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प्रदूषण 7 बीमारियां की वजह, एमपीपीसीबी के साथ एम्स के डॉक्टर करेंगे शोध

वातावरण में मौजूद अलग-अलग प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां होती हैं। कौन सा प्रदूषक किसी बीमारी के लिए जिम्मेदार है एम्स,भोपाल इस पर शोध करेगा। इसके लिए मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के साथ एम्स ने एमओयू किया।

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भोपाल. वातावरण में मौजूद अलग-अलग प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां होती हैं। कौन सा प्रदूषक किसी बीमारी के लिए जिम्मेदार है एम्स,भोपाल इस पर शोध करेगा। इसके लिए मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के साथ एम्स ने एमओयू किया।
एमपीपीसीबी की मानव कल्याण की पहल
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहली बार मानव कल्याण पर पर्यावरण में मौजूद प्रदूषक का दीर्घकालिक प्रभाव पर अध्ययन के लिए चिकित्सा संस्थान से हाथ मिलाया है।
शुरू होंगेे नए कोर्स
एम्स,भोपाल के निदेशक प्रोफेसर अजय ङ्क्षसह ने पर्यावरणीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेषज्ञता अध्ययन के साथ ही इस विषय पर नए कोर्स शुरू करने पर संभावना जताई।
एमपीपीसीबी की प्रयोगशाला में शोध
एमपीपीसीबी के सदस्य सचिव चंद्र मोहन ठाकुर के अनुसार एम्स के शोधकर्ता पीसीबी की प्रयोगशाला का इस्तेमाल करेंगे।
शुरूआत पायलट अध्ययन से
शुरुआत में एम्स के शोधकर्ता ङ्क्षसगरौली की आबादी पर वायुजनित (एयर बार्न) फ्लाई ऐश कणों के स्वास्थ्य प्रभावों पर एक क्षेत्र-आधारित पायलट अध्ययन करेंगे। यह जिला देश में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले जिलों में से एक है।
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एंटी स्मॉग गन तैनात हों
एक्सपर्ट
दिल्ली की तरह भोपाल में भी धूल रोधी अभियान चलाने की जरूरत है। राजधानी में भी जगह-जगह निर्माण कार्य चल रहे हैं। इनसे वातावरण प्रदूषित हो रहा है। निर्माण कार्यों की जांच के लिए आकस्मिक टीमों का गठन होना चाहिए। जो निर्माण स्थलों पर प्रदूषण के खिलाफ उपायों के अनुपालन पर नजर रखे। पांच हजार वर्ग मीटर से बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन की तैनाती करनी चाहिए। धूल के प्रदूषण को रोकने के एंटी-स्मॉग गन लगाना अनिवार्य कर दिया जाए।
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प्रदूषण से होती हैं ये गंभीर बीमारियां
-फेफड़ों का कैंसर
-हृदय संबंधी बीमारी
-सीओपीडी बीमारी
-निमोनिया
-स्किन संबंधी समस्या
-अस्थमा
-स्मरण शक्ति पर असर
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धूल से बचें
डॉ. नमित अग्रवाल
चेस्ट फिजीशियन
प्रदूषण के कारण हर उम्र के लोग सांस संबंधित बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। प्रदूषण के कारण स्ट्रोक के 34 प्रतिशत, हृदय रोग के 26 प्रतिशत, फेफड़े के कैंसर 6 प्रतिशत एवं अन्य कारणों से 28 प्रतिशत मौत होती है। प्रदूषण बच्चों की स्मरण शक्ति पर भी असर डालता है। गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। कई तरह की बीमारियां गर्भ में ही सामने आ जाती हैं। हर उम्र के लोगों में सर्दी-खांसी बढ़ जाती है। चर्म रोग बढऩे के साथ ही कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है। बार-बार जुकाम होना, सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी, टीबी और गले में में इंफेक्शन, साइनस, अस्थमा एवं फेफड़ों से संबंधित बीमारियां वायु प्रदूषण के कारण होती हैं। इसलिए घर से बाहर निकलते वक्त हमेशा मुंह पर मास्क का उपयोग करें। आंखों पर चश्मा लगाएं। खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाएं इससे प्रदूषण से बचे रहेंगे।