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प्राइवेट स्कूलों के सामने खड़ी हुई नई मुश्किल, अब पैसा लेने से पहले देनी होगी सुविधा

अब सरकार सख्त हो गई है, अब बिना निरीक्षण के स्कूलों को मान्यता नहीं मिलेगी। इस कारण स्कूलों को भी बच्चों के नाम पर फीस लेने से पहले स्कूलों में पर्याप्त सुविधा करनी होगी। अन्यथा उन्हें मान्यता नहीं मिलेगी।

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प्राइवेट स्कूलों के सामने खड़ी हुई नई मुश्किल, अब पैसा लेने से पहले देनी होगी सुविधा

प्राइवेट स्कूलों के सामने खड़ी हुई नई मुश्किल, अब पैसा लेने से पहले देनी होगी सुविधा

प्राइवेट स्कूलों के सामने अब नई मुश्किल खड़ी हो गई है, अब तक उन्हें ऑनलाइन स्कूल की मान्यता सिर्फ कागजों पर खानापूर्ति कर मिल जाती थी, लेकिन वास्तविक स्थिति में बच्चों को स्कूल में कोई सुविधा नहीं मिलती थी, वहीं मान्यता के मापदंडों पर भी स्कूल खरा नहीं उतर पाता था, ऐसे में अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत भी ये स्कूल सरकार से 25 प्रतिशत बच्चों की फीस वसूल लेता था, लेकिन करोड़ों रुपए लेने के बाद भी बच्चों की शिक्षा महज खानापूर्ति तक सीमित रह जाती थी, इस कारण अब सरकार सख्त हो गई है, अब बिना निरीक्षण के स्कूलों को मान्यता नहीं मिलेगी। इस कारण स्कूलों को भी बच्चों के नाम पर फीस लेने से पहले स्कूलों में पर्याप्त सुविधा करनी होगी। अन्यथा उन्हें मान्यता नहीं मिलेगी।

प्रदेश में शिक्षा के अधिकार में संशोधन कर सरकार ने कड़े नियम लागू कर दिए हैं। डीपीसी, बीआरसी को पावरफुल किया गया है। बिना निरीक्षण के किसी भी स्कूल को मान्यता नहीं मिलेगी। भौतिक निरीक्षण प्राथमिक स्कूलों के लिए भी अनिवार्य रहेंगे।

सरकार ने नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2011 में संशोधन कर लागू कर दिया गया है। प्राथमिक शिक्षा के लिए भी स्कूल को विकासखंड स्रोत केंद्र समन्वयक (बीआरसीसी) को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। बीआरसीसी पंद्रह दिन में निराकरण करेंगे। इसके बाद जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) निरीक्षण करेंगे। इसके अलावा कलेक्टर के स्तर पर निरीक्षण और प्रकरण में निर्णय का अधिकार रहेगा। खास बात ये कि पांचवीं तक के स्कूलों के लिए राज्य शिक्षा केंद्र के तहत आवेदन के साथ ही मान्यता सामान्यत: व्यावहारिक रूप से हो जाती थी। लेकिन भौतिक निरीक्षण अनिवार्य रहेंगे। इसमें भी पूरी व्यवस्था आनलाइन रहेगी।

इसलिए जरूरत

निजी स्कूलों को हर साल बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के आधार पर करोड़ों रुपए दिए जा रहे हैं। इस कारण प्राथमिक शिक्षा में मान्यता को लेकर सख्ती शुरू की गई है। अभी तक पहली से पांचवीं तक के लिए व्यावहारिक रूप से मान्यता को लेकर सख्ती नहीं होती थ्ीा। इस कारण नएनियम बनाए गए हैं।