात पीएचक्यू की रिपोर्ट में सामने आ गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक यहां के पुलिसकर्मी कार्य के दबाव से नहीं बल्कि खुद को ना-मर्द समझने,प्रेम-प्रसंग, नशा और परिवार की जिम्मेदारी के चलते आत्महत्या कर रहे हैं।
दरअसल इन दिनों मानसिक तनाव और अधिक ड्यूटी के चलते पुलिस की ख़ुदकुशी के मामले को लेकर प्रदेश भर में हड़कंप मच हुआ है। वहीं पुलिस मुख्यालय में बैठे अफसर कहते हैं, कि हमारी पुलिस नपुसंक है, ये राज अपने ही महकमे को लेकर आला अफसरों की पेश रिपोर्ट में उजागर किया गया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में दलील दी गई है कि पुलिसकर्मी मानसिक तनाव में नहीं खुद को ना-मर्द समझकर या प्रेम-प्रसंग में या नशे के अलावा परिवार की जिम्मेदारी के चलते नौकरी से ज्यादा अच्छी मौत को मानकर उसे गले लगा रहे हैं।
एक ओर जहां मध्यप्रदेश में बीते पांच साल में कुल 69 पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या की है। जिसके बाद पुलिसकर्मियों के बढ़ते खुदकुशी के ग्राफ और मैदानी अमले में तैनात पुलिसकर्मियों के मानसिक तनाव को लेकर पुलिस महकमा चिंतित था कि आखिर प्रदेश पुलिस ईकाई में तैनात पुलिसकर्मी मौत को गले क्यों लगा रहे हैं। इस राज को जानने के लिए पुलिस मुख्यालय की कल्याण शाखा ने सभी जिले के एसपी को 26 दिसंबर को पत्र लिखकर दो दिन के अंदर मौत की असलियत जानने के लिए जानकारी मांगी थी।
इसी के बाद पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अधिकांश में आत्महत्या की वजह प्रेम प्रंसग, पारिवारिक कारण, बीमारी के साथ ही खुद को नामर्द समझना भी सामने आया है। पुलिस विभाग ने इस बात को झुठला दिया है कि नौकरी का दबाव और अफसरों की प्रताडऩा के कारण किसी पुलिसकर्मी ने मौत को गले लगाया है।
अपने तंत्र को सही साबित करने का तरीका...
वहीं इस रिपोर्ट के संबंध में कुछ जानकारों का मानना है कि इस रिपोर्ट के जरिए पुलिस के आला अधिकारियों ने कई निशाने लगाए हैं। इस रिपोर्ट के बाद जहां पुलिस के वर्किंग प्रेशर की बात पुरी तरह से खारिज हो गई है। वहीं पुलिस के कार्य घंटों,छुट्टी सहित अन्य भी कई कमियों को अस्वीकार कर दिया गया है। वहीं कुछ समय पहले व्हाट्सएप पर पुलिसिंग को लेकर उठे सवालों व पुलिसकर्मियों को भी आम लोगों की तरह निश्चित घंटों ही कार्य करने व छुट्टी दिए जाने वाले सभी मुद्दों को दरकिनार कर दिया गया है।
जानकारों का यह तक कहना है कि जहां एक ओर पूरे देश में यह माना जाने लगा था कि पुलिस की कार्यप्रणाली कठीन होने के साथ ही यह तनाव पैदा करती है,इस रिपोर्ट के बाद मध्यप्रदेश पुलिस को इन मुद्दों से छूटकारा दिलाने का प्रयास किया गया है। वहीं कुछ जानकार इसे आत्महत्या के मामलों के पीछे छुपे कारणों को दबाने वाला कदम भी मानते हैं।वैसे अधिकांश जानकार इस रिपोर्ट के संबंध में मानते हैं कि ये असल में केवल अपने तंत्र को सही साबित करने का तरीका भर है।
इस विधि से किया गया आंकलन
1- जिनकी नौकरी एक साल से पांच साल के बीच हुई, एेसे पांच पुलिसकर्मियों ने मौत को गले लगाया। जांच के बाद जिलों से आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इन्होंने प्रेम-प्रसंग के चलते मौत को गले लगाया। वजह परिवार की रजामंदी से शादी हुई।
2- जिनकी नौकरी छह से 20 साल तक की हुई, वह शराब और अन्य नशे के आदि बताए गए। नशे के चलते सात पुलिसकर्मियों ने खुदकुशी कर ली।
3- जिनकी नौकरी 20 साल से अधिक हुई, उनमें 15 पुलिसकर्मियों ने मौत को गले लगाया। यह पुलिसकर्मी परिवार को लेकर चिंतित बताए गए। परिवार की चिंता के दबाव के चलते इन्होंने खुदकुशी कर ली। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें कुछ एेसे भी पुलिसकर्मी बताए गए, जो खुद को नामर्द समझने लगे थे।
जिलों से खुदकुशी को लेकर पीएचक्यू में जो रिपोर्ट आई है, उसमें मानसिक तनाव और नौकरी में अधिक ड्यूटी को लेकर कोई बिंदु नहीं आया है। रिपोर्ट में खुदकुशी का कारण प्रेम-प्रसंग, नशा और परिवार की चिंता बताई गई है।
- एसएम अफजल, एडीजी कल्याण शाखा पीएचक्यू
सामने आ चुके कई मामले ...
- 23 दिसम्बर को अशोक नगर जिले में एएसआई सतीश रघुवंशी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। नौकरी में काम को लेकर दबाव और टीआई सहित वरिष्ठ अफसरों पर मानसिक तनाव का आरोप लगाया था।
- 03 अक्टूबर को भिंड जिले के रौन थाने में पदस्थ हवलदार रामकुमार शुक्ला ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली थी। हवलदार ने टीआई पर प्रताडि़त और केस डायरी की जांच को लेकर भेदभाव करने के आरोप लगाए थे।
- 16 अक्टूबर को जबलपुर में सिविल लाईन थाने में तैनात सिपाही विक्रम जांगले ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। आरोप थे कि वह नौकरी को लेकर मानसिक तनाव में था।
Published on:
05 Jan 2018 01:57 pm
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